UP चुनाव: पश्चिमी यूपी की एक ऐसी सीट जहां दांव पर लगा 'बाबू जी' का अस्तित्व, BJP के लिए अहम
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UP चुनाव: पश्चिमी यूपी की एक ऐसी सीट जहां दांव पर लगा 'बाबू जी' का अस्तित्व, BJP के लिए अहम

UP Election: पश्चिमी यूपी की एक विधान सभा सीट ऐसी है, जहां बेहद रोमांचक मुकाबला होने वाला है. ये सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी अहम सीट है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री 10 बार विधायक रह चुके हैं. 

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: यूपी चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में केवल तीन दिन बचे हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम से अपनी जीत के लिए कोशिश कर रहे हैं. पहले चरण में 58 सीटों पर वोटिंग होनी है. इनमें से एक विधान सभा सीट ऐसी है, जहां बेहद रोमांचक मुकाबला होने वाला है. ये सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी अहम सीट है, क्योंकि यहां पारम्परिक रूप से बीजेपी जीतती आ रही है. इस सीट यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री 10 बार विधायक रह चुके हैं.

  1. इस सीट से कल्याण सिंह रहे हैं 10 बार विधायक
  2. दो बार पुत्र वधू और एक बार नाती रहे हैं विधायक
  3. चुनाव प्रचार में लगा है पूरा परिवार 

पूर्व मुख्यमंत्री की है पारम्परिक सीट

हम बात कर रहे हैं अलीगढ़ जिले की अतरौली विधान सभा सीट की. इस विधान सभा को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उनके परिवार की पारम्परिक सीट माना जाता है. हालांकि यहां से 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीते. इस बार अतरौली विधान सभा से बीजेपी ने संदीप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. संदीप पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाती हैं और यहां से विधायक हैं. संदीप 2017 के चुनाव में पहली बार विधायक बने और योगी सरकार में मंत्री बने.

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सपा और बीजेपी दोनों के लिए अहम है ये सीट

बीजेपी प्रत्याशी संदीप सिंह के सामने समाजवादी पार्टी ने वीरेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें वीरेश यादव ने 2012 के चुनाव में संदीप सिंह की मां प्रेमलता वर्मा को हराया था. ऐसा माना जा रहा है कि वीरेश यादव के लिए भी ये चुनाव बेहद अहम है.

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह रहे हैं 10 बार विधायक

अतरौली विधान सभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह 10 बार विधायक रहे. पहली बार 1967 में वो यहां से जीते थे. इसके बाद साल 2002 के चुनाव तक इस सीट पर उनका दबदबा कायम रहा. हालांकि 1980 के चुनाव में एक बार कल्याण सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी अनवार खां ने हराया था.

कल्याण की पुत्र वधू भी रहीं हैं विधायक

कल्याण सिंह के बाद इस विधान सभा से उनकी पुत्र वधू प्रेमलता वर्मा विधायक बनीं. वो 2004 और 2007 में यहां से विधायक बनीं. लेकिन साल 2012 में कल्याण सिंह ने बीजेपी से अलग 'जन क्रांति पार्टी' बना ली. इस चुनाव में प्रेमलता वर्मा को हार का सामना करना पड़ा. 

चुनाव प्रचार में लगा है पूरा परिवार 

पिछले विधान सभा चुनाव में अतरौली विधान सभा से बीजेपी ने कल्याण के नाती संदीप पर दांव खेला. संदीप केवल 25 साल की उम्र में पहली बार यहां से विधायक बने. इस बार संदीप फिर से चुनावी मैदान में हैं. उनके चुनाव प्रचार में पूरा परिवार लगा है. अतरौली के लोगों की मानें तो संदीप सिंह, उनके पिता और एटा से सांसद राजवीर सिंह, उनकी मां प्रेमलता वर्मा और छोटे भाई सौरभ सिंह चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.

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कई बड़े नेता कर चुके हैं दौरा

जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में बाबूजी यानी कल्याण सिंह के परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां 13 बार कल्याण सिंह के परिवार को जनता ने जिताया है. संदीप के चुनाव प्रचार में देश के गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा समेत कई बड़े नेता यहां आ चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये विधान सभा बीजेपी के लिए काफी अहम है और इसलिए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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