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अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. पहले चरण का काम पूरा हो चुका है, नींव का कार्य अंतिम दौर पर पहुंच चुका है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट और इंजीनियरों की टीम ने गुरुवार को पूरे काम को मीडिया के सामने सार्वजनिक किया. इस कार्यक्रम में भारी बारिश के बीच पहुंचे पत्रकारों ने राम मंदिर निर्माण की प्रगति को लाइव प्रसारित किया.
इस दौरान ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने बताया कि राम मंदिर निर्माण की नींव भराई का काम आखिरी स्टेज पर है, अब तक 46 लेयर पड़ चुकी हैं, 48 लेयर डाली जानी हैं. इसके बाद राट का निर्माण होगा. साथ ही चंपत राय ने ये भी बताया कि दिसंबर 2023 तक सभी भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे. यह मंदिर तीन मंजिला होगा, गर्भ गृह में रामलला विराजमान होंगे तो दूसरे तल पर राम दरबार विराजित होगा. मंदिर का परकोटा 6.5 एकड़ में बनाया जाएगा.
चंपतराय ने मंदिर निर्माण की गति को लेकर भी आश्वस्त किया. उन्होंने कहा, बरसात और मौसम की रुकावट के बावजूद भी मंदिर निर्माण की प्रक्रिया अपेक्षित गति से आगे बढ़ रही है. निर्माण की प्रक्रिया में सहयोगी कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशंसित करते हुए ट्रस्ट के महासचिव ने कहा, नींव के निर्माण में 2-2, 3-3 शिफ्टों में लगातार 24 घंटे काम चल रहा है और आगे भी निर्माण इसी गति से होगा.
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ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि 48 लेयर के ऊपर बनने वाली आधार भूमि अब तक बने लेयर से 10 गुना ज्यादा मजबूत होगी, जिससे कि मंदिर की नींव हजारों साल तक चल सके. चंपतराय ने बताया कि आधार भूमि के लिए मिर्जापुर के पत्थर परिसर में आ गए हैं. इसके ऊपर राम चबूतरा बनेगा और राम चबूतरे के ऊपर मंदिर का निर्माण होगा. इसके अतिरिक्त राजस्थान से बंसी पहाड़पुर के पत्थरों को लेकर बाधा दूर हो गई है. नवंबर से पत्थरों का आगमन शुरू हो जाएगा. इस मंदिर में 3 तरीके के पत्थरों का इस्तेमाल होना है.
चंपत राय के अनुसार मंदिर निर्माण का प्रथम चरण अब पूरा हो चुका है. अगर आज बारिश नहीं हो रही होती तो मंदिर बुनियाद की आखिरी लेयर भी आज पड़ चुकी होती. इसके अलावा दूसरा फेज हम 2 महीने में पूरा हो जाएगा. दूसरा फेस पूरा होने के बाद एक बार फिर जानकारी सभी को दी जाएगी और बाद में तीसरा चरण होगा. इस प्रक्रिया में 3 से 4 महीने अभी लग सकते हैं.
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राम मंदिर निर्माण का कार्य कर रही L&T के इंजीनियर विनोद मेहता ने बताया कि 'रामलला का भव्य मंदिर जहां पर बनाया जा रहा है, यह उसका फुटप्रिंट है. हम लोग जिस लेवल पर खड़े हैं, उसी लेवल पर यहां पर खुदाई चालू हुई थी. इसी लेवल पर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन किया था. खुदाई चालू होने के बाद हम लोग 40 फुट नीचे गए. क्योंकि खुदाई करके नीचे जाने का मुख्य कारण था, गर्भ ग्रह के नीचे का मलबा. जिसे पूरा निकालकर के हम उस लेवल पर पहुंचे, जहां पर हमें लेबल मिला था.'
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