सेना के जवान, 400 शिकारी.. 25 दिन तक चला ऑपरेशन; 1950 में भी आया था खूंखार भेड़ियों का झुंड
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सेना के जवान, 400 शिकारी.. 25 दिन तक चला ऑपरेशन; 1950 में भी आया था खूंखार भेड़ियों का झुंड

Bhediya Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों की दहशत ठीक वैसे ही है, जैसे 1950 में थी. 74 साल पहले लखनऊ में भेड़ियों का आतंक इतना बढ़ गया था कि इन्हें मारने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी थी. साथ ही 400 शिकारी भी लगाए गए थे और करीब 25 दिन तक ऑपरेशन चला था.

सेना के जवान, 400 शिकारी.. 25 दिन तक चला ऑपरेशन; 1950 में भी आया था खूंखार भेड़ियों का झुंड

Bahraich Bhediya Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़िए का आतंक कब खत्म होगा? कब बहराइच के गांव वाले दहशत के साए से बाहर आ पाएंगे. कब बहराइच में अपनों की जाने बचाने का रतजगा खत्म होगा? 52 दिनों से बहराइच के गांव-गांव में आदमखोर भेड़ियों का आतंक है और अब लोगों के मन में इसी तरह के सवाल उठ रहे हैं. अबतक आदमखोर भेड़िए 10 लोगों की जान ले चुके हैं और आदमखोर की दहशत ऐसी है कि लोग रातभर जाग रहे हैं, क्योंकि दिन ढलते ही आदमखोर शिकार पर निकलता है और दबे पैर आकर हमला करता है.

शातिर आदमखोर भेड़िया, पकड़ में नहीं आ रहा

आदमखोर के दहशत का अंत करने के लिए वन विभाग की कई टीमें दिन-रात जी-जान से जुटी हुई है. ड्रोन कैमरे से भेड़ियों को खोजा जा रहा है. आदमखोर को शिंकजे में लाने के लिए पिंजरा लगाया जा रहा है, लेकिन आदमखोर भेड़िया इतना शातिर है कि वो वन विभाग की हर चाल को भांप जाता है. वन विभाग को जिस आदमखोर की तलाश है, वो झुंड का मुखिया बताया जा रहा है. ये भेड़िया लंगड़ा है और काफी खूंखार है.

74 साल पहले भी था ऐसा ही आतंक, 25 दिन में 4 भेड़िए किए गए थे ढेर

बहराइच के आदमखोर भेड़िए प्रशासन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. बताया जा रहा है कि भेड़िए की दहशत, ठीक वैसे ही है जैसे 1950 में थी. तब 100 से ज्यादा भेड़ियों ने आतंक मचाया था और एक रात में 3 लोगों की मौत हो गई थी. 74 साल पहले लखनऊ में भेड़ियों का आतंक इतना बढ़ गया था कि इन्हें मारने के लिए सेना की मदद ली गई. लखनऊ में भेड़ियों की दहशत का अंत करने के लिए न सिर्फ सेना की मदद ली गई थी, साथ ही 400 शिकारी भी लगाए गए थे. करीब 25 दिन बाद 4 आदमखोर भेड़ियों को मार गिराया गया था.

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बहराइच में वैसी ही दहशत लौट आई है. अब जब  भेड़ियों को पकड़ने की सारी कोशिशें फेल होती नजर आ रही है तो अब इनकी दहशत के अंत का एक ही रास्ता नजर आ रहा है और वो इन आदमखोरों के डेथ वारंट का है. आदमखोर भेड़ियों के दहशत को खत्म करने के लिए शिकार की परमिशन मिल गई है और आदमखोरों के शिकार के लिए टीम बनाई गई है. यूपी सरकार के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि अगर भेड़िया पकड़ में नहीं आता है और वो अटैक जिस तरह से करता है, ऐसे ही करता रहा. कहीं ना कहीं ये भी तो मुमकिन नहीं है, इसीलिए उसको मार देने का ऑर्डर देना गलत नहीं है. लेकिन, हम कोशिश कर रहे हैं कि उसे पकड़ लें, नहीं पकड़ पाएंगे तो उसके लिए यही करेंगे.'

आदमखोरों के अंत का काउंटडाउन शुरू

यानी साफ है कि अब आमदखोरों के अंत का ही काउंटडाउन शुरू हो गया है. यानी गांव-गांव उत्पात मचा रहे इन भेड़ियों का टाइम ओवर हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, अभी तक ट्रेंकुलाइजर गन का इस्तेमाल बहराइच में भेड़ियों को पकड़ने के लिए किया गया था, लेकिन इन स्पेशल शूटरों के पास कैलिबर और डिज़ाइन की शॉर्ट गन, लॉन्ग राइफल, 22 मैग्नम गन, डबल-बैरल ब्रेक-एक्शन डिज़ाइन, लीवर एक्शन, बोल्ट एक्शन, पंप-एक्शन और सेमी-ऑटोमैटिक डिज़ाइन भी हैं.

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सीतापुर में भी भेड़िए का आतंक

उधर, बहराइच से 100 किलोमीटर दूर सीतामपुर में भी भेड़िए लगातार हमले कर रहे हैं. देर रात सीतापुर में भेड़िए ने एक गोवंश पर हमला करके उसे घायल कर दिया, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है. बहराइच के करीब 35 गांवों में आदमखोर भेड़िए आतंक फैला रहे हैं. इन्हें पकड़ने के लिए ड्रोन और पिंजरे लगाए गए, लेकिन इनमें से सिर्फ 4 भेड़िये अब तक पकड़े गए, बाकियों की तलाश है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि भेड़ियों के डेथ वारंट के बाद अब जल्द ही आदमखोर आतंक से मुक्ति मिल जाएगी.

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