मुंगेर में हाथ के बल चल दिए महादेव के भक्त, 105 किलोमीटर तय की दूरी
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मुंगेर में हाथ के बल चल दिए महादेव के भक्त, 105 किलोमीटर तय की दूरी

शिवभक्त अशोक गिरी के अनुसार हाथ के बल जल लेकर चलने की इस यात्रा को बिच्छू डंक दंड कांवर यात्रा कहा गया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 से शिव भक्ति में लीन होकर उन्होंने सुल्तानगंज से देवघर तक की कावड़ यात्रा प्रारंभ की है. 

मुंगेर में हाथ के बल चल दिए महादेव के भक्त, 105 किलोमीटर तय की दूरी

मुंगेर : भक्तों की भक्ति की गाथाओं से हमारे धर्म ग्रंथ भरे पड़े हैं. कई भक्तों ने अपनी भक्ति से भगवान को भी अपने वश में कर लिया था. आधुनिक युग में भी शिव भक्ति में लीन एक भक्त की अनोखी भक्ति से सुल्तानगंज देवघर कच्ची कांवरिया पथ भक्तिमय हो गया है. खैरा मोड़ के समीप  कच्ची कांवरिया पथ में अपने हाथ के बल चल कर सुल्तानगंज से देवघर की यात्रा कर रहे एक शिव भक्त को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही थी.

हाथ के बल चल तय की 105 किलोमीटर की दूरी
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रसडा नाथनगर के 46 वर्षीय अशोक गिरी उर्फ मनु सोनी 12 अगस्त के सावन माह की पूर्णिमा को सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर हाथ के बल ही बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पहुंचने का संकल्प लेकर अपनी यात्रा प्रारंभ की थी. वे 51वें दिन हाथ के सहारे ही अपनी यात्रा करके प्रखंड क्षेत्र के कांवरिया पथ स्थित खैरा मोड़ पहुंचे थे. शरीर से पूरी तरह से स्वस्थ आनंद गिरि के इस कठिन साधना के बारे में जिसने भी सुना वह कांवरिया पथ पर इस भक्त  के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लोगों के द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि इस प्रकार का साधना पहले कभी नहीं देखा था और ना ही सुना था. 

आशोक वर्ष 1991 से शिव भक्ति में है लीन
शिवभक्त अशोक गिरी के अनुसार हाथ के बल जल लेकर चलने की इस यात्रा को बिच्छू डंक दंड कांवर यात्रा कहा गया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 से शिव भक्ति में लीन होकर उन्होंने सुल्तानगंज से देवघर तक की कावड़ यात्रा प्रारंभ की है. लगातार 10 साल तक वे कावड़ यात्रा करते रहे है. 2001 से वे डाक बम के रूप में बाबा बैद्यनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने लगे. 2002 से सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को डाक बम के रूप में बाबा को जल चढ़ाने लगे. 
2003 से 2020 तक वे लगातार सावन महीने के शुक्रवार और सोमवार को डाक बम के तौर पर सुल्तानगंज से  देवघर की यात्रा कर बाबा का जलाभिषेक करने लगे. इस साल सावन की तीसरी सोमवारी को जब डाक बम के रूप में बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पहुंचे तो उन्हें ऐसा लगा की महादेव का आदेश है कि मैंने तुम्हें शारीरिक रूप से इतनी योग्यता दी है इसलिए तुम एक बार सुल्तानगंज से जल लेकर बिच्छू डंक दंड ( हाथ के बल चल कर यात्रा पूरी करना ) यात्रा कर हम पर जलाभिषेक करो. महादेव के आदेश को आत्मसात करते हुए सावन माह की पूर्णिमा को सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर के लिए बिच्छू डंक दंड यात्रा प्रारंभ कर दी. संकल्प है कि 108 दिन के अंदर यह यात्रा पूरी कर लूंगा.

जूना अखाड़े से है पुराना नाता
शिवभक्त अशोक गिरी का जूना अखाड़े से भी नाता रहा है. उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा कि 2008 में गंगोत्री हरिद्वार से पदयात्रा जगन्नाथपुरी होते हुए रामेश्वर तक गुरु श्री शक्ति गिरी नागा बाबा के साथ की और फिर उन्हीं से दीक्षित होकर जूना अखाड़े में शामिल हो गए. शिवभक्त अशोक गिरि ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 1998 में हो गई थी. उनके परिवार में उनके माता-पिता भाई और पत्नी समेत 5 पुत्र और एक पुत्री है. उनके दो पुत्र स्वरोजगार से भी जुड़े हुए हैं.

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