UPSC IFS Results: पांच बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार, आइएफएस परीक्षा में भागलपुर के राहुल कुमार को मिली सफलता
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UPSC IFS Results: पांच बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार, आइएफएस परीक्षा में भागलपुर के राहुल कुमार को मिली सफलता

UPSC IFS Results:  बिहार के भागलपुर में रहने वाले राहुल कुमार को यूपीएससी की तरफ से आयोजित आईएफएस परीक्षा में सफलता मिली है. राहुल ने पूरे देश में 142 वां स्थान हासिल किया है.

राहुल कुमार को मिली सफलता

भागलपुर: यूपीएससी ने आईएफएस का परिणाम घोषित किया है और इसमें भागलपुर के कटहलबाड़ी निवासी राहुल कुमार को भी सफलता मिली है. राहुल को पूरे देश में 142वां स्थान प्राप्त हुआ है. राहुल ने ये सफलता 6 बार के प्रयास में हासिल की है. कड़ी मेहनत के बावजूद हर बार असफलता हाथ लगती थी लेकिन जुनून ऑफिसर बनकर मां बाप के सपने को पूरा करने का था नतीजतन जब संघ लोक सेवा आयोग ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) परीक्षा का नतीजा घोषित किया तो राहुल ने भी उस स्थान पर खुद को पाया. राहुल की मां आंगनवाड़ी सेविका है. मां और पिता ने साथ कमाई कर बेटे को आईआईटी रुड़की में पढ़ाया. वहां सफलता मिली इंजीनियर बने लेकिन मां का सपना था कि बेटा ऑफिसर बने तो राहुल ने मेहनत शुरू की. असफल हुए लगतार असफल होते गए अब मंजिल नसीब हुई.

राहुल अपनी सफलता पर काफी खुश हैं. वह बताते है कि छठे प्रयास में वह सफल हुए हैं. सिविल सर्विसेज की इंटरव्यू तीन बार दी लेकिन इंटरव्यू में चूक रह जाती थी. कंडीशन ठीक था अच्छे कॉलेजों में पढ़ाई हुई सॉफ्टवेयर डेवलपर रहा. मन में यह था कि कभी न कभी तो करेंगे क्योकि अब समय खत्म होता या पीछे हटता तो मौका नहीं मिल पाता. मां आंगनवाड़ी में है तो बहुत ज्यादा फ़र्क़ पड़ता था. इस चीज से खुद को इंस्पायर करता था. आंगनवाड़ी में होने के नाते वो बड़े बड़े ऑफिसर सबको देखती थी उनका भी सपना था कि बेटा अधिकारी बने.

जिस तरह राहुल अपनी मां को इंस्पायर मानते है उसी तरह राहुल की मां ललिता देवी अपने बेटे को मेहनती मानती है. बेटटे की सफलता के बाद उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे. वो काफी गौरवांवित भी महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब देखता हैं बड़े बड़े अधिकारी कार में घूमते हैं. उनके पास बॉडीगार्ड रहते हैं अच्छी पर्सनालिटी होती है अपना रुतबा होता है यह देखकर होता था कि बेटा को ऑफीसर बनाएंगे. उसके पीछे खूब मेहनत किया. कभी उसने कोई डिमांड नहीं किया. आज खुशी इतनी है कि दो दिन से खुशी से खाना नहीं खा सके हैं. आंगनवाड़ी सेविका होकर कम सैलरी में पति की सैलरी को मिलाकर उसके पीछे मेहनत किया. उसके दोस्तों ने साथ दिया यह वजह है कि राहुल यहां तक पहुंच गया है.

इधर राहुल की सफलता पर पिता राजकुमार चौधरी की खुशी का ठिकाना नहीं है. पिता बताते हैं कि बचपन में राहुल बदमाश था उसके पीछे काफी मेहनत करनी पड़ी. हम नहीं चाहते थे मेरा बच्चा इंजीनियर बने मेरा दोस्त बड़ा बड़ा इंजीनियर था. हम सोचे हम तो कुछ नहीं कर सके बेटा को बहुत बड़ा बनाएं. पहले मैट्रिक इंटर फेल नहीं हुए लेकिन यूपीएससी में सफलता नहीं मिल पाती थी. आज बेटे की सफलता पर खूब खुश हैं.

इनपुट- अश्वनी कुमार

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