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Tarapur:By-Election Tarapur: तारापुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. यहां पर जीत की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से हुई थी. इसके बाद सोशलिस्ट पार्टी और राजद ने भी कई साल तक इस सीट पर कब्जा जमाए रखा. किस-किस पार्टी ने कब-कब किया है, तारापुर की सीट पर राज. डालते हैं एक नजर-
1952 से लेकर 1967 तक कांग्रेस का रहा दबदबा
मुंगेर जिला बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि दोनों रही है. तारापुर विधानसभा क्षेत्र में 1952 से लेकर 1967 तक कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा था वह से दो बार बास्की नाथ राय एवं एक बार जय मंगल सिंह कांग्रेसी विधायक रहे. उनके बाद इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया. पहली बार 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के विजय नारायण प्रसाद विधायक बने तथा इसके बाद तारिणी प्रसाद से 1977 तक विधायक रहे थे.
1985 से अब तक इस सीट पर कुशवाहा समाज का दबदबा
वक्त इसके बाद एक बार फिर बदला और 1977 में जनता पार्टी की कौशल्या देवी इस सीट से विजय घोषित हुईं. इसके बाद शकुनी चौधरी परिवार ने 1985 से लेकर 2010 तक इस पर अपना कब्जा जमा रखा था. 2010 से 2020 तक नीता चौधरी एवं उनके पति मेवालाल चौधरी यहां से विधायक रहे. इस प्रकार कहा जाए तो 1985 से अब तक इस सीट पर कुशवाहा समाज का कब्जा रहा है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2000 में राजद के शकुनी चौधरी को 68,864 तथा समता पार्टी के राजीव सिंह को 39,247 मत प्राप्त हुआ था. इसी प्रकार 2005 फरवरी के चुनाव में राजद के शकुनी चौधरी को 34, 643 तथा जदयू के राजीव सिंह को 28, 829 मत प्राप्त हुआ. जबकि 2005 नवंबर के चुनाव में राजद के शकुनी चौधरी को 32, 828 तथा जदयू के राजीव सिंह को 32, 217 मत प्राप्त हुआ.
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पिछले दो बार से चल रहा था जदयू का सिक्का
2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू के नेता नीता चौधरी ने राजद के शकुनी चौधरी को हराकर चुनाव जीता. इसी प्रकार 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के मेवालाल चौधरी ने हम पार्टी के शकुनि चौधरी को हराया तथा 2020 के बीच के विधानसभा चुनाव में मेवालाल चौधरी जदयू की टक्कर राजद के राष्ट्रीय महासचिव जयप्रकाश नारायण यादव की पुत्री दिव्य प्रकाश से हुई जिसमें उन्होंने दिव्य प्रकाश को हराकर जीत हासिल की थी.