Bihar Lok Sabha Election 2024: लालू यादव ने इस बार 22 में से सिर्फ 2 मुसलमान नेताओं को टिकट दिया है. इससे राजद के कोर वोटर माने जाने वाले मुसलमान समाज के लोग ही नाराज हो गए हैं. वहीं पप्पू यादव के साथ जो व्यवहार किया उससे यादव वोटर भी नाराज बताए जा रहे हैं.
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Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार में 90 दशक में राजद अध्यक्ष लालू यादव ने पिछड़ों की राजनीति करते हुए बड़े जतन से जिस MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण का ढांचा खड़ा किया था. आरजेडी को लंबे वक्त तक इस समीकरण का लाभ भी मिला. इसी वोटबैंक की दम पर लालू ने 15 साल तक शासन किया और अपनी पत्नी तक को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. हालांकि, प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहले से मुस्लिम वोटबैंक पर नजर थी, अब इस लोकसभा चुनाव में लालू ने भी अपनी रणनीति में पूरे 180 डिग्री का परिवर्तन कर दिया है. इससे लालू यादव की मुस्लिम सियासत दरकती हुई नजर आ रही है. दरअसल, लालू ने इस बार 'MY' समीकरण से किनारा करते हुए टिकट बांटे हैं. उन्होंने 22 में से सिर्फ 2 मुसलमान नेताओं को टिकट दिया है. इससे राजद के कोर वोटर माने जाने वाले मुसलमान समाज के लोग ही नाराज हो गए हैं. पार्टी के कई दिग्गज नेता अब साथ छोड़कर जा रहे हैं. अशफाक करीम, सरफराज आलम और शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब जैसे बड़े मुस्लिम चेहरों ने राजद से दूरी बना ली है.
वहीं पप्पू यादव के साथ जो व्यवहार किया उससे यादव वोटर भी नाराज बताए जा रहे हैं. लालू ने भले इस बार 8 यादव नेताओं को टिकट दिया हो, लेकिन इसके बाद भी पप्पू यादव का फैक्टर देखने को मिल रहा है. नवादा सीट पर विनोद यादव निर्दलीय ताल ठोंक चुके हैं. तो अब राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव भी बगावती बिगुल फूंकते नजर आ रहे हैं. उन्होंने लालू यादव पर यादव समाज के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि लालू यादव ने कई लोगों का रास्ता रोका है. उन्होंने कहा कि आरजेडी में पहले यूज एंड ग्रो की रणनीति पर काम होता था, लेकिन आज हमारे नेता यूज एंड थ्रो को अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी में सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं.
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लालू ने टिकट बांटने में M के साथ धोखा किया?
बता दें कि बिहार में मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी तादाद है. राज्य कई लोकसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं. उनके वोट के आधार पर ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होता है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां या गठबंधन मुस्लिम वोट के समर्थन के लिए दिन रात एक करती हैं. प्रदेश में यादवों की आबादी 14.26 फीसदी है, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया जा रहा है. लालू ने 36.36 फीसदी यादव को आरजेडी ने टिकट दिया है. वहीं 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी होने के बाद भी टिकट में 9.09 मुस्लिम को हिस्सेदारी मिली है. राजद की लिस्ट से साफ जाहिर हो रहा है कि लालू यादव अब खुद ही अपने नारे 'जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' का पालन करते नहीं दिख रहे हैं. राजद से जाने वाले मुस्लिम नेता भी यही आरोप लगा रहे हैं.
बिहार में मुस्लिम बाहुल्य सीटें कितनी हैं?
राज्य की करीह 13 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या 12 से 67 फीसदी के बीच है. बिहार में सर्वाधिक मुस्लिम वोटर वाला लोकसभा क्षेत्र किशनगंज है, यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 67 फीसदी है, वहीं दूसरे स्थान पर कटिहार है, जहां मुस्लिम वोटर की संख्या 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी, पूर्णिया में 30 फीसदी, मधुबनी में 24 फीसदी, दरभंगा में 22 फीसदी, सीतामढ़ी में 21 फीसदी, पश्चिमी चंपारण 21 फीसदी और पूर्वी चंपारण 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. सीवान, शिवहर खगडिय़ा, भागलपुर, सुपौल, मधेपुरा, औरंगाबाद, पटना और गया में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.
लालू के 'MY' वोटबैंक की ताकत
जातीय जनगणना की रिपोर्ट से राजद अध्यक्ष लालू यादव के 'MY' वोटबैंक को ताकत सामने आ चुकी है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 17.70 फीसदी मुसलमान हैं. संख्या के हिसाब इनकी आबादी 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है. वहीं प्रदेश में यादवों की आबादी 14 फीसदी है. 'MY' समीकरण को मिला दें तो ये आंकड़ा 31.70 फीसदी पहुंच गया है. इसी वोटबैंक की दम पर लालू यादव ने बिहार में लगभग 15 साल तक राज किया है. अगर यह वोटबैंक नाराज हुआ तो लालू यादव को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.