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Lingraj Temple: देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिनमें से एक उत्तराखंड, एक झारखंड, एक तमिलनाडु, एक आंध्रप्रदेश, एक उत्तर प्रदेश, दो मध्यप्रदेश, दो गुजरात और तीन महाराष्ट्र में विराजते हैं. इन बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वहीं क्या आपको पता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के अलावा एक ऐसा शिवलिंग भी देश में है जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों के राजा के रूप में पूजा जाता है.
आइए हम आपको उस 12 ज्योतिर्लिंगों के राजा के रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग के बारे में बताते हैं. ओडिशा में स्थित भगवान लिंगराज का मंदिर ऐसा ही मंदिर है, इस मंदिर में भगवान लिंगराज विराजते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वह 12 ज्योतिर्लिंगों के राजा हैं और इसी रूप में यहां इनकी पूजा भी होती है. इस मंदिर के प्रांगण की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाइए कि इसमें छोटी बड़ी 150 मंदिर हैं. इस विशाल प्रांगण में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ ही भगवान शिव के कुल 108 मंदिर स्थित हैं.
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ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित यह मंदिर यहां का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. इसकी स्थापना 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच कराया गया था. यहां भगवान हरिहर विराजते हैं. हरि का मतलब है विष्णु और हर का मतलब शिव, ऐसे में यहां शिव और विष्णु की एक साथ पूजा होती है. यहां एक छोटा सा कुआं भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मरीची कुंड है जहां संतान से जुड़ी परेशानियों से मुक्ति के लिए महिलाएं स्नान करती हैं.
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण सोमवंशी राजा ययाति प्रथम (Yayati I) ने करवाया था. यहां विराजे लिंगराज स्वयंभू हैं. वैसे आपको बता दें कि भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित है. लेकिन, यह दुनिया का अकेला मंदिर है जहां भगवान शिव को बेलपत्र के साथ तुलसी दल भी अर्पित किया जाता है. इसका एक और केवल एक कारण यह है कि यहां भगवान शिव और विष्णु एक साथ विराजते हैं.