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Patna: बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन किसान के मुद्दे पर अभी तक राजद के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह से ही परेशान थी, अब उन्हे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी साथ मिल गया है. टिकैत भी किसान आंदोलन को धार देकर अपना पांव बिहार में जमाने की जुगत में हैं. राकेश टिकैत बिहार में कृषि मंडी व्यवस्था की मांग पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं, वहीं मुआवजे की मांग कर रहे किसानों के साथ भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
हाल में ही की है महापंचायत
दरअसल, टिकैत जब दिल्ली की सीमा पर कृषि बिल वापस करने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे थे, तब उन्होंने बिहार के किसानों से भी इस आंदोलन में साथ आने की अपील की थी. कई किसान नेता भी यहां आए थे, लेकिन यहां के किसान ने उस आंदोलन में दिलचस्पी नहीं ली थी. टिकैत अब बिहार में किसानों को एकजुट कर आंदोलन के लिए जमीन तैयार करते नजर आ रहे हैं. पिछले दो दिनों से वे कैमूर में किसानों की महापंचायत की.
हजारों की संख्या में पहुंचे लोग
किसानों के शोषण के विरोध में राष्ट्रीय किसान नेता चौधरी टिकैत के नेतृत्व में रविवार को सारण जिला समाहरणालय पर किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन हुआ. जिसमें हजारों की संख्या में किसान पहुंचे. इस मौके पर टिकैत ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल किसानों का हितैषी नहीं किसानों की जमीन छीनने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. किसानों की फसल अब सड़क पर नहीं बिकेगी.
बिहार में अविलंब मंडी कानून बहाली सहित किसानों मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए बिहार के प्रत्येक जिले में आंदोलन चलाया जाएगा. अक्टूबर माह के बाद पटना के गांधी मैदान में आंदोलन का शंखनाद होगा. भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की जमीन छीनने का प्रयास किया जा रहा है.
किसान नेता ने कहा कि जिस दिन किसान अपनी फसल की उचित कीमत के लिए सरकारी दफ्तरों में फसल बेचने की शुरूआत कर देंगे वहीं से आंदोलन की शुरूआत हो जाएगी. इस क्षेत्र के किसान आंदोलनकारी है जिन्हे सही दिशा देने की जरूरत है. जिला मुख्यालयों के अंदर मीटिंग की शुरूआत करनी होगी.
उन्होंने कहा कि बिहार में अविलंब मंडी कानून बहाली, पारदर्शी तरीके से और समय से धान गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी, कैमूर के चांद, चैनपुर, अधौरा, रामपुर में किसानों के भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा की मुख्य मांग है. इधर, सुधाकर सिंह कहते हैं कि बिहार के किसान विभिन्न समस्याओं से त्रस्त हैं. आखिर, इनकी कौन सुनेगा. सरकार प्रश्न का जवाब देने से भाग रही है.
(इनपुट भाषा के साथ)