गुरुवार को सूबे में कोरोना मॉनिटरिंग वाले जनहित मामले की सुनवाई के दौरान ईएसआईसी में पदस्थापित भारतीय सेना के नोडल अफसर की तरफ से हलफनामा देकर अस्पताल की व्यवस्था के बारे कोर्ट को अवगत कराया गया.
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Patna: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहटा स्थित ESIC अस्पताल का पूरा ब्यौरा मांगा था. इसके लिए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार के नोडल अधिकारी से वहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने उनसे डॉक्टर, स्टाफ, ऑक्सीजन, बेड, दवा व अन्य सुविधाओं का पूरा ब्यौरा मांगा है.
इसी क्रम में गुरुवार को सूबे में कोरोना मॉनिटरिंग वाले जनहित मामले की सुनवाई के दौरान ईएसआईसी में पदस्थापित भारतीय सेना के नोडल अफसर की तरफ से हलफनामा देकर अस्पताल की व्यवस्था के बारे कोर्ट को अवगत कराया गया.
इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल में 210 सामान्य व 7 आईसीयू बेड के जरिए डेडिकेटेड कोविड फैसिलिटी कोरोना मरीजों के लिए काम कर रही है.
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ट्राइएज फैसिलिटी से इलाज
5 मई से ही भारतीय सेना के अफसर, जवान, डॉक्टर व विशेषज्ञ आकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इस दौरान कई मरीज ठीक होकर लौट चुके हैं. राज्य सरकार व केयर इंडिया की तरफ से दवा उपलब्ध कराई जा रही है. ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त है. सेना की चिकित्सा पद्धति के बारे में भी कोर्ट को बताया गया कि कोविड मरीजों पर 'ट्राईएज फैसिलिटी' से इलाज होता है.
कैसे होता है इलाज
इस पद्धति के तहत कोरोना मरीजों को एडमिट होते ही उसे पहले चिकित्सीय तौर पर स्थिर किया जाता है. उसके बाद मरीज के हालात पर नजर रखते हुए, उसकी गंभीरता या नाजुकता का एसेसमेन्ट किया जाता है. मरीज के हालात की स्थिति पर ही उसे आईसीयू या सामान्य कोविड वार्ड में शिफ्ट किया जाता है. सेना के डॉक्टरों से राज्य सरकार के ओएसडी हर समय समन्वय बनाए रहते हैं.