Karpoori Thakur Jayanti: अति पिछड़ों की आवाज कर्पूरी ठाकुर जीवन भर संघर्ष करते रहे, एक ढंग का घर तक नहीं बनवा पाए
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2075877

Karpoori Thakur Jayanti: अति पिछड़ों की आवाज कर्पूरी ठाकुर जीवन भर संघर्ष करते रहे, एक ढंग का घर तक नहीं बनवा पाए

Karpoori Thakur Jayanti: मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने बेटे रामनाथ ठाकुर को पत्र लिखकर कहा था, तुम इससे प्रभावित मत होना. किसी लोभ लालच में मत पड़ना. इससे मेरी बदनामी होगी. यहां तक कि कर्पूरी ठाकुर ने अपने बेटे रामनाथ ठाकुर को राजनीति में वर्षों तक इसलिए नहीं आने दिया, क्योंकि इससे उनकी छवि पर परिवारवाद का आरोप चस्पा हो जाता. 

कर्पूरी ठाकुर  (File Photo)

Karpoori Thakur Jayanti: 1952 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से कर्पूरी ठाकुर ताउम्र कभी चुनाव नहीं हारे थे. दो-दो बार वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे पर पटना या फिर उनके पैतृक गांव में वे मकान तक नहीं बनवा पाए थे. उस जननायक को अब मोदी सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न देने का फैसला किया है. 26 जनवरी को उनके परिवार को दिल्ली बुलाया गया है और भारत रत्न दिया जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर से बात कर दिल्ली आने का न्यौता दिया है. 

दशकों तक विधायक, दो-दो बार मुख्यमंत्री, नेता विरोधी दल रहे कर्पूरी ठाकुर की सागदी के क्या कहने. अभाव से उनकी जीवनयात्रा शुरू हुई और अभाव में ही उनका निधन भी हो गया. कई बार जब वे लंबी यात्रा पर जाते तो एक ही कपड़ा पहने होते थे और नहाने के बाद उसे धोकर उसे सुखाकर पहन लेते थे. कार का खर्च वहन न पाने वाले कर्पूरी ठाकुर रिक्शे से ही चलते थे.  

मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने बेटे रामनाथ ठाकुर को पत्र लिखकर कहा था, तुम इससे प्रभावित मत होना. किसी लोभ लालच में मत पड़ना. इससे मेरी बदनामी होगी. यहां तक कि कर्पूरी ठाकुर ने अपने बेटे रामनाथ ठाकुर को राजनीति में वर्षों तक इसलिए नहीं आने दिया, क्योंकि इससे उनकी छवि पर परिवारवाद का आरोप चस्पा हो जाता. 

ये भी पढ़ें:पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर के बेटे से की बात, 26 जनवरी को दिल्ली आने का दिया न्योता

जब भी कर्पूरी ठाकुर राजनीतिक यात्राओं पर जाते थे तो कार्यकर्ताओं के घर ही भोजन करते थे और किसी भी छोटी बड़ी घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचना उनकी सबसे बड़ी खासियत थी. अकसर वे कार्यकर्ताओं की आर्थिक मदद भी किया करते थे और आम लोगों के लिए उनके घर का दरवाजा अकसर खुला रहता था. इसलिए लोग उनके घर को धर्मशाला भी बताते थे. 

ये भी पढ़ें: बीजेपी रोड पर मनाएगी कर्पूरी ठाकुर की जयंती, एक क्लिक में पढ़ें पूरी खबर

इसके अलावा, वे वोट की परवाह नहीं करते थे. अगर कोई गलत पैरवी लेकर उनके पास जाता था तो वे हमेशा वापस कर देते थे. यही कारण है कि कर्पूरी ठाकुर की निष्ठा और ईमानदारी पर आज तक किसी ने उंगली नहीं उठाई.

Trending news