निक्की प्रधान ने राज्य में महिला हॉकी के लिए नये रास्ते खोल दिए हैं. राज्य की बेटियां अब उन्हें देख कर हॉकी की स्टिक उठाना चाहती हैं.
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Ranchi: झारखंड (Jharkhand) हमेशा से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों की वजह से चर्चा में रहा है. हालांकि राज्य ने देश को खेल की दुनिया में कई बड़े नाम दिए हैं. इसी कड़ी में एक नाम निक्की प्रधान (Nikki Pradhan) का. निक्की प्रधान ने राज्य में महिला हॉकी के लिए नये रास्ते खोल दिए हैं. राज्य की बेटियां अब उन्हें देख कर हॉकी की स्टिक उठाना चाहती है. तो आइये जानते है निक्की के करियर के शानदार उपलब्धियां:
निक्की का करियर रहा है बेहद शानदार
निक्की भारत के लिए हॉकी खेलने वाली झारखंड की छठी खिलाड़ी हैं.उनसे पहले जयपाल सिंह मुंडा (1928), माइकल किडो (1972), सिल्वनस डुंगडुंग (1980), अजित लकड़ा (1992) और मनोहर टोपनो (1984) जैसे दिग्गज भारतीय टीम में जगह बना चुके हैं. उन्हें पहली बार भारतीय टीम में जगह अंडर-19 एशिया कप 2011 में मिली थी. इसमें भारतीय महिला टीम ने रजत पदक जीता था.
इसके बाद वो कुछ समय के लिए चोट से काफी ज्यादा परेशान रही थी.हालांकि भारत खेलने की जिद्द के आगे उन्होंने इस बाधा को भी पार किया. निक्की ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर 2015 में ही शुरू किया था लेकिन 2016 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे में चुने जाने के बाद उन्होंने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. वो भारत के लिए ओलम्पिक में खेलने वाली झारखण्ड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं.
इसके अलावा निक्की ने एशिया कप 2017 व 2018, हॉकी विश्व लीग, महिला विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंटों में भारत की प्रतिनिधित्व किया है.
मीडिया में आने के बाद उनके खिलाड़ी होने की बात सबको पता चली
आप को जानकर हैरानी होगी कि इतनी बड़ी खिलाड़ी होने के बाद भी उनके परिवारवालों को छोड़कर किसी को भी उनके खिलाड़ी होने की बात नहीं पता था. जब उनके करियर को लेकर मीडिया में रिपोर्ट आई थी, तब पूरे गांव को उनके बारे में पता चला था. निक्की के पिता का नाम सोमा प्रधान हैं और वो बिहार पुलिस में है. उनकी मां का नाम जीतन देवी है.