Argla Strotam: चाहते हैं विजय की प्राप्ति और कष्टों से छुटकारा तो करें मां के अर्गला स्त्रोत का नियमित पाठ
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Argla Strotam: चाहते हैं विजय की प्राप्ति और कष्टों से छुटकारा तो करें मां के अर्गला स्त्रोत का नियमित पाठ

मां शक्ति की उपासना का पर्व दुर्गापूजा चल रहा है. गुरुवार यानी 19 अक्टूबर को आज नवरात्रि का पांचवा दिन है. ऐसे में आपको हम मां की कृपा से अपने जीवन में आ रहे सभी कष्टों से छुटकारा पाने और विजय प्राप्ति का रास्ता बताएंगे. मां दुर्गा की कृपा ऐसे में सदैव आप पर बनी रहेगी.

(फाइल फोटो)

Argla Strotam: मां शक्ति की उपासना का पर्व दुर्गापूजा चल रहा है. गुरुवार यानी 19 अक्टूबर को आज नवरात्रि का पांचवा दिन है. ऐसे में आपको हम मां की कृपा से अपने जीवन में आ रहे सभी कष्टों से छुटकारा पाने और विजय प्राप्ति का रास्ता बताएंगे. मां दुर्गा की कृपा ऐसे में सदैव आप पर बनी रहेगी. दरअसल मां दुर्गा के सप्तशती पाठ को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. यह सभी कष्टों से छुटाकारा दिलाने के साथ जीवन में आ रही बाधाएं, रोक, शोक आदि से भी आपको बचाता है. मां दुर्गा के इस सप्तशती में कई ऐसे पाठ हैं जो आपको सिद्धि तक प्रदान करते हैं. ऐसे में सप्तशती के पाठ में सबसे ज्यादा प्रभावशाली कीलक, कवच और अर्गला स्त्रोत है. इसमें से कीलक और कवच के बारे में हम आपको बता चुके हैं अब आज मां के अर्गला स्त्रोत के बारे में हम आपको बताएंगे. 

बता दें कि श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ के प्रारंभ में कवच के बाद अर्गला फिर कीलक स्त्रोत का पाठ किया जाता है. अर्गला का मतलब होता है अग्रणी या अगड़ी. यानी आगे बढ़कर सभी बाधाओं को दूर करने वाला. यह स्त्रोत आपको जीवन में आगे बढ़ानेवाला और अग्रणी रखनेवाला है. यानी देवी आपकी सारी समस्याओं का समाधान करनेवाली हैं. ऐसे में दिल से मां को पुकारा जाए तो वह हमेशा भक्तों के कष्ट हरने के लिए खड़ी रहती हैं. 

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अर्गला स्त्रोत के बारे में बता दें कि इसके सभी मंत्र सिद्ध और मारक हैं. इस स्त्रोत के हर मंत्र के साथ हम मां से जय, रूप और यश के साथ शत्रुओं के नाश की कामना करते हैं. ऐसे में आपके जीवन की समस्त अभिलाषाओं की पूर्ति केवल इस अर्गला स्त्रोत के नित्य पाठ के माध्यम से हो सकता है. 

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यह पाठ किसी भी हाल में विजयश्री दिलाने वाला है. यह स्त्रोत आपको चारों तरफ से सुरक्षा घेरा प्रदान करता है. फिर इसके माध्यमे से आप विजयश्री की प्राप्ति करते हैं.  ऐसे में इस नवरात्रि इसका पाठ जितना हो सके अवश्य करें और मां का आशीर्वाद पाएं. इस पाठ के साथ विशेष ध्यान यह रखना है कि यह तांत्रिक प्रयोग के बजाय मंत्र शक्ति के रूप में प्रयोग हो तो अच्छा है. इसका हो सके तो तीन बार या सात बार पाठ करें. 

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