बीजेपी ने 4 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं. इनमें से दो राज्यों में पार्टी ने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है जबकि जिन दो राज्यों में पार्टी का आधार कमजोर है वहां दूसरे दलों से आए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी द्वारा किए गए इन बदलावों में जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा गया है.
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लोकसभा चुनाव 2024 और कई विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी बिसात बिछा दी है. बीजेपी ने आज चार राज्यों में बड़े बदलाव कर अपने मनसूबे साफ कर दिए हैं. ये चारों वो राज्य हैं जहां पर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है.
बीजेपी ने 4 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं. इनमें से दो राज्यों में पार्टी ने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है जबकि जिन दो राज्यों में पार्टी का आधार कमजोर है वहां दूसरे दलों से आए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी द्वारा किए गए इन बदलावों में जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा गया है.
इन चेहरों पर लगाया दांव
लंबे समय से तेलंगाना में पांव पसराने के प्रयासों में जुटी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी पर भरोसा जताया है और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. इसी प्रकार, झारखंड में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबू लाल मरांडी पर विश्वास जताते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पंजाब में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल होने वाले सुनील जाखड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
पंजाब में हिंदू चेहरे को मौका
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर संगठन को मजबूत करने में जुटी है. अब पंजाब में बीजेपी को मजबूती प्रदान करने की जिम्मेदारी जाखड़ की होगी. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बेटे, सुनील जाखड़ पंजाब की सिख बहुल राजनीति में एक प्रमुख हिन्दू नेता माने जाते हैं. वो जाट समुदाय से भी आते हैं.
ऐसे हल होगा आंध्र का गणित
आंध्र प्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री व पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव डी पुरंदेश्वरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सोमू वीराजू की जगह उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. पुरंदेश्वरी को ऐसे समय में प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपी गई है जब केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी और वहां की प्रमुख विपक्षी पार्टी तेलूगु देशम पार्टी (TDP) के बीच गठबंधन की चर्चा जोरों पर है.
पुरंदेश्वरी तेदेपा के संस्थापक व आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव की बेटी हैं. टीडीपी के वर्तमान अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू स्वर्गीय रामाराव के दामाद हैं.
वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस का दामन छोड़कर हाल ही में बीजेपी में शामिल होने वाले किरन कुमार रेड्डी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया है. पूर्व मुख्यमंत्री किरन रेड्डी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाकर बीजेपी ने आंध्र प्रदेश के रेड्डी समुदाय को भी संदेश देने का काम किया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी हैं.
तेलंगाना में रेड्डी को जिम्मेदारी
तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश सरकार में छह मंत्री रेड्डी समुदाय से हैं. ऐसे में तेलंगाना में जी किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना और एटेला राजेंद्र को चुनाव मैनेजमेंट कमेटी में शामिल करने का फैसले को राज्य के आगामी चुनावों के मद्देनजर अहम माना जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री रेड्डी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बंडी संजय कुमार की जगह लेंगे. पिछड़े समुदाय (मुन्नरकापू) से ताल्लुक रखने वाले कुमार को 2020 में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. रेड्डी और राजेंद्र की नियुक्ति में जातीय समीकरण का भी खासा ख्याल रखा गया है. किशन रेड्डी जहां सर्वण हैं, वहीं राजेंद्र ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
बीजेपी ने 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम और हुजुराबाद एवं दुब्बाका निर्वाचन क्षेत्रों के उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. पार्टी ने 2019 के लोक सभा चुनाव में तेलंगाना में चार सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि नयी नियुक्तियों से पार्टी के अभियान को राज्य में और बल मिलेगा.
तेलंगाना में बीजेपी ने यहां की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से बीजेपी में आने वाले पूर्व मंत्री एटेला राजेंद्र को राज्य में चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
झारखंड का रण जीतने की तरकीब
झारखंड में बाबूलाल मरांडी की नियुक्ति को भी अहम माना जा रहा है क्योंकि वह जनजातीय समुदाय से आते हैं और राज्य में इसी समुदाय की हितैषी होने का दावा करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्तारूढ़ है. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे मरांडी के अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद पार्टी नेताओं से मतभेद हो गए थे. इसके बाद उन्होंने 2006 में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन कर लिया था.
वर्ष 2020 में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया था. मरांडी झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र से आते हैं और पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. पार्टी उनके आदिवासी वोट बैंक को भी भुनाना चाहेगी.