ऑफिस में यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की अदालती कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
Advertisement

ऑफिस में यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की अदालती कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने दफ्तरों में होने वाले यौन उत्पीड़न (Sex Harreshment on Workplace) से जुड़े मामलों में बड़ा अहम आदेश जारी किया है. इसके तहत अब कोई भी पक्ष, वकील या गवाह मीडिया को अदालत के आदेश या किसी अन्य फाइलिंग के विवरण की जानकारी नहीं दे सकेंगे. 

सांकेतिक तस्वीर

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने ऑफिस में यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) से जुड़े मामलों की अदालती कार्यवाही (Court proceeding) की मीडिया रिपोर्टिंग (Media Reporting) पर रोक लगा दी है. इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कड़ा रुख जताते हुए कहा, 'ऐसे मामलों में लगातर बढ़ा-चढ़ाकर रिपोर्टिंग हो रही है जो कि आरोपी और पीड़ित पक्ष दोनों के ही अधिकारों का हनन है.'

  1. ऑफिस में होने वाले यौन उत्पीड़न का मामला
  2. हाई कोर्ट ने जारी किए अहम दिशा-निर्देश
  3. ऐसे मामलों की मीडिया कवरेज पर लगी रोक

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस जी एस पटेल ने ऐसे मामलों में आरोपी और पीड़ित दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करने का आदेश पारित किया.

मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक

हाई कोर्ट ने इससे जुड़े आदेशों और फैसलों की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का आदेश जारी करते हुए कहा कि इन मामलों के आदेश भी सार्वजनिक या अपलोड नहीं किए जा सकते हैं. वहीं ऑर्डर की कॉपी में पार्टियों की व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी का जिक्र भी नहीं किया जाएगा.

ये भी पढे़ं- Madhya Pradesh: 14 साल की लड़की के साथ 8 महीने हुआ गैंगरेप, जब हुई प्रेग्नेंट तो नवजात बच्चे को कुएं में फेंका

fallback
(फाइल फोटो)

सुनवाई में शामिल होंगे सिर्फ ये लोग

हाई कोर्ट ने ये भी कहा, 'कोई भी आदेश खुली अदालत में नहीं बल्कि न्यायाधीश के कक्ष में या इन कैमरा दिया जाएगा. अगर किसी भी पक्ष द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है तो इसे कोर्ट की अवमानना ​​माना जाएगा.' इसी आदेश के तहत, अब कोई भी पक्ष, उनके वकील या गवाह मीडिया को मामले में जारी अदालत के आदेश या किसी अन्य फाइलिंग के विवरण की जानकारी नहीं दे सकेंगे. हाई कोर्ट की हालिया रूलिंग के तहत अब सिर्फ वकीलों और वादियों को ही ऐसे मामलों की सुनवाई में हिस्सा लेने की इजाजत होगी.

 

Trending news