Trending Photos
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने ऑफिस में यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) से जुड़े मामलों की अदालती कार्यवाही (Court proceeding) की मीडिया रिपोर्टिंग (Media Reporting) पर रोक लगा दी है. इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कड़ा रुख जताते हुए कहा, 'ऐसे मामलों में लगातर बढ़ा-चढ़ाकर रिपोर्टिंग हो रही है जो कि आरोपी और पीड़ित पक्ष दोनों के ही अधिकारों का हनन है.'
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस जी एस पटेल ने ऐसे मामलों में आरोपी और पीड़ित दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करने का आदेश पारित किया.
हाई कोर्ट ने इससे जुड़े आदेशों और फैसलों की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का आदेश जारी करते हुए कहा कि इन मामलों के आदेश भी सार्वजनिक या अपलोड नहीं किए जा सकते हैं. वहीं ऑर्डर की कॉपी में पार्टियों की व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी का जिक्र भी नहीं किया जाएगा.
Bombay HC issued guidelines for hearing cases and recording orders in cases under the Sexual Harassment of Women at the Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act and Rules.
According to which, "In the order sheets, names of the parties will not be mentioned." pic.twitter.com/s1lpMXEkT2
— ANI (@ANI) September 28, 2021
ये भी पढे़ं- Madhya Pradesh: 14 साल की लड़की के साथ 8 महीने हुआ गैंगरेप, जब हुई प्रेग्नेंट तो नवजात बच्चे को कुएं में फेंका
(फाइल फोटो)
हाई कोर्ट ने ये भी कहा, 'कोई भी आदेश खुली अदालत में नहीं बल्कि न्यायाधीश के कक्ष में या इन कैमरा दिया जाएगा. अगर किसी भी पक्ष द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.' इसी आदेश के तहत, अब कोई भी पक्ष, उनके वकील या गवाह मीडिया को मामले में जारी अदालत के आदेश या किसी अन्य फाइलिंग के विवरण की जानकारी नहीं दे सकेंगे. हाई कोर्ट की हालिया रूलिंग के तहत अब सिर्फ वकीलों और वादियों को ही ऐसे मामलों की सुनवाई में हिस्सा लेने की इजाजत होगी.