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नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने दिल्ली में 1,000 लो फ्लोर बसों (Low Floor Buses) की खरीद के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इस मामले में सबसे पहले बीजेपी विधायक विजेंदर गुप्ता ने LG से शिकायत की थी. LG हाउस ने इस मामले को गृह मंत्रालय को भेज दिया था. अब गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इसकी जांच सीबीआई (CBI) से करने के आदेश दिए हैं. सीबीआई जांच की सिफारिश पर प्रतिक्रिया में दिल्ली सरकार ने कहा है कि बीजेपी, कदम-कदम पर आम आदमी पार्टी (AAP) को बदनाम करने की साजिश रचती रहती है, लेकिन कभी कामयाब नहीं हो पाती है.
दिल्ली सरकार पर आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने 2 कंपनियों के साथ 1000 लो फ्लोर बसों को खरीदने का एग्रीमेंट किया था, लेकिन इस खरीद की प्रक्रिया में अनियमितता (Irregularity) पाई गई है.
गौरतलब है कि भाजपा दिल्ली ने दो महीने पहले 21 जून 2021 को लो फ्लोर बसों की खरीद मामले की सीबीआई (CBI) से जांच कराने की मांग की थी. भाजपा नेताओं का कहना है कि लो फ्लोर बसों की खरीद प्रक्रिया में अनियमितता हुई है. इसके लिए दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के प्रबंध निदेशक (Managing Director) जिम्मेदार हैं. दोनों को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.
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बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि DTC बस खरीद घोटाले में CBI जांच शुरू हो गई है और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को तुरंत बर्खास्त करके गिरफ्तार कर लेना चाहिए. केजरीवाल सरकार ने 5000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार को दबाने और रफा-दफा करने का भरसक प्रयास किया. बस खरीद घोटाले में आम आदमी पार्टी ने चुप्पी क्यों साध ली है?
DTC बस ख़रीद घोटाले में CBI जाँच शुरू।
परिवहन मंत्री @kgahlot को तुरंत बर्खास्त कर,गिरफतार करो।@ArvindKejriwal सरकार ने 5000 करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार को दबाने और रफादफा करने का भरसक प्रयास किया।
बस ख़रीद घोटाले में @AamAadmiParty ने चुप्पी क्यों साध ली ?#KejriwalKaBusScam pic.twitter.com/ofJxNZjvoE— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) August 19, 2021
वहीं, इस मामले मे दिल्ली सरकार का कहना है कि इन आरोपों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. मामले की गहन जांच के लिए पहले ही एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने क्लीन चिट दे दी थी. आप (AAP) नेता सौरभ भारद्वाज ने इस मामले पर कहा कि गृह मंत्रालय ने पहले भी शुंगलू कमेटी बनाकर दिल्ली सरकार की 450 फाइलों की जांच की थी, उसमें उन्हें कुछ मिला नहीं था. इस मामले में भी वे जांच कर सकते हैं, जांच का स्वागत है. लेकिन केंद्र ने अब तक जितनी भी जांच कराई है, उनमें कुछ नहीं निकला है.
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