यह कोई सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट सेक्टर की परियोजना है जो विवादों में रही है. पहले इस प्रोजेक्ट का जमकर विरोध हुआ था. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट को बंद कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया था लेकिन ऐसा नहीं हो सका था.
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नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है. चमोली (Chamoli) जिले में ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई. कई लोग बाढ़ के चलते मंझदार में फंस गए तो कई लोगों की जान चली गई. बाढ़ की वजह से जब धौलगंगा घाटी और अलकनंदा क्षेत्र में नदी ने विकराल रूप धारण किया तो ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर स्थित रैणी गांव के करीब एक प्राइवेट कंपनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना (Rishi Ganga Power Project) को भारी नुकसान पहुंचा है.
देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में बिजली उत्पादन की एक परियोजना चल रही है, जिसका नाम ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट पर 10 साल से अधिक वक्त से काम जारी था. यह कोई सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट सेक्टर की परियोजना है जो विवादों में रही है. पहले इस प्रोजेक्ट का जमकर विरोध हुआ था. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट को बंद कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया था लेकिन ऐसा नहीं हो सका था.
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तमाम विवादों के बावजूद इस क्षेत्र में करीब एक दशक पहले शुरू हुई परियोजना के तहत यहां पर बिजली का उत्पादन शुरू हो गया था. यहां पर पानी से बिजली पैदा करने का काम चल रहा था. यह प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर बनाया गया है और यह नदी धौली गंगा में मिलती है.
यहां पर वर्तमान में पानी से बिजली पैदा करने का काम चल रहा था. प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर बनाया गया और ये नदी धौली गंगा में मिलती है. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के जरिए 63,520 MWH बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि फिलहाल कितना उत्पादन हो रहा था, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी मौजूद नहीं है. शुरुआती दावों की बात करें तो ये कहा गया था कि जब भी प्रोजेक्ट अपनी पूरी क्षमता पर काम करेगा तब यहां से बनने वाली बिजली दिल्ली, हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों में सप्लाई की जाएगी.
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