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Cyber Swachhta Mission: साइबर स्पेस को स्वच्छ बनाने के लिए चंडीगढ़ पुलिस एक अनोखा अभियान चला रही है. चंडीगढ़ पुलिस ने साइबर सोल्जर्स तैयार किए हैं. साइबर सोल्जर्स यानी वो सैनिक जो लोगों के बीच जाकर साइबर स्वच्छता मिशन के माध्यम बन रहे हैं. चंडीगढ़ डीजीपी प्रवीर रंजन की परिकल्पना और निर्देशन में चल रहे इस प्रयास की सराहना केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक कर चुके हैं. चंडीगढ़ साइबर सेल के एसपी केतन बंसल के मुताबिक, पहले बैच में 300 छात्रों को साइबर सोल्जर्स के रूप में तैयार किया जा चुका है. दूसरे बैच में 400 छात्रों को साइबर सोल्जर्स के लिए सूचीबद्ध करवाया गया है.
साइबर एसपी केतन बंसल के मुताबिक, यह पुलिस, समुदाय, शिक्षा और उद्योग के बीच एक साझेदारी है. साइबर सोल्जर्स की यह परियोजना इसलिए भी अनोखी है क्योंकि इसके माध्यम से साइबर सोल्जर्स की लंबी चौड़ी फौज तैयार हो रही है और इस फौज की मदद से सभी नागरिकों तक पुलिस की साइबर परियोजना की बात आसानी से पहुंच रही है. सोशल मीडिया से लेकर सभी तरह के प्रशिक्षण से लैस साइबर सोल्जर्स चंडीगढ़ में सुरक्षित साइबर स्पेस का माहौल तैयार करने में मददगार बन रहे हैं.
ऐसे तैयार हो रहे हैं साइबर सोल्जर्स
साइबर जागरूकता फैलाने के लिए किशोर और युवाओं को साइबर सोल्जर्स के रूप में तैयार किया जा रहा है. चंडीगढ़ डीजीपी प्रवीर रंजन की पहल पर शुरू की गई इस परियोजना में साइबर बैकग्राउंड के छात्रों को चंडीगढ़ पुलिस के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. साइबर सोल्जर्स के लिए तैयार होने वाले छात्रों को साइबर की शिक्षा देने के लिए जाने माने साइबर एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है. ऐसे छात्रों को इंफोसिस जैसी कंपनी में इंटर्नशिप कराई जाती है. इस दौरान उन्हें संपूर्ण तकनीकी शिक्षा दी जाती है.
साइबर सोल्जर्स का मकसद
साइबर सेल एसपी केतन बंसल ने Zee News को बताया कि अब तक तैयार किए गए साइबर सोल्जर्स 28 हजार लोगों से संपर्क कर चुके हैं. साइबर सोल्जर्स तैयार करने की परियोजना के पीछे युवा शक्ति को सकारात्मक सोच, साइबर स्पेस के रचनात्मक प्रयोग और देश की सुरक्षा और विकास में उनके योगदान का मकसद है. इसके अलावा इस परियोजना के माध्यम से साइबर साक्षरता, साइबर स्वच्छता और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी फैलाई जा रही है. सोशल मीडिया के इस्तेमाल, साइबर पैट्रोलिंग और साइबर क्राइम से बचाव के अलावा सोल्जर्स पुलिस के लिए इंटेलिजेंस जुटाने का काम भी बखूबी कर रहे हैं. पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में 300 छात्रों को फेज एक के द्वारा साइब सोल्जर्स के रूप में जोड़ा गया था.
मुख्य रूप से साइबर सोल्जर्स ये काम करते हैं
- साइबर सुरक्षा और स्वच्छता
- सोशल मीडिया एनालिटिक्स
- OSINT टूल का उपयोग
- फेक न्यूज / सोशल मीडिया अपराध
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध
- साइबर कानून
- साइबर फोरेंसिक
साइबर सोल्जर्स के काम
दो माह की इंटर्नशिप के दौरान साइबर सोल्जर्स को कई काम दिए जाते हैं. इनमें साइबर स्वच्छता टिप्स से लोगों को अवगत कराना, फेक न्यूज और गलत सूचनाओं के लिए वीडियो तैयार करना, वरिष्ठ नागरिकों का सर्वे करना और उनमें साइबर जागरूकता फैलाना. साइबर जागरूकता से संबंधित सामग्रियों का सोशल मीडिया के माध्यम से नियमित प्रचार. सभी प्रकार से साइबर फ्रॉड से बचाव की सामग्री तैयार करना. सोशल मीडिया के सर्वोत्तम टूल्स की पहचान और ओपन सोर्स टूल लाइब्रेरी बनाना. शिकायतकर्ताओं से मिलकर उनकी शिकायत का विवरण तैयार करना और रिस्की व्यवहार का विवरण बनाना. साइबर सुरक्षा के वीडियो तैयार करना, साइबर क्राइम का सर्वे. प्रत्येक इंटर्न को 200-300 लोगों से संपर्क करने का लक्ष्य दिया जाता है. प्रशिक्षण-साइबर सोल्जर्स को 6 माह की ट्रेनिंग में चार माडयूल के हिसाब से प्रशिक्षित किया जाता है.
पुलिस का निर्देशन
प्रत्येक साइबर सोल्जर्स इंटर्न को एक पुलिस अफसर मेंटर (mentor) के रूप में दिया जाता है. इस पुलिस अफसर की जिम्मेदारी होती है कि वो सोल्जर्स को साइबर यूनिट की कार्य शैली से अवगत कराए. इसी पुलिस अफसर के जिम्मे सोल्जर्स की परीक्षा लेने और उनके परफार्मेंस की रिपोर्ट तैयार करना भी होता है. तैयार हो गए साइबर सोल्जर्स को थाने के बीट कांस्टेबल की मदद से लोगों तक पहुंचना है और उनके बीच साइबर जागरूकता के टिप्स बांटने और उन्हें शिक्षित करना है. गौरतलब है कि साइबर प्रोजेक्ट के लिए चंडीगढ़ पुलिस के साथ पंजाब विश्वविद्यालय, पंजाब इंजिनियरिंग कालेज, मेहर चंद महाजन डीएवी कालेज ने तो हाथ मिलाया ही है इनके अलावा इंफोसिस जैसी आईटी कंपनियां भी चंडीगढ़ पुलिस का सहयोग कर रही हैं.
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