लोगों के दिमाग में चल रही उथल-उथल को देखते हुए हम आपके लिए एक ऐसा वीडियो लेकर आए हैं, जिसमें आप पूरी तरह समझ पाएंगे कि आखिर चंद्रयान -2 (Chandrayaan 2) कैसे बना, कैसे लैंड करेगा आदि सभी जानकारी.
Trending Photos
नई दिल्ली: चंद्रयान (Chandrayaan 2) का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) आज (6 सितंबर) रात करीब 2 बजे चंद्रमा (Moon) की धरती पर लैंड करेगा. इसे लेकर दुनिया भर की नजरें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) पर टिकी हुई हैं. भारत में क्या बच्चे, क्या बड़े सभी चंद्रयान -2 (Chandrayaan 2) की ही चर्चा कर रहे हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) काफी उत्साहित हैं. वह इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए खुद ISRO के मुख्यालय में मौजूद रहेंगे. इस रोमांचक पल को लेकर हरेक हिन्दुस्तानी के दिमाग में तरह-तरह की बातें चल रही हैं. क्या होगा, कैसे लैंडिंग होगी आदि. लोगों के दिमाग में चल रही इसी उथल-उथल को देखते हुए हम आपके लिए एक ऐसा वीडियो लेकर आए हैं, जिसमें आप पूरी तरह समझ पाएंगे कि आखिर चंद्रयान -2 (Chandrayaan 2) कैसे बना, कैसे लैंड करेगा आदि सभी जानकारी.
इस वीडियो को खुद ISRO ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर किया है. इस वीडियो में एनीमेशन के जरिए स्पष्ट तौर से दर्शाया गया है कि चंद्रयान (Chandrayaan) का निर्माण कैसे हुआ, वह चांद की धरती पर कैसे लैंड करेगा. देखें वीडियो-:
सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर आश्वस्त हैं ISRO प्रमुख
चंद्रयान (Chandrayaan) की सफल लैंडिंग को लेकर भले ही आम लोगों के दिमाग में उथल-उथल चल रही है, लेकिन ISRO प्रमुख आश्वस्त हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चीफ के सिवन (K Sivan) ने न्यूज एजेंस ANI से बातचीत में कहा, 'हम एक ऐसी जगह पर उतरने जा रहे हैं, जहां इससे पहले कोई नहीं गया था. हम सॉफ्ट लैंडिंग के बारे में आश्वस्त हैं. हम रात का इंतजार कर रहे हैं.'
यहां बता दें कि चंद्रयान -2 (Chandrayaan 2) का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफल रहता है तो यह एक रिकॉर्ड होगा. आज से पहले रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश भी बन जाएगा.
ये भी पढ़ें: चंद्रयान 2: भारत रचने जा रहा है इतिहास, फिर भी ममता बनर्जी को सूझ रही राजनीति
विक्रम लैंडर (Vikram Lander) के साथ प्रज्ञान नामक रोवर भी चांद पर जा रहा है. इसरो का दावा है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार कोई देश कदम रखेगा. चांद तो काफी बड़ा है, लेकिन भारत अपने शोध यान को इसके दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतार रहा है? इस सवाल का जवाब आपको यहां मिलेगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है.
दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म होने के मौजूद होने की संभावनाएं हैं. चंद्रयान -2 (Chandrayaan 2) चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा. इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिले.
इसरो आज देर रात चांद के जिस दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर विक्रम उतारेगा, वह कई मायनों में खास है. यहां कई बड़े गड्ढे हैं. इसी हिस्से पर सौर मंडल में मौजूद बड़े गड्ढों (क्रेटर) में से एक बड़ा गड्ढा यहीं मौजूद है.इसका नाम साउथ पोल आइतकेन बेसिन है. इसकी चौड़ाई 2500 किमी और गहराई 13 किमी है. चांद के इस हिस्से के सिर्फ 18 फीसदी भाग को पृथ्वी से देखा जा सकता है. बाकी के 82 फीसदी हिस्से की पहली बार फोटो सोवियत संघ के लूना-3 शोध यान ने 1959 में भेजी थी. तब इस हिस्से को पहली बार देखा गया था.