Bird Flu: राष्ट्रीय राजधानी में मुर्गे-मुर्गियों के दाम करीब-करीब आधे हो गए हैं. इससे जहां कारोबारियों को नुकसान हुआ है. वहीं लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं. पहले जिंदा मुर्गा 120-125 रुपये किलोग्राम की दर से बिक रहा था, वहीं अब यह 55 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है.
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में बर्ड फ्लू (Bird Flu) की दस्तक के बीच 'चिकन' के दामों में भारी गिरावट (Chicken price fall) आई है. यहां मुर्गे-मुर्गियों के दाम करीब-करीब आधे हो गए हैं. इससे जहां कारोबारी परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ कम आमदगी वाले लोग जमकर चिकन खरीद रहे हैं.
पुरानी दिल्ली में मुर्गे के मांस की दुकान चलाने वाले अतीक कुरैशी ने बताया कि दो-तीन दिन पहले तक मुर्गे का मांस 190 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम था जो अब 110-120 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से 7 महीने दुकान बंद थी और अब यह वायरस आ गया है, जिससे मांस की बिक्री में कमी आई है. हालांकि मुर्गे के दाम कम होने से कम आमदनी वाले और गरीब लोग इसकी खरीदारी ज्यादा कर रहे हैं.
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वहीं जामा मस्जिद के पास मुर्गे का कारोबार करने वाले इकबाल का भी यही कहना है. उन्होंने कहा कि बर्ड फ्लू के कारण पढ़े-लिखे और संपन्न लोग चिकन की खरीदारी से बच रहे हैं. जबकि कम आमदनी वाले ऐसे लोग जो ऊंची कीमत की वजह से मुर्गा नहीं खरीद पाते थे या कम मात्रा में खरीदते थे, वे अब दो-ढाई किलोग्राम तक खरीद रहे हैं. इकबाल ने कहा कि मुर्गे के दाम बीते दो-तीन दिन में ही काफी गिर गए है. जहां जिंदा मुर्गा 120-125 रुपये किलोग्राम की दर से बिक रहा था, वहीं अब यह 55 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है.
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क्यूआरजी सेंट्रल हॉस्पिटल में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा कि अच्छी तरह से पके हुए चिकन को खाने में कोई हर्ज नहीं है. अगर चिकन में संक्रमण है भी तो वह अच्छी तरह से पकने पर खत्म हो जाएगा. लेकिन अधपका मांस नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण फैल सकता है. डॉ. कुमार ने कहा कि संक्रमण संक्रमित पक्षी की लार या बलगम या मल के संपर्क में आने से फैलता है.
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मटिया महल मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख और अल जवाहर होटल के मालिक मोहम्मद अकरम कुरैशी ने बताया कि कारोबार बहुत मंदा है. कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण होटल व रेस्तरां 7-8 महीने लगभग बंद रहे. कोरोना वायरस की वजह से विदेशी सैलानी भी नहीं आ रहे हैं. घरेलू पर्यटक भी न के बराबर हैं. जो भी ग्राहक हैं, वे स्थानीय ही हैं. लेकिन अब बर्ड फ्लू आ गया है जिससे ग्राहकों की संख्या और कम होगी.
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