गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन ने बनाई नई सड़क, भारत ने इंडो-पैसिफिक में कसी कमर
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गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन ने बनाई नई सड़क, भारत ने इंडो-पैसिफिक में कसी कमर

इस सड़क के बन जाने से चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में भारी तोपखाने को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे भारत के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में भारत के खिलाफ दो-मोर्चे की लड़ाई शुरू करने की क्षमता बढ़ जाएगी.

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली: चीन (China) ने एक ऐसी सड़क बनाने का फैसला किया है, जो 800 किलोमीटर के काराकोरम राजमार्ग (Karakoram Highway) को पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) के अस्तोर के साथ जोड़ेगी. इस कदम के साथ बीजिंग और इस्लामाबाद लद्दाख (Ladakh) पर दबाव बढ़ाने का इरादा रखे हुए हैं.

सड़क बनने का मतलब भारत के लिए 'खतरा'

सूत्रों ने बताया कि चीन एक पूर्व बौद्ध फॉन्ट यारकंद (Yarkand) को और फिर उइगर संस्कृति (Uyghur Culture) के सांस्कृतिक दिल को काराकोरम हाईवे के माध्यम से अस्तोर के साथ जोड़ना चाहता है. एक बार 33 मीटर चौड़ी सड़क बन जाने के बाद, चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में भारी तोपखाने को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे लद्दाख में आगे के स्थानों (फॉरवर्ड एरिया) पर भारतीय पक्ष को खतरा पैदा हो सकता है.

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नई सड़क से बढ़ जाएगी पाकिस्तान-चीन की क्षमता

अस्तोर जिला स्कर्दू के पश्चिम में है, जो पाकिस्तान (Pakistan) का एक डिवीजन मुख्यालय है, जहां से लद्दाख ज्यादा दूर नहीं है. लद्दाख में कई स्थानों पर चीन और भारत के बीच पिछले लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है. अस्तोर का मुख्यालय ईदगाह में है और यह गिलगित-बाल्टिस्तान के 14 जिलों में से एक है. एक लो क्वालिटी वाली सड़क वर्तमान में ईदगाह को काराकोरम राजमार्ग से जोड़ती है, जो 43 किलोमीटर दूर है. विश्लेषकों का कहना है कि नई सड़क के निर्माण से चीन और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में भारत के खिलाफ दो-मोर्चे की लड़ाई शुरू करने की क्षमता बढ़ जाएगी.

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भारत ने कसी कमर

चीन की ओर से सामरिक तौर पर (Tactically) महत्वपूर्ण तैनाती के साथ ही प्रारंभिक रणनीतिक लाभ का मुकाबला करते हुए इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भारत हिमालय में ही नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक के पानी में भी जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. भारत, जापान और अमेरिका के साथ साझेदारी में चीन से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण मील के पत्थर को पार कर गया है, जहां वह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (ANI) से गुजरने वाले चीनी कामर्शियल जहाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लेन को लेकर रणनीतिक तौर पर सुदृढ़ हो रहा है.

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