India China News: अजीत डोभाल एक विशेष मीटिंग के लिए मॉरीशस पहुंचे हैं। इस बैठक में श्रीलंका, मॉरीशस, मालदीव भी शामिल होंगे। जब सालभर में हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी शिप को लेकर कई तरह की टेंशन देने वाली खबरें आई हैं, भारत का पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण कदम है। भारत के लिए रणनीतिक सहयोग चीन के मद्देनजर अनिवार्य भी हो गया है।
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Ajit Doval in Mauritius: हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने सक्रियता बढ़ा दी है। एक्सपर्ट कई महीने से इस बात को लेकर आगाह कर रहे हैं। वास्तव में हिंद महासागर के लिए चीन ने अलग रणनीति अपना रखी है। एक, चीन अपने दोस्त पाकिस्तान के साथ मिलकर गतिविधियां बढ़ा रहा है। इसके लिए वह अरब सागर में समुद्री अभ्यास पर फोकस कर रहा है। दूसरा, ड्रैगन ने एक एंटी-पाइरेसी एस्कॉर्ट फोर्स बनाई है जिसमें एक डेस्ट्रॉयर, युद्धपोत, टैंकर, डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी और एक सपोर्ट जहाज को शामिल किया है। पाइरेसी के खिलाफ मिशन में पनडुब्बी को उतारना काफी चौंकाने वाला कदम है। वैसे भी चीन की हरकतें ऐसी रही हैं कि उस पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता है। वह कहता है कि रिसर्च हो रही है बाद में पता चलता है कि जासूसी हो रही थी। हिंद महासागर में जब चीन की हरकतें बढ़ रही हों तो क्षेत्र में भारत के सहयोगी देशों की भूमिका अहम हो जाती है। वैसे सहयोगियों के भी अपने हित होते हैं। वे खुलकर किसी देश के खिलाफ नहीं हो सकते। कुछ महीने खबर आई थी कि चीन की एक 'जासूसी शिप' शी-यान 6 कोलंबो पोर्ट पर रुकी थी। लंका के पोर्टों पर चीन के दोहरे उद्देश्य वाले जहाज रुकने से भारत का अलर्ट होना लाजिमी है। मोदी सरकार ने 'भारत के जेम्स बॉन्ड' कहे जाने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक खास मिशन सौंपा है।
ग्रुप में श्रीलंका के अलावा और कौन?
हां, यह काम बेहद सावधानी से किया जाना है। अजीत डोभाल इस काम में माहिर हैं। वह 6वें कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में शिरकत करने के लिए मॉरीशस पहुंचे हैं। वह सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय समुद्री सहयोग बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं। यह प्लेटफॉर्म महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर के चार प्रमुख देशों को करीब लाता है। यह मौका है जब भारत श्रीलंका, मालदीव और चौथे सदस्य मॉरीशस से 'मन की बात' कर सके। वैसे भी चीन के कर्ज के जाल में छोटे द्वीपीय देशों को फंसाने की रणनीति अब दुनिया को पता चल चुकी है।
इससे पहले पांचवीं सिक्योरिटी कॉन्क्लेव पिछले साल मालदीव में हुई थी। समझा जा रहा है कि इस बार समुद्री रक्षा एवं सुरक्षा, आतंकवाद पर अंकुश लगाने के साथ कट्टरपंथ की तरफ युवाओं को जाने से रोकने पर बात हो सकती है। चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर मॉरीशस का सदस्य के तौर पर समूह में शामिल होना और बांग्लादेश- सेशल्स का पिछली बार पर्यवेक्षक के तौर पर जुड़ना, इसे रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण ग्रुप बना देता है।
पड़ोसियों की मदद के लिए तैयार भारत
भारत ने करके दिखाया है कि जब किसी पड़ोसी देश को मदद की दरकार होती है तो वह हमेशा 'बड़े भाई' की भूमिका निभाता है और पहले पहुंचता है। इस बार भी क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों का जिक्र होने पर NSA ने दोहराया कि भारत पहले प्रतिक्रिया देने वाले देश में रहेगा। उन्होंने समुद्र के पड़ोसियों के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। इस समूह का स्थायी सचिवालय कोलंबा में स्थापित किया गया है जो एनएसए स्तर पर लिए गए फैसलों पर नजर रखने के साथ ही उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
अमेरिका ने चीन पर किया अलर्ट
पेंटागन की अक्टूबर में आई एक रिपोर्ट बताती है कि चीन की नौसेना अपनी क्षमता बढ़ा रही है। यह दूर समंदर में अपना दबदबा बढ़ाने की जुगत में लगी है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएलए की नेवी के पास 370 से ज्यादा जंगी पोत और सबमरीन हैं। पिछले साल शिप की संख्या 340 पता चली थी। कहा जा रहा है कि 2030 तक चीन के पास 435 जंगी जहाज हो जाएंगे। चिंता की बात यह है कि चीन के असैन्य जहाज भी भारी व्हीकल और लोगों का लोड लेकर चल सकते हैं। इस तरह से ये शिप दो तरह से इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
आज पता चला है कि चीन की रिसर्च शिप शी-यान 6 स्वदेश लौट गई है। यह सितंबर में हिंद महासागर में दाखिल हुई थी, जिसे भारत के लिए बड़े सुरक्षा खतरे के तौर पर देखा जा रहा था। अब चीन से खबरें आ रही हैं कि उसकी शिप ने वैज्ञानिक अभियान पूरा कर लिया है। इस शिप पर 37 वैज्ञानिक थे। ऐसे में डोभाल का हिंद महासागर क्षेत्र के महत्वपूर्ण सहयोगी देश में होना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।