CJI ने 7 संवैधानिक बेंच का गठन किया, विरोध करने वाले 4 जजों के नाम शामिल नहीं
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CJI ने 7 संवैधानिक बेंच का गठन किया, विरोध करने वाले 4 जजों के नाम शामिल नहीं

इस पीठ के गठन के बाद गौर करने वाली बात यह है कि कुछ दिनों पहले मीडिया को संबोधित करने वाले जजों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चार सबसे वरिष्ठ जस्टिस के बीच बेशक से कथित तौर पर मतभेद सुलझने की बात कही जा रही हो, लेकिन ताजा हालातों को देखकर ऐसा नहीं लग रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अहम मामलों की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के गठन का ऐलान कर दिया गया है. इस पीठ के गठन के बाद गौर करने वाली बात यह है कि कुछ दिनों पहले मीडिया को संबोधित करने वाले जजों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

  1. संविधान पीठ आधार कानून की संवैधानिक वैधता पर करेगी सुनवाई.
  2. यह संविधान पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.
  3. इसी संविधान पीठ ने पिछले साल कई मामलों की सुनवाई की थी.

17 जनवरी से होगी अहम मसलों पर सुनवाई
सोमवार को गठित की गई संविधान पीठ में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले चारों न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ में से किसी का नाम पांच जजों की संविधान पीठ के सदस्यों के रुप में शामिल नहीं किया गया है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 17 जनवरी से कई अहम मुद्दों पर सुनवाई शुरू होनी है जिसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है.सुप्रीम पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं.

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इन मामलों पर सुनवाई करेगी संवैधानिक पीठ
सोमवार की जारी की गई कार्यसूची के अनुसार पांच न्यायाधीशों की पीठ आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले और सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करेगी.

इन्हीं न्यायाधीशों ने पिछले साल 10 अक्तूबर से संविधान पीठ के विभिन्न मामलों में सुनवाई की थी. इनमें प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का मामला भी है.

पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओें के प्रवेश पर रोक के विवादास्पद मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी और इस कानूनी सवाल पर सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी. संविधान पीठ अन्य जिन मामलों को देखेगी उनमें आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी.

चीफ जसिस्टस पर उठाए थे सवाल
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के चार सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में मीडिया से बातचीत की थी. चारों जजों ने मीडिया के सामने आकर कोर्ट प्रशासन और चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए थे. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मुद्दे को सुलझाने की पहल की है. शनिवार शाम बार काउंसिल ने एक बैठक कर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से मिलने का फैसला किया. सभी जजों से चर्चा के बाद काउंसिल के पदाधिकारी उन चारों जजों से भी मुलाकात करेंगे जिन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया था. 

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बार काउंसिल ने कहा सब कुछ सामान्य
बार काउंसिल आफ इंडिया
ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से उत्पन्न संकट आंतरिक तरीके से हल कर लिया गया है और ‘‘अब कहानी खत्म हो गई है.’’ बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व में इस संगठन के सात सदस्यीय शिष्टमंडल ने रविवार को प्रधान न्यायाधीश सहित शीर्ष अदालत के 15 न्यायाधीशों मुलाकात की थी. उन्होंने सोमवार को बताया कि चार न्यायाधीशों द्वारा उठाए गए मसले ‘‘परिवार का अंदरूनी मामला था’’ जिसे सुलझा लिया गया है.

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CJI से मुलाकात पर संदेह
सोमवार को खबर आई थी कि चारों जज वापस अपने काम पर लौट गए हैं. सोमवार को सीजेआई के साथ एक बार फिर विरोध करने वाले चारों जज लाउंज में नजर आए. चारों जजों ने सुप्रीम कोर्ट ने बाकि जज और सीजेआई के साथ चाय पर चर्चा की. जिस वक्त सुप्रीम कोर्ट के जज चाय पर चर्चा कर रहे थे, उस वक्त कोर्ट से बाकि स्टॉफ को बाहर निकाल दिया गया था, लेकिन अब इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं जा रही है. 

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