इनकम टैक्‍स का झमेला: चिदंबरम, सिंघवी और सिब्बल जैसे महारथियों के रहते कांग्रेस से कैसे हो गई इतनी बड़ी चूक
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इनकम टैक्‍स का झमेला: चिदंबरम, सिंघवी और सिब्बल जैसे महारथियों के रहते कांग्रेस से कैसे हो गई इतनी बड़ी चूक

Congress Income Tax Case: कांग्रेस पार्टी में अभिषेक मनु सिंघवी, पी चिदंबर, सलमान खुर्शीद जैसे नामी वकील मौजूद हैं. कपिल सिब्बल भी दो साल पहले तक कांग्रेस में थे. इसके बावजूद, पार्टी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने जैसी सामान्य प्रक्रिया में कैसे चूक गई?

इनकम टैक्‍स का झमेला: चिदंबरम, सिंघवी और सिब्बल जैसे महारथियों के रहते कांग्रेस से कैसे हो गई इतनी बड़ी चूक

Congress Income Tax Reassessment: कांग्रेस पार्टी अभूतपूर्व संकट में है. पार्टी का दावा है कि उसके सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं. गुरुवार को कांग्रेस के तीनों टॉप नेता- अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष- सोनिया गांधी और राहुल गांधी मीडिया के सामने आए. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को वित्तीय रूप से पंगु बना दिया है. पार्टी इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट के रडार पर है. मामला पार्टी के इनकम टैक्‍स रिटर्न्‍स से जुड़ा है. IT विभाग ने 2018-19 के लिए पार्टी के इनकम टैक्‍स री-असेसमेंट की कार्यवाही शुरू की है. कांग्रेस ने उस साल का आयकर रिटर्न समय से फाइल नहीं किया. इस देरी का नतीजा यह हुआ कि उसे इनकम टैक्‍स में मिली छूट छिन गई. आयकर विभाग ने 2021 में रीअसेसमेंट का आदेश जारी कर दिया. आखिर दिग्‍गज वकीलों के रहते कांग्रेस पार्टी से ऐसी चूक कैसे हो गई? पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम आर्थिक मामलों के जानकार हैं, वकालत भी करते हैं. नामी वकील अभिषेक मनु सिंघवी भी लंबे समय से कांग्रेस में है. जिस समय का यह मामला है, उस वक्‍त तो तेजतर्रार सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल भी कांग्रेस में थे. एक से एक कानूनी महारथियों के रहते कांग्रेस से इतनी सामान्य प्रक्रिया के पालन में चूक कैसे हो गई?

कांग्रेस का इनकम टैक्‍स वाला केस क्‍या है?

जनप्रतिनिधि कानून के तहत, राजनीतिक दलों को इनकम टैक्‍स में 100% छूट मिली हुई है. हालांकि, इसके लिए उन्हें इनकम टैक्‍स एक्‍ट की धारा 13 (A) के प्रावधानों पर खरा उतरना होता है. धारा 13ए कहती है कि राजनीतिक दल दान पर टैक्स छूट के पात्र हैं. हालांकि, समय पर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है. IT एक्ट की धारा 139 (4बी) कहती है कि राजनीतिक दलों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है. अगर रिटर्न फाइल करने में देरी हो तो छूट रद्द हो जाती है और पूरी आय टैक्स के दायरे में आ जाती है. कांग्रेस के केस में यही हुआ.

पढ़ें: क्या है इनकम टैक्स का 13A, जिसके चक्कर में बिगड़ गया कांग्रेस का बैंक बैलेंस

2018-19 का IT रिटर्न पार्टी ने फरवरी 2019 में फाइल किया, जबकि डेडलाइन 31 दिसंबर 2018 की थी. उस साल 199 करोड़ रुपये की आय दिखाई. खातों में 14 लाख रुपये कैश डोनेशन दिखाया गया जो नियमों का उल्लंघन है. सिंगल कैश डोनेशन की लिमिट 2,0000 रुपये है. इसके आधार पर, आयकर विभाग ने 2021 में कांग्रेस को 105 करोड़ की रिकवरी का नोटिस जारी किया. कांग्रेस ने दिल्‍ली हाई कोर्ट में अपील की मगर वहां से राहत नहीं मिली. 16 मार्च, 2024 को आयकर विभाग ने कांग्रेस के बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की रिकवरी की. IT विभाग ने असेसमेंट ईयर 1994-95 के लिए कांग्रेस से करीब 53 करोड़ रुपये की मांग भी की है. 2014-15 और 2020-21 के बीच के सालों के लिए भी फ्री असेसमेंट कार्यवाही शुरू की गई है.

एक से एक धुरंधर वकील, फिर कैसे चूक गई कांग्रेस

अब सवाल उठता है कि कानून के इतने बड़े-बड़े जानकारों के पार्टी में रहते हुए पार्टी से ऐसी गलती कैसे हो गई. सीनियर नेता अजय माकन पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं. यूपीए सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने वाले वकील, पी. चिदंबरम भी कांग्रेस में हैं. सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी जैसा कद्दावर कानूनी जानकारी पार्टी का सदस्य है. सलमान खुर्शीद भी वकालत करते हैं. तमाम हाई प्रोफाइल मामलों में कांग्रेस की पैरवी कर चुके कपिल सिब्बल भी 2022 तक पार्टी का हिस्सा थे. ऐसे धुरंधरों के रहते पार्टी का इनकम टैक्स रिटर्न के इस झमेले में फंस जाना हैरान करता है.c

कांग्रेस के तमाम आरोपों पर सत्ताधारी बीजेपी ने कहा कि सारी कार्यवाही इनकम टैक्‍स एक्‍ट के तहत हुई है. बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने सभी कानूनी रास्ते अपनाए, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी गई जहां 1 अप्रैल को मामला सुना जाएगा. प्रसाद ने कहा, 'IT एक्ट के तहत राजनीतिक दल को इनकम टैक्‍स से छूट है बशर्ते वे हर साल रिटर्न फाइल करें और ऑडिटर की रिपोर्ट सबमिट करें... नहीं तो छूट छिन जाती है.'

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