Karnataka CM: 100 घंटे बाद भी कर्नाटक में सियासी 'नाटक', चले बैठकों के दौर, डीके शिवकुमार ने किया शक्ति प्रदर्शन
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Karnataka CM: 100 घंटे बाद भी कर्नाटक में सियासी 'नाटक', चले बैठकों के दौर, डीके शिवकुमार ने किया शक्ति प्रदर्शन

DK Shivakumar Vs Siddaramaiah: कर्नाटक में नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह 4 दिन बार भी कांग्रेस तय नहीं कर पाई है. दिल्ली से बेंगलुरु तक सियासी हलचल जारी है. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के समर्थकों का जोश हाई है. 

Karnataka CM: 100 घंटे बाद भी कर्नाटक में सियासी 'नाटक', चले बैठकों के दौर, डीके शिवकुमार ने किया शक्ति प्रदर्शन

Karnataka New CM: कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को 135 सीटें दे दीं कि लो सरकार बनाओ और 5 गारंटी पूरी करो. लेकिन 100 घंटे बाद भी डेडलॉक बना हुआ है. तय नहीं हो पा रहा है कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए. सिद्धारमैया को या फिर डीके शिवकुमार को? दिल्ली में बैठकों के ताबड़तोड़ राउंड चल रहे हैं. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने बुधवार को राहुल गांधी से भी मुलाकात की.

मुस्कुराती हुई तस्वीरें भी रिलीज हुईं.दोनों की सोनिया गांधी से भी फोन पर बात हुई. इसके बाद बेंगलुरू में जश्न शुरू हो गया. कहीं से खबर फैली कि सिद्धारमैया का नाम फाइनल हो गया है और शिवकुमार डिप्टी सीएम बनेंगे. सिद्धारमैया के समर्थकों ने जश्न भी मना लिया, मिठाइयां भी बांट दीं. 

सुरजेवाला बोले- अभी नहीं हुआ फैसला

लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बंगले से बाहर आकर पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये सब अफवाह है. अभी कोई नाम फाइनल नहीं हुआ है. एक-दो दिन में जैसे ही तय हो जाएगा, पार्टी खुद इसका ऐलान करेगी. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के सीएम सेलेक्शन में बीजेपी जबरन दिलचस्पी ले रही है और अफवाहें फैला रही है.

वहीं कांग्रेस के एक पूर्व नेता सुधाकर के ने सिद्धारमैया पर सनसनीखेज आरोप लगाया है. सुधाकर ने 2019 में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के पीछे भी इशारों-इशारों में सिद्धारमैया पर गंभीर आरोप लगाए. सुधाकर ने कहा कि उन्होंने जब सिद्धारमैया से शिकायत की, तो उन्होंने कहा कि इस सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.

जानकारी मिल रही है कि जब आज डीके शिवकुमार ने राहुल गांधी की मुलाकात की तो उनको डिप्टी सीएम समेत 5 से 7 विभागों का मंत्री पद ऑफर दिया गया है. इसके अलावा वह प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहेंगे.

चलिए पहले टाइम लाइन जान लेते हैं.

13 मई: इस दिन नतीजे आए और  135 सीटों पर कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल करते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया. 

14 मई : बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें एक लाइन का प्रस्ताव पास हुआ कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला खड़गे करेंगे.

15 मई: पर्यवेक्षक दिल्ली पहुंचे और उन्होंने खड़गे को रिपोर्ट सौंपी. सिद्धारमैया तो दिल्ली पहुंचे लेकिन शिवकुमार नहीं आए.

16 मई: खड़गे के घर पर राहुल गांधी के साथ बैठक हुई. डीके शिवकुमार दिल्ली आए और खरगे से मिले. इसके बाद खड़गे के साथ सिद्धारमैया और शिवकुमार की बैठक हुई.

17 मई: पांचवें दिन भी बैठकों का राउंड जारी रहा. सोनिया गांधी के घर पर कर्नाटक के CM पर मंथन हुआ. राहुल गांधी से सिद्धारमैया और शिवकुमार की मुलाकात की लेकिन सीएम पद पर फैसला नहीं हुआ.

समर्थकों का जोश हाई

दिल्ली से बेंगलुरु तक हलचल जारी है.बेंगलुरु में सिद्धारमैया के समर्थकों का जश्न जारी है. उन्होंने सिद्धा के पोस्टरों पर दूध चढ़ाया. वहीं डीके शिवकुमार के समर्थक भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने डीके के लिए पूजा-पाठ की. डीके शिवकुमार ने अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में बैठक भी की है, जिसमें 12 विधायक मौजूद रहे.

डीके शिवकुमार की ताकत?

  • कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते संगठन पर पकड़ और पार्टी का भरोसेमंद चेहरा हैं

  • ताकतवर वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. 

  • 1989 से चुनाव नहीं हारने का रिकॉर्ड

  • 2002 में महाराष्ट्र की देशमुख सरकार को बचाया  

  • 2017 में अहमद पटेल की राज्यसभा जीत तय की

  • सबसे अमीर विधायक हैं. उनकी संपत्ति 1214 करोड़ रुपये की है.

डीके की दावेदारी कमजोर क्यों ?

  • उनकी मौजूदा कर्नाटक DGP प्रवीण सूद से लड़ाई किसी से छिपी हैं.

  • प्रवीण सूद जल्द ही सीबीआई डायरेक्टर का पद संभालने जा रहे हैं.

  • CBI उनकी पुरानी फाइल खोल सकती है

  • आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूछताछ और गिरफ्तारी हो सकती है.

  • अगर कांग्रेस उनको चुनेगी तो करप्ट को CM बनाने के आरोप लगते और किरकिरी होगी.

  • उन पर मनी लॉन्ड्रिंग समेत 19 केस दर्ज हैं, जिसमें चार्जशीट फाइल हो चुकी है.

  • विधायकों की पहली पसंद नहीं डीके, 135 में से 90 MLA सिद्धरमैया के साथ.

क्यों सिद्धारमैया की दावेदारी है मजबूत

  • सोशल इंजीनियरिंग में सिद्धारमैया ज्यादा फिट बैठते हैं.

  • अहिंदा नेता की पहचान डीके पर भारी है.

  • सिद्धारमैया की नाराज़गी से कांग्रेस को नुकसान होना तय है.

  • वह कुरुबा समुदाय से आते हैं. मुस्लिम वोटर्स में भी अच्छी पकड़ है.

  • यह सिद्धारमैया का आखिरी चुनाव था. डीके के मुकाबले उनकी बेदाग छवि है

  • उनके पास डीके से ज्यादा राजनीतिक अनुभव है. सफल प्रशासक का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.

  • सिद्धारमैया का पब्लिक कनेक्शन है. उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं.

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