शादी में 200 लोग, रैली में 2 लाख क्यों? कोविड में सब बदला लेकिन राजनीति नहीं बदली
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शादी में 200 लोग, रैली में 2 लाख क्यों? कोविड में सब बदला लेकिन राजनीति नहीं बदली

भारत के ज़्यादातर शहरों में कोविड (Corona) के बढ़ते मामलों की वजह से आप अपने दोस्तों के साथ क्रिसमस नहीं मना पाएंगे. हालांकि आप अगर नेता हैं तो लाखों लोगों की भीड़ बुला सकते हैं. 

शादी में 200 लोग, रैली में 2 लाख क्यों? कोविड में सब बदला लेकिन राजनीति नहीं बदली

सुनें पॉडकास्ट: 

  1. शादी में 200 से ज्यादा लोगों पर बैन
  2. ओटीटी पर रिलीज हो रही हैं फिल्में
  3. न्यू ईयर पार्टीज पर लगाया गया बैन

नई दिल्ली: भारत के ज़्यादातर शहरों में कोविड (Corona) के बढ़ते मामलों की वजह से आप ना तो अपने दोस्तों के साथ क्रिसमस मना पाएंगे और ना ही नए साल की पार्टी कर पाएंगे. दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों में क्रिसमस और नए साल की पार्टी पर रोक लगा दी गई है. 

शादी में 200 से ज्यादा लोगों पर बैन

शदियों में भी अब आप 200 से ज़्यादा मेहमानों को नहीं बुला सकते. हालांकि अगर आप राजनीतिक रैली कर रहे हैं तो उसमें आप 2 लाख लोगों को भी बुला सकते हैं. बहुत सारी जगहों पर आप बिना दोनों वैक्सीन डोज़ के किसी Mall या सरकारी दफ़्तर में नहीं जा सकते. लेकिन अगर आप किसी राजनीतिक रैली में जाते हैं तो ना तो आपसे मास्क के बारे में पूछा जाएगा और ना ही वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी मांगी जाएगी. 

अगर आपको कोई बड़ी पार्टी करनी है या आप शादी में हज़ारों लोगों को बुलाना चाहते हैं तो अपने आपको नेता घोषित करके अपने कार्यक्रम को चुनावी रैली घोषित कर दीजिए. ऐसा करके आप जितने चाहे उतने लोगों को बुला सकते हैं. पिछले दो साल में कोविड ने हमारी ज़िन्दगी को बदलकर रख दिया है. दफ्तरों में काम करने वाले लोग Work From Home कर रहे हैं, अदालतों में ऑनलाइन सुनवाई हो रही है. स्कूलों में ऑनलाइन Classes चल रही हैं. जन्म और मृत्यु के बाद के रीति रिवाज़ भी ऑनलाइन हो रहे हैं. 

ओटीटी पर रिलीज हो रही हैं फिल्में

IPL और Olympics जैसे खेलों का आयोजन बिना दर्शकों के हो रहा है. फिल्में थिएटर की जगह ओटीटी पर रिलीज़ हो रही हैं. लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है, जहां कोविड का रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ा है और वो है राजनीति. अब भी चुनाव पहले की तरह हो रहे हैं, वोटिंग भी वैसी ही हो रही है और नेताओं का रवैया भी एक जैसा है.

Omicron के ख़तरे की वजह से दिल्ली में क्रिसमस और नए साल के जश्न पर पाबंदी लगा दी गई है. इस दौरान दिल्ली में ना तो कोई कार्यक्रम होगा और शादी और अन्य समारोह में भी 200 से ज़्यादा लोग शामिल नहीं हो सकेंगे. दिल्ली में ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि 6 महीनों के बाद यहां एक दिन में कोरोना के सबसे ज़्यादा 125 नए मामले मिले हैं. इसके साथ ही Omicron से संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ कर 57 हो गई है.

न्यू ईयर पार्टीज पर लगाया गया बैन

चिंता की बात ये है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर संक्रमित पाया गया हर पांच में से एक यात्री Omicron से Infected मिला है, जिसने दिल्ली में ख़तरे की घंटी बजा दी है. दिल्ली की तरह बेंगलुरु में भी नए साल पर लोग पार्टी नहीं कर सकेंगे. बेंगलुरु में ये पाबंदी 30 दिसम्बर से दो जनवरी तक लागू रहेगी. चेन्नई में नए साल के मौक़े पर मरीना और दूसरे Beaches पर भीड़ के जुटने पर प्रतिबंध होगा. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में सार्वजनिक जगहों पर होने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाई गई है. Hotels और Restaurants पर भी ये पाबंदियां लागू हैं.

कुल मिला कर कहें तो हो सकता है कि कोविड की वजह से दूसरे शहरों और राज्यों में भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएं. अगर आपने भी क्रिसमस और नए साल को लेकर कोई योजना बनाई है और आप कहीं बाहर पार्टी करने के बारे में सोच रहे हैं तो हो सकता है कि आप ऐसा ना कर पाएं. इसलिए हम आपको इसके बारे में पहले से जागरुक कर रहे हैं. भारत ही नहीं दुनिया के ज्यादातर देशों में कोविड की वजह से क्रिसमस और नए साल की पार्टी पर पाबंदियां हैं. इनमें यूरोप के देश हैं. अफ्रीकी देश हैं. ऑस्ट्रेलिया है और न्यूज़ीलैंड में भी सख़्त नियम लागू हैं.

लोगों को हो गई पाबंदियों की आदत!

एक अध्ययन के मुताबिक़ पिछले दो वर्षों में पूरी दुनिया में 7 हज़ार से ज़्यादा बार ऐसा हुआ, जब कोरोना की वजह से आम लोगों पर लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियां लगाई गईं. अकेले भारत में मार्च 2020 से नवम्बर 2021 के बीच अलग अलग राज्यों में 600 से ज्यादा बार आम लोगों को प्रतिबंधों के बीच रहना पड़ा. हमें लगता है कि अब तो बहुत सारे लोग इन पाबंदियों के आदि हो चुके हैं और उन्हें अब ये सब सामान्य लगता है. पिछले दो वर्षों में कोविड ने जन्म से लेकर मृत्यु तक के रीति-रिवाज़ों को बदलकर रख दिया है.

आज लोग कोविड की वजह से Work From Home कर रहे हैं. फिल्में Cinema Halls की जगह OTT Platforms पर रिलीज़ हो रही हैं. बच्चे स्कूलों की जगह ऑनलाइन अपने घरों में रहकर पढ़ रहे हैं. विवाह की परम्पराएं बदल गई हैं. इसके अलावा मृत्यु के बाद के रीति रिवाज़ बदल गए हैं. अदालतों में ऑनलाइन सुनवाई हो रही है. IPL और Olympics जैसे खेलों के आयोजन बिना दर्शकों के हो रहे हैं. आपने भी देखा होगा कि कोरोना के बाद आपका जीवन पूरी तरह बदल गया है.

राजनीति में नहीं आया कोई बदलाव

लेकिन एक ही क्षेत्र ऐसा है, जिसमें कोई बदलाव नहीं आया और वो है राजनीति. पिछले दो वर्षों में ना तो चुनाव बदले हैं, ना चुनाव की प्रक्रिया बदली है और ना ही नेताओं की रैलियों के तौर तरीक़े बदले हैं. इस समय उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार चल रहा है. सभी पार्टियां हज़ारों लोगों की भीड़ जुटा कर रैलियां कर रही हैं. इन रैलियों पर कोई पाबंदी नहीं है. भारत में पिछले दो साल में राज्य स्तर पर 40 से ज़्यादा चुनाव हो चुके हैं और अगले साल का Calender भी चुनावी तारीख़ों से फुल है.

वर्ष 2022 में सात राज्य उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और मणिपुर में विधान सभा के चुनाव होने हैं. इस दौरान अगर इन राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ते भी हैं, तब भी शायद चुनाव और चुनाव की प्रक्रिया बिल्कुल नहीं बदलेगी. दुर्भाग्य की बात ये है कि आज किसी शादी समारोह में 200 से ज़्यादा मेहमान नहीं आ सकते, लेकिन चुनावी रैलियों में 20 हज़ार लोग आसानी से एक जगह इकट्ठा हो सकते हैं. 

रैलियों में शामिल हो रहे हजारों लोग

आप किसी Restaurant या Pub में 50 से ज़्यादा लोगों के साथ पार्टी नहीं कर सकते, लेकिन चुनावी रैली में हज़ारों की भीड़ में जा सकते हैं.  आप बिना मास्क और Vacciantion के किसी Shopping Mall या दुकान में नहीं जा सकते. लेकिन आप नेताओं की रैलियों में आसानी से जा सकते हैं, जहां ना तो आपसे कोई मास्क के लिए पूछेगा और ना ही वैक्सीनेशन के लिए पूछेगा.

यानी स्थिति ऐसी हो गई है कि आज अगर आपके घर में किसी की शादी हो और आप उस शादी में लोगों को ये कहकर बुलाते हैं कि वो एक चुनावी रैली का आयोजन कर रहे हैं तो शायद प्रशासन और सरकारें आप पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगी. लेकिन अगर आपने शादी में 200 से एक भी ज्यादा मेहमान बुला लिया या क्रिसमस पर 50 लोगों के साथ पार्टी कर ली तो आपको आपराधिक धाराओं में गिरफ़्तार भी किया जा सकता है और अधिकतम 2 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है. 

पूरी दुनिया में राजनीति का एक सा हाल

हालांकि ये बात हम सिर्फ़ भारत के लिए नहीं कह रहे. पूरी दुनिया में राजनीति ही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें कोई बदलाव नहीं आया. पिछले दो वर्षों में जब से कोरोना आया है, तब से दुनिया के 146 देशों में चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 124 देश ऐसे हैं, जहां राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनाव हुए हैं. यानी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और गवर्नर पद के लिए चुनाव हुए. इन चुनावों में नेताओं ने भीड़ के बीच रैलियां की और इस वजह से इन देशों में कोरोना के मामले भी बढ़े. उदाहरण के लिए, अमेरिका में पिछले साल राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे और इन चुनावों की वजह से वहां कोरोना का ज़बरदस्त विस्फोट हुआ. इसके बावजूद वहां की राजनीति नहीं बदली.

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साउथ कोरिया, मंगोलिया, सिंगापुर, श्रीलंका और Croatia में भी संक्रमण के मामले बढ़ने के बावजूद चुनाव हुए. जब लोग इस बीमारी से मारे गए तो इन नेताओं ने उसकी नैतिक ज़िम्मेदारी भी नहीं ली बल्कि ये नेता ज़िम्मेदारी के नाम पर खामोश हो गए.

राजनेताओं के लिए कुछ नहीं रुक सकता!

यानी दुनिया ने आपको यही बताया है कि कोविड में आम लोगों के लिए तो बाज़ार बन्द हो सकते हैं, शादी भी रुक सकती है, नौकरी भी घर से हो सकती है. जन्म और मृत्यु के रीति रिवाज़ भी बदले जा सकते हैं और फिल्में भी सिनेमा हॉल की जगह ऑनलाइन रिलीज़ हो सकती है. यानी आपके लिए सबकुछ बदला और रोका जा सकता है. लेकिन राजनीति और नेताओं के लिए कुछ नहीं रुक सकता. चाहे कोरोना रहे या ना रहे, राजनीति वैसी ही रहेगी, जैसे पहले थी.

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