Coronavirus Vaccination Drive: पहले चरण में देशभर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के तीन करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) लगाई जाएगी और ये पूरी तरह मुफ़्त होगी, जिसका खर्च केन्द्र सरकार उठाएगी.
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नई दिल्ली: आज हम आपको भारत की उस उड़ान के बारे में बताना चाहते हैं, जो आज 16 जनवरी को टेक ऑफ करेगी. आज से भारत में कोरोना वायरस का टीकाकरण (Coronavirus Vaccination Drive) अभियान शुरू हो जाएगा और ये दुनिया का सबसे बड़ा अभियान होगा. इसलिए हम देश के 135 करोड़ लोगों से कहना चाहते हैं कि वो अपनी कुर्सी की पेटी बांध लें क्योंकि, कोरोना वायरस (Coronavirus) से मुक्ति के द्वार खुलने वाले हैं और इसके लिए आज नए भारत का विमान अपनी नई उड़ान शुरू करेगा. इससे जो एक महत्वपूर्ण चीज होगी वो ये कि भारत में वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में विश्वास की मात्रा बढ़ेगी और इससे देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे की इम्युनिटी (Immunity) भी मजबूत होगी.
भारत में टीकाकरण अभियान (Coronavirus Vaccination) को लेकर उत्सव जैसा माहौल है. वैक्सीन के साथ ली गई कुछ तस्वीरें भी आज हमें मिली हैं, जिनमें आप मुस्कराते हुए चेहरे देख सकते हैं और ये चेहरे बता रहे हैं कि जो विपत्ति भारत पर आई थी. उसे बाय कहने का समय आ चुका है.
भारत में आज से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण (Coronavirus Vaccination) अभियान शुरू होगा. इसलिए अब हम आपको जल्दी से इस पर कुछ बातें बताना चाहते हैं.
-पहले चरण में देशभर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के तीन करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई जाएगी और ये पूरी तरह मुफ़्त होगी, जिसका खर्च केन्द्र सरकार उठाएगी.
-ये इस अभियान का पहला चरण होगा. जिसे अगले कुछ हफ्तों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
-दूसरे चरण में 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 27 करोड़ लोगों को कोरोना (Coronavirus) का टीका लगाया जाएगा.
-इसके लिए हर जिले में टास्क फोर्स बनाई गई है और चुनावों की तरह अलग-अलग जगहों पर बूथ बना कर कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी है.
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इसके अलावा कोविन (CoWIN) नाम का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी बनाया गया है जिस पर वैक्सीन लगवाने वालों को रजिस्टर किया जाएगा. ये डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत के टीकाकरण अभियान को सिस्टम में मौजूद कमियों से लड़ने के लिए इम्युनिटी देगा ताकि ये अभियान अपनी दिशा से भटके नहीं.
टीकाकरण अभियान पर अब तक की ये महत्वपूर्ण जानकारियां हैं, जो अभी हमने आपको बताईं.
ये शायद पहली बार है कि जिस समस्या से पूरी दुनिया परेशान है हमने उसका स्वदेशी समाधान बड़े बड़े विकसित देशों से पहले ही भारत ने खोज निकाला है. ये उस भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है जो आज से 75 साल पहले अपने इस्तेमाल की एक सुई भी विदेशों से आयात करता था. लेकिन आज का भारत इतिहास रचने के लिए तैयार है.
भारत में जब कोरोना का टीकाकरण अभियान शुरू होगा तो इससे देश को नई इम्युनिटी मिलेगी और ये इम्युनिटी भारत को आज की चुनौतियों से मुकाबला करने में बड़ा रोल निभाएगी. इसे आप तीन पॉइंट्स में समझिए-
पहला जब आपको कोरोना का टीका लगाया जाएगा तो इसका असर सिर्फ आपके स्वास्थ्य पर ही नहीं, देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.
वो ऐसे कि जब आपकी सेहत अच्छी होगी तो आप बिना डरे अपने घर से बाहर निकल कर ज़्यादा काम कर सकेंगे और ज़्यादा पैसे कमा सकेंगे और जब आपकी आमदनी बढ़ेगी तो आप खर्च भी उसी हिसाब से करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था के पहिए नई रफ्तार पकड़ेंगे.
दूसरा आपकी सेहत अच्छी होगी तो सरकार का इस महामारी पर खर्च कम हो जाएगा और वो ये पैसे दूसरे विकास कार्यों में लगा सकेगी.
तीसरा अगर आप और आपका परिवार स्वस्थ रहेगा तो इससे इलाज पर ख़र्च कम हो जाएगा और इन पैसों से आप ज़्यादा बचत कर सकेंगे, तो इसका मतलब ये हुआ कि कोरोना का टीकाकरण अभियान सिर्फ आपको ही स्वस्थ नहीं रखेगा बल्कि इससे देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार आएगा.
अमेरिकी एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भी इसका अनुमान लगाया है। जिसके तहत वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की GDP 8.8 प्रतिशत रह सकती है, जो मौजूदा वित्त वर्ष में माइनस 10.29 प्रतिशत है और वित्त वर्ष 2019-20 में 4.18 प्रतिशत थी.
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जब किसी देश में इतने बड़े पैमाने पर किसी बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगाई जाती है तो उसके क्या असर होते हैं. इसे आप कुछ उदाहरण से समझिए.
-अब तक दुनियाभर में 28 बीमारियों की ही प्रभावी वैक्सीन बन पाई है.
-विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब भी किसी बीमारी की कोई वैक्सीन आती है तो उससे हर साल लगभग 30 लाख लोगों की जान बचाई जाती है.
-जैसे पोलियो की वैक्सीन आने से पहले दुनियाभर में इससे हर वर्ष 4 लाख लोगों की मौत होती थी. लेकिन अब इससे सिर्फ़ 22 लोगों की मौत होती है और ये वैक्सीन की वजह से ही संभव हुआ है.
-जब खसरा (Measels) नामक बीमारी आई थी तब इससे हर वर्ष करीब 25 लाख लोगों की मौतें होती थी। लेकिन आज मौतों की संख्या 95 हजार हो गई है.
-इसी तरह टेटनस (Tetanus) की वैक्सीन आने से पहले हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती थी और वैक्सीन आने के बाद ये संख्या 25 हजार रह गई.
और अब कोरोना वायरस की वैक्सीन से भी ऐसी ही उम्मीदें हैं.
अब हम आपको कोरोना की वैक्सीन पर एक निराशाजनक समाचार भी देना चाहते हैं और वो ये कि इस विषय में भी अब राजनीति की मिलावट हो चुकी है और हमें लगता है कि ये राजनीति देशहित में नहीं है. भारत में वैक्सीन को मंजूरी देने पर एक राजनीतिक मुहिम शुरू हुई है और इस मुहिम में छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं, जिन्होंने भारत की मेड इन इंडिया कोवैक्सीन को अब तक मंजूरी नहीं दी है. इन राज्यों को भारत में बनाई गई वैक्सीन पर ज़रा सा भी विश्वास नहीं है. सोचिए जिस देश ने इन नेताओं को सत्ता में आने का मौक़ा दिया. उसी देश में बनी वैक्सीन पर इन नेताओं को भरोसा नहीं है. इन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई कोविशील्ड वैक्सीन पर विश्वास है क्योंकि, ये एक विदेशी वैक्सीन है. सोचिए इस देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है.
Covaxin का विरोध करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ और पंजाब प्रमुख हैं, जहां कांग्रेस की सरकार है. झारखंड भी इस सूची में हैं, जहां कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा है और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है यानी भारत में वैक्सीन पर दुर्भाग्यपूर्ण राजनीति शुरू हो चुकी है और हम चाहते हैं कि आप इस राजनीति के DNA की पहचान करें.
भारत में कोरोना की जिन दो वैक्सीन को मंजूरी दी गई है. उनमें एक है Covaxin, जिसे भारत की स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक ने विकसित किया है और दूसरी है,कोविशील्ड जिसे ब्रिटेन की Oxford University और Astrazeneca कंपनी ने तैयार किया है और भारत की Serum institute of india कंपनी भी इसका हिस्सा है..जो इस वैक्सीन का उत्पादन भी कर रही है.
भारत में आज से कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू हो जाएगा. लेकिन चीन से आई कुछ तस्वीरों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. चीन में एक बार फिर से कोरोना वायरस के मामले बढ़ने लगे हैं और इसे आप इन तस्वीरों से समझ सकते हैं. चीन में पिछले एक हफ्ते में तीन हजार नए क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं.
चीन का दावा है कि वहां कोरोना वायरस पूरी तरह नियंत्रण में है और इसे साबित करने के लिए उसने कुछ प्रायोजित आंकड़े भी जारी किए हैं. चीन का दावा है कि 14 जनवरी को वहां कोरोना वायरस के कुल 144 मामले सामने आए और 13 जनवरी को ये संख्या उससे भी कम 138 रही थी. अब सवाल है कि अगर चीन में कोरोना वायरस नियंत्रण में है तो फिर उसे अपने देश में तीन हजार नए क्वारंटीन सेंटर बनाने की जरूरत क्यों पड़ी.
आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन में इस समय चार बड़े शहरों को पूरी तरह बंद कर दिया गया है.
बीजिंग को दूसरे प्रांतों से जोड़ने वाले हाइवे ब्लॉक किए गए हैं. 2 करोड़ से ज़्यादा लोग लॉकडाउन में रहने के लिए मजबूर हैं.
यही नहीं चीन की सरकार लोगों को ट्रैवल नहीं करने के लिए पैसे दे रही है और ये सब तब हो रहा है जब 15 दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की थी कि चीन ने कोरोना वायरस पर विजय हासिल कर ली है. लेकिन ये सच नहीं है. सच ये है कि चीन में वुहान से निकले वायरस की फिर से एंट्री हो चुकी है. इसे आप एक और खबर से समझिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 15 एक्सपर्ट्स की एक टीम को चीन पहुंचना था. लेकिन वहां सिर्फ 13 लोग ही पहुंचे. चीन का दावा है कि जिन दो वैज्ञानिकों को उसने रोका. उनमें एंटीबॉडीज मिली हैं. एंटीबॉडीज उन लोगों में मिलती हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हों और चीन ने यही दावा इन दोनों वैज्ञानिकों को लेकर किया है. लेकिन अब यहां सवाल ये उठ रहा है कि जिस समय चीन में क्वारंटीन सेंटर बनाए जा रहे हैं. कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं, उस समय WHO की टीम को रोकने का मकसद क्या हो सकता है?
कहते हैं कि झूठ सच को सिर्फ इसलिए झुका देता है क्योंकि, उसका स्वाद बहुत मीठा होता है और चीन ऐसे ही झूठ बोलने में माहिर है. चीन सच की कड़वी गोलियां नहीं खाना चाहता और वो इसलिए एक बार फिर दुनिया को गुमराह कर रहा है. जिसके नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं.