Cyber Crime Cases: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक कमी Crowd Funding प्लेटफॉर्म्स के किसी भी कैंपेन के वेरिफिकेशन के तरीके में है, जहां अपलोड किए गए कागज़ों पर ही भरोसा करके ये प्लेटफॉर्म शख्स को सच्ची-झूठी कहानी के सहारे पैसा इकट्ठा करने की सुविधा दे देते हैं.
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Crowd Funding Websites: शख्स गंभीर रूप से बीमार है. परिवार लाचार है, मदद चाहिए... जितना सही लगे दे दीजिए. पिता की मृत्यु हो गई. परिवार की जमा पूंजी खत्म हो गई. कर्ज का भार है. पढ़ाई का खर्चा है मदद कर दीजिये. ये कुछ ऐसी कहानियां हैं जो Crowd Funding websites के माध्यम से लगभग रोज आपके मोबाइल फोन में दिन में एक बार जरूर आती होगी. इन कहानियों को पढ़ कर हो सकता है कि आप में से कई लोग Crowd Funding वेबसाइट्स पर मदद कर भी देते होंगे. लेकिन आज हम आपको सावधान करने वाली एक खबर दिखाएंगे. आपको बताएंगे कैसे Crowd Funding वेबसाइट्स का प्रयोग करके साइबर अपराधी लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं.
Crowd Funding वेबसाइट ketto पर बीते अगस्त महीने में एक Funding कैंपेन चालू हुआ, जिसमें एक शख्स ने लिखा कि उसकी 24 वर्ष की बहन तान्या सिंह को कैंसर है. वह उत्तरप्रदेश के वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती है. परिवार बेहद गरीब है और कीमोथेरेपी करवाने के पैसे नहीं हैं. परिवार को 9 लाख से ज्यादा रुपयों की जरूरत है.
फर्जी कैंपेन हुए वायरल
Ketto पर बहन के इलाज के लिए Funding Campaign चलाने वाले शख्स ने Max अस्पताल के कथित पैड पर बना हुआ इलाज का एक साढ़े 9 लाख का अनुमानित बिल भी ketto पर पोस्ट किया था, जो दिखने में बिल्कुल असली लग रहा था और डॉक्टर की मुहर तक लगी हुई थी. कई लोगों ने लाचारी देख कर रुपये दान भी कर दिए. Campaign इतना वायरल हुआ कि यह मैक्स अस्पताल की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ प्राची जैन के पास भी पहुंचा, जिसमें डॉ प्राची के हस्ताक्षर और मुहर दिख रही थी. डॉ प्राची के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई क्योंकि यह लेटर तो कभी उन्होंने बनाया ही नहीं था.
असल में डॉ प्राची जैन कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज करती हैं लेकिन साइबर अपराधियों ने लूट के इरादे से बनाए गए उनके फर्जी लेटर में मरीज की उम्र ही 24 वर्ष लिखी हुई है. डॉ प्राची के मुताबिक साइबर अपराधी ने जो लेटर Ketto पर मदद मांगने के लिए पोस्ट किया था, वैसा ही एक लेटर उन्होंने एक कांकेर पीड़ित बच्चे के लिए बनाया था क्योंकि परिवार बेहद गरीब था और वह crowd funding से मदद लेना चाहता था लेकिन साइबर अपराधी ने उसी लेटर को Photoshop करके फर्जी लेटर तैयार किया और Ketto पर लाखों का Fund raise कर दिया. फर्जी लेटर की शिकायत डॉ प्राची और उनके अस्पताल ने ketto के पास दर्ज करवाई जिसके बाद Ketto ने पूरे कैंपेन को फर्जी करार देते हुए लोगों के रुपये जो मदद के रूप में दिए गए थे, वो रिफंड किए.
लगातार बढ़ रहे फर्जी मामले
पिछले महीने एक और Crowd Funding Platform Milaap पर अर्पित सिंह नाम के एक शख्स ने पोस्ट किया कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वो मात्र 20 वर्ष का है, बहने हैं. सभी को पढ़ाई करनी है. 3 लाख रुपये की मदद चाहिए. वेरिफिकेशन के लिए कथित तौर पर पिता की मौत पर लखनऊ नगर निगम का मृत्यु प्रमाण पत्र पोस्ट किया. 126 लोगों में 2 लाख 86 हजार रुपये से ज्यादा दे भी दिए.ये सारे रुपये अर्पित सिंह नाम के कथित शख्स ने निकाल भी लिए. इसके बाद अर्पित ने फिर 3 लाख का Fund Raise किया. 85 हज़ार रुपये 39 लोगों ने दे भी दिए.लेकिन लखनऊ नगर निगम ने एक शिकायत पर बताया कि अर्पित द्वारा पोस्ट किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र ही फ़र्ज़ी है और जिस अफसर के हस्ताक्षर हैं वो 4 वर्ष से लखनऊ नगर निगम में काम नहीं कर रहा.
मामला milaap तक पहुंचा तो उसने कैंपेन बीच में ही रोक कर इसे फ्रॉड कैंपेन घोषित किया और लोगों के 85 हजार रुपये वापस किए. जब फ्रॉड करने वाले शख्स अर्पित सिंह से हमारी टीम ने उसका पक्ष जाने की कोशिश की कि किस परिस्थिति में उसने पिता की मौत का फर्जी सर्टिफिकेट बनवा कर लाखों की उगाही की, तो उसने एक शातिर अपराधी की तर्ज पर उल्टा हमारी टीम से आधार कार्ड ,पैन कार्ड भेजने की मांग की.हमारी टीम ने ये दोनों जानकारियां निजी होने का हवाला देकर उसे चैनल की ऑफिशियल आईडी भेजी तो वह बातों को घुमाने लगा और उसने इस पूरे मुद्दे पर जवाब नहीं दिया.
क्या बोले डॉक्टर
मैक्स अस्पताल के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट डॉ गौरव अग्रवाल के मुताबिक अस्पतालों में कई ऐसे मरीज आते हैं जो इलाज का पूरा खर्च वहन नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अगर मरीज अस्पताल से कहता है कि वह Crowd Funding के जरिये इंटरनेट पर लोगों से मदद मांगना चाहता है तो वित्तीय विभाग उस मरीज की मदद करता है और उसे न्यूनतम खर्चे का एक अनुमान मुहैया करवाता है, जिसके द्वारा कई मरीजों के परिजन Crowd Funding करवाते हैं. कुछ मौकों पर अस्पताल भी मरीजों की Crowd Funding में मदद करता है. लेकिन Crowd Funding platforms की ओर से अस्पताल से क्रॉस वेरिफाई ना करने की वजह से साइबर अपराधी फर्जी बिल या फर्जी अनुमान के आधार पर लोगों से धोखे से पैसा ऐंठ लेते हैं.
कहां है कमी, एक्सपर्ट्स ने बताया
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक कमी Crowd Funding प्लेटफॉर्म्स के किसी भी कैंपेन के वेरिफिकेशन के तरीके में है, जहां अपलोड किए गए कागज़ों पर ही भरोसा करके ये प्लेटफॉर्म शख्स को सच्ची-झूठी कहानी के सहारे पैसा इकट्ठा करने की सुविधा दे देते हैं. देंगे भी क्यों नहीं क्योंकि Crowd Funding Websites की कमाई भी इसी पैसे से कमाई गई कमीशन से आता है. जितना ज्यादा पैसा किसी एक Crowd Fund में इकट्ठा होगा उतना ही पैसा Crowd Funding Website को होगा....इसलिए वो भी चलता है वाले बर्ताव से काम करते हैं.
Crowd-Funding प्लेटफॉर्म Ketto के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति अगर उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहता है तो सबसे पहले उस व्यक्ति का KYC वेरिफिकेशन होता है. जिसमें पैसा इकट्ठा करने वाले व्यक्ति को अपनी Identity से लेकर सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं. जिसके बाद Ketto अपने प्लेटफॉर्म पर Funding Campaign चलाने की अनुमति देता है. साथ ही Ketto के मुताबिक उसके प्लेटफॉर्म पर चलाए जाने वाले Fund Raising Campaign में 90% बार पैसे सीधा अस्पताल के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाते हैं ताकि पैसे गलत हाथों या किसी फर्जी व्यक्ति के हाथों में ना जाए.
इतना ही नहीं Ketto कुछ मौकों पर व्यक्ति द्वारा लगाए गए अस्पताल के बिल और estimate की सतह जांच के लिए अपने अधिकृत व्यक्ति को अस्पताल भी वेरिफिकेशन के लिए भेजता है और वेरीफाई होने कैंपेन को Ketto Assured बैज दे देता है. Ketto के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी कैंपेन के फर्जी होने की शिकायत करता है तो Ketto कैंपेन चलाने वाले व्यक्ति से साक्ष्य मांगता है और संतुष्ट ना होने पर कैंपेन को बंद कर सभी दान देने वालों के पैसे वापस कर देता है. साथ ही Ketto के मुताबिक वो Medicial इमरजेंसी के मामले में दान की रकम से 1 रुपये भी प्रोसेसिंग फीस नहीं लेता और अगर पैसा सीधा Service देने के पास जा रहा है तो Ketto सिर्फ gateway फीस लेता है.
Crowd Funding से धोखाधड़ी के ये पहले मामले नहीं हैं. इससे पहले भी भारत की एक जानी कथित पत्रकार पर Crowd Funding के जरिये पैसों के गबन के आरोप लग चुके हैं. ऐसे में अगर आप Crowd Funding के जरिये हो रहे गबन से बचना चाहते हैं तो आपके लिए कुछ जरूरी टिप्स हैं.
ये हैं टिप्स
हमेशा जानने की कोशिश कीजिए कि आपका पैसा किसके पास जा रहा है. कौन लोग उस कैंपेन को मैनेज कर रहे हैं. उनका उद्देश्य क्या है? क्या व्यक्ति ने अपनी असली तस्वीर लगाई है क्योंकि फर्जी तरीकों से crowd funding करने वाले व्यक्ति कभी अपनी खुद की तस्वीर नहीं लगाते.
अगर आप क्राउड फंड में पैसा डाल रहे हैं तो आप इसे आयोजित करवाने वाले व्यक्ति से संबंधित कागजात साझा करने के लिए कह सकते हैं. यह आपको मसले की सत्यता जानने का अवसर देगा और साथ ही आप सुनिश्चित भी कर पाएंगे कि आपने किसी ग़लत प्रयोजन में पैसा नहीं लगा दिया है.
सत्यता जांचने के लिए आप तकनीकी तरीके का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप कैंपेन में इस्तेमाल की जा रही तस्वीर की सत्यता जांच Google Reverse Image तकनीक से सकते हैं. यह कुछ ऐसे टिप्स हैं, जिसके सहारे आप असली शख्स की मदद कर पाएंगे जिसे सच में मदद की जरूरत होगी और किसी फर्जी व्यक्ति के झांसे से भी बच पाएंगे.
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