एक साल की 'खामोशी' के बाद क्‍या अरविंद केजरीवाल लौट आए हैं?
Advertisement

एक साल की 'खामोशी' के बाद क्‍या अरविंद केजरीवाल लौट आए हैं?

पिछले साल पंजाब विधानसभा और दिल्‍ली नगर निगम चुनावों में आप की हार के बाद इसी तरह अचानक अरविंद केजरीवाल 'रहस्‍यमयी' रूप से खामोश हो गए थे.

अरविंद केजरीवाल पिछले तीन दिनों से राज निवास में धरने पर बैठे हैं.(फाइल फोटो)

पिछले तीन दिनों से राज निवास में धरना दे रहे दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल अचानक फिर से आक्रामक नजर आने लगे हैं. वह आईएएस अफसरों की कथित हड़ताल और दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा देने के मुद्दों पर लेफ्टिनेंट गवर्नर(एलजी) अनिल बैजल के सरकारी आवास राज निवास के गेस्‍टहाउस में डिप्‍टी सीएम और दो मंत्रियों के साथ धरने पर बैठे हैं और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं. इसके साथ ही दिल्‍ली में धूल भरे मौसम के बीच सियासी तपिश अचानक बढ़ गई है. लेकिन इसकी तात्‍कालिक वजह क्‍या सिर्फ यही है जो हमें दिख रही है?

  1. अरविंद केजरीवाल पिछले तीन दिनों से राज निवास पर धरना दे रहे
  2. एक साल बाद अचानक सीएम के कारण दिल्‍ली की बढ़ी सियासी तपिश
  3. आईएएस अफसरों की कथित हड़ताल और दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य के मुद्दे पर धरना

पिछले साल पंजाब विधानसभा और दिल्‍ली नगर निगम चुनावों में आप की हार के बाद इसी तरह अचानक अरविंद केजरीवाल 'रहस्‍यमयी' रूप से खामोश हो गए थे. उससे पहले हर चीज के लिए वह पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र को कोसते थे. उनके अचानक चुप रहने के फैसले को केंद्र के साथ संघर्षविराम के साथ जोड़कर देखा गया. सूत्रों से यह बात निकलकर आई कि आप को यह लगा कि पीएम मोदी की लगातार आलोचना लोगों को रास नहीं आई, लिहाजा केजरीवाल की लोकप्रियता गिरी और पीएम की छवि मजबूत हुई. इसके चलते केजरीवाल ने खामोशी अख्तियार कर ली.

क्या धरना ही दिल्‍ली के CM अरविंद केजरीवाल का राजधर्म है?

fallback
अरविंद केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, मंत्री- गोपाल राय और सत्येंद्र जैन भी एलजी हाउस में धरने पर बैठे हैं. (फोटो साभार- @AamAadmiParty)

2019 के चुनाव
अब 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सूत्रों के मुताबिक आप को लग रहा है कि पार्टी की खामोशी से सियासी नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ उधर विपक्षी एकजुटता के कारण हालिया उपचुनावों में कई जगह बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. लिहाजा 2019 में आप ने अपने लिए अवसर को देखते हुए फिर से अपनी पुरानी 'आंदोलन की राजनीति' को अपनाने का फैसला कर लिया है. पार्टी इसी तरह के आंदोलनों से ही निकली है. इसी के तहत लगभग एक साल बाद पिछली 29 मई को जब सत्‍येंद्र जैन पर हमला किया गया तो अरविंद केजरीवाल ने सीधेतौर पर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, 'आखिर पीएम नरेंद्र मोदी चाहते क्‍या हैं?'

केजरीवाल का धरना : 3 दिन से बिना नहाए राज निवास पर जमे हैं दिल्‍ली के CM व उनके मंत्री

उसके बाद दिल्‍ली की सात में से पांच लोकसभा सीटों पर 'प्रभारी' नियुक्‍त किए गए. इनको पार्टी की तरफ से संभावित लोकसभा प्रत्‍याशियों के रूप में देखा जा रहा है. इसी कड़ी में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर एक प्रस्‍ताव पारित कर दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा देने की मांग की गई. उसी के अगले चरण के रूप में अरविंद केजरीवाल के इस धरने को देखा जा रहा है. सियासी जानकारों के मुताबिक आप लोकसभा चुनावों में दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा देने की मांग को पूरी शिद्दत के साथ जनता के बीच ले जाएगी और इसी भावनात्‍मक मुद्दे के आधार पर चुनाव लड़ा जाएगा. उसी की जमीन राज निवास में इस धरने से तैयार की जा रही है.

Trending news