दिल्ली : कंस्ट्रक्शन बोर्ड में 139 करोड़ का घोटाला, ACB ने दर्ज की एफआईआर
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दिल्ली : कंस्ट्रक्शन बोर्ड में 139 करोड़ का घोटाला, ACB ने दर्ज की एफआईआर

दिल्ली सरकार ने ऐसे लोगों को कागज़ो में मजदूर दिखाकर पैसों की बंदरबांट की है जो मजदूर ना होकर कोई और नॉकरी करते हैं. 

बोर्ड में गबन के आरोप पर एसीबी ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है

नई दिल्ली : (प्रमोद शर्मा) आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के ऊपर श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाले कंस्ट्रक्शन बोर्ड में 139 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है. आरोप के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने ऐसे लोगों को कागज़ो में मजदूर दिखाकर पैसों की बंदरबांट की है जो मजदूर ना होकर कोई और नॉकरी करते हैं. यानी वे लोग जो कंस्ट्रक्शन बोर्ड के आधीन आते ही नहीं हैं. ऐसे लोगों को फर्जी तरीके से शिक्षा के नाम पर, अंतिम संस्कार के नाम पर 50 हज़ार से लेकर एक लाख रुपए तक लिए हैं. 

  1. निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरोें के कल्याण के लिए बनाया कंस्ट्रक्शन बोर्ड
  2. 10 लाख से अधिक के निर्माण पर बोर्ड में जमा करना होता है 1 % सेस
  3. AAP कार्यकर्ताओं ने मजदूर बनकर लिया था कंस्ट्रक्शन बोर्ड से पैसा

आरोप है कि ऐसे लोग आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता है जिनको सरकार ने जानबूझ कर फायदा पहुंचाया है. बोर्ड के चेयरमैन दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय हैं. दिल्ली सरकार के कंस्ट्रक्शन बोर्ड में हुए इस घोटाले की शिकायत सुखबीर शर्मा ने दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच से एक महीने पहले की थी. तमाम दस्तावेजों की जांच और पूछताछ के बाद ब्रांच ने एफआईआर दर्ज कर ली है. 

कार्यकर्ताओं को मजदूर बनाकर बांटा फंड
कंस्ट्रक्शन बोर्ड में हुए घोटाले की शिकायत करने वाले सुखबीर शर्मा ने ज़ी न्यूज़ को बताया कि दिल्ली सरकार ने कंस्ट्रक्शन बोर्ड में अपने लोगों को भर्ती किया और फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर इन लोगों को फायदा पहुंचाया गया. ऐसे लोगों को लाखों रुपए दिए गए. जो मजदूर थे ही नहीं दिल्ली सरकार ने मजदूरों के हक़ के पैसे को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओ में बांट दिए. जिसकी वजह से बोर्ड को 139 करोड़ का नुकसान हुआ है. एसीबी ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर ली है.

एसीबी ने शुरू की जांच
एसीबी चीफ अरविंद दीप ने बताया कि उन्हें चार हफ्ते पहले घोटाले को लेकर एक शिकायत मिली थी जिसकी जांच करने के बाद हमने एफआईआर दर्ज की है. जांच के लिए 6 टीम बनाई हैं. अभी तक 6 लोगों के ब्यान दर्ज किए गए हैं जिन्होंने मजदूर बनकर बोर्ड से प्रमाण पत्र के जरिये पैसे लिए हैं. जांच में वे सब किसी और पेशे के निकले. उनमें कोई बूटीक मालिक है, कोई फैक्ट्री मालिक और कोई ऑटो वाला. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

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2300 करोड़ का फंड जमा है बोर्ड में
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली कंस्ट्रक्शन बोर्ड का गठन 2002 में हुआ था. नियम के मुताबिक 10 लाख से ऊपर के बजट का कंस्ट्रक्शन करने वालों को बोर्ड को एक प्रतिशत सेस देना होता है. ये पैसा निर्माण के काम में जुड़े रजिस्टर्ड मजदूरों के कल्याण कार्य में खर्च किया जाता है. अब तक कंस्ट्रक्शन बोर्ड के पास 2300 करोड़ से ज्यादा का फंड जमा हो चुका है. आरोप के मुताबिक, इसमें से 139 करोड़ से ज्यादा रुपये फर्जी मज़दूरों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए. जिन लोगों को यह फायदा दिया गया है वे आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं. कई ट्रेड यूनियनों ने अपने यहां मज़दूरों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्रेशन किए.

गैरकानूनी तरीके से हुईं नियुक्तियां
आरोप है कि ये सब दिल्ली सरकार के मंत्री के इशारे पर हुआ है. शिकायतकर्ता की माने तो कन्स्ट्रक्शन बोर्ड का गठन ही गैरकानूनी है. एक्ट के मुताबिक बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है. जबकि 15 सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है. इनमें से पांच सरकारी अधिकारी होते, पांच नियोक्ता के लोग और मजदूरों में से कोई पांच लोग बोर्ड में शामिल होते हैं. लेकिन गोपाल राय के चेयरमैन का चयन ही गैर कानूनी है. निर्माण बोर्ड में 7 लाख से ज्यादा मज़दूर रजिस्टर्ड हैं जिनमें से करीब 8 हज़ार लोगों को इस तरह से फायदा पहुंचाया गया है. यह घोटाला कितना बड़ा है, कौन-कौन लोग इसमे शामिल हैं. इसकी जांच एसीबी कर रही है. 

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