लाभ का पद: आप विधायकों की याचिका पर दिल्ली HC की डबल बेंच 2 अगस्त करेगी सुनवाई
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लाभ का पद: आप विधायकों की याचिका पर दिल्ली HC की डबल बेंच 2 अगस्त करेगी सुनवाई

लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग के जिरह की इजाजत न देने के आदेश के खिलाफ आप विधायकों की याचिका पर अब दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच 2 अगस्त को सुनवाई करेगी. 

दिल्ली हाईकोर्ट (फाईल फोटो)

नई दिल्ली: लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग के जिरह की इजाजत न देने के आदेश के खिलाफ आप विधायकों की याचिका पर अब दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच 2 अगस्त को सुनवाई करेगी. मंगलवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले को डबल बेंच में भेज दिया है क्योंकि डबल बेंच ने मुख्य मामले में फैसला दिया था. सुनवाई के दौरान आप विधायकों के वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथ ने कहा कि चुनाव आयोग का 17 जुलाई का जिरह करने की इजाजत ना देने का आदेश प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. दरअसल, चुनाव आयोग ने आप के 20 विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता से प्रतिवादियों को जिरह (क्रॉस एग्जामिनेशन) करने की इजाजत देने की मांग की गई थी.

चुनाव आयोग में 20 अगस्त से अंतिम सुनवाई
लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर चुनाव आयोग 20 अगस्त को सुनवाई करेगा. दरअसल, चुनाव आयोग को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशानुसार लाभ के पद की परिभाषा तय करने के मामले में अंतिम दौर की सुनवाई करना है. क्योंकि पिछली सुनवाई में आयोग ने आप के 20 विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता से प्रतिवादियों को जिरह करने की इजाजत देने की मांग की गई थी.

चुनाव आयोग ने बिना जिरह के सुनवाई का दिया था आदेश
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने अपने 70 पन्नों के आदेश में साफ किया था कि इस मामले में याचिकाकर्ता से जिरह की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह इस मामले की कार्यवाही का गवाह नहीं है. साथ ही प्रतिवादी अपनी अर्जी में दी गई दलील के अनुसार इस मामले में किसी गवाह को पेश किए जाने की जरूरत साबित करने में भी नाकाम रहे हैं. इस आधार पर आयोग ने याचिकाकर्ता से जिरह की इजाजत देने की गत 16 मई को दायर की गई विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था. इसमें विधायकों ने प्रशांत पटेल के अलावा दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों से अलग-अलग जिरह करने की इजाजत मांगी थी, जिन्होंने विभिन्न दस्तावेजों सबूतों के आधार पर विधायकों द्वारा बतौर संसदीय सचिव सरकारी खर्च पर काम करने और वित्तीय लाभ लेने की बात कही थी.

क्या है मामला
केजरीवाल सरकार द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए आप के 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने की वजह से विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली प्रशांत पटेल की याचिका पर आयोग सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट से विधायकों की सदस्यता बहाल किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने 17 मई से मामले की सुनवाई दोबारा शुरू कर दी थी. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की सिफारिश और राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को दिए अपने आदेश में कहा था कि आपने विधायकों को बिना ठीक से सुने फैसला सुनाया था इसलिए आप इस मामले की दोबारा सुनवाई करें. इसी के बाद चुनाव आयोग ने विधायकों को फिर से सुनवाई को बुलाया था.

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