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नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 12वीं क्लास का रिजल्ट (12th Result) जारी कर दिया है. इस बार के नतीजों की खास बात ये है कि इस परीक्षा में लगभग 99.5% स्टूडेंट पास हो गए हैं. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है, क्योंकि पिछले साल पास होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या करीब 90% थी. जबकि वर्ष 2019 में 83% बच्चे ही पास हुए थे.
कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से पिछले एक साल से स्कूल बंद थे, और बोर्ड की परीक्षाएं भी नहीं हो पाईं थी. इसलिए ये नतीजे परीक्षा नहीं बल्कि छात्रों के 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास में प्रदर्शन के आधार पर जारी किए गए हैं. इनमें 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के प्रदर्शन को 40 प्रतिशत, 11वीं क्लास के प्रदर्शन को 30 प्रतिशत और 10वीं क्लास के प्रदर्शन को भी 30 प्रतिशत महत्व दिया गया है.
कुल 13 लाख 4 हजार 561 बच्चे इस रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे, जिनमें से 12 लाख 96 हजार 318 बच्चे पास हुए हैं. यानी कुल 0.67 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिन्हें सफलता नहीं मिल पाई है. जो 8 हजार बच्चे इस नए फॉर्मेट से भी पास नहीं हो पाए अब उनका भगवान ही मालिक है. इस परीक्षा में 99.67 प्रतिशत छात्राएं और 99.13 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं. जो छात्र इन नतीजों से खुश नहीं हैं. वो 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच दोबारा परीक्षाएं दे सकते हैं.
पास हुए छात्रों को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने भी ट्वीट करके बधाई दी है. उन्होंने लिखा, 'जो बच्चे पास हो गए हैं हम उन्हें और उनके माता पिता को शुभकामनाएं देना चाहते हैं.' लेकिन अब सवाल ये है कि इतनी बड़ी संख्या में पास हुए बच्चों को कॉलेज में एडमिशन और बाद में नौकरियां कैसे मिलेंगी. भारत में हर साल करीब डेढ़ करोड़ बच्चे 12वीं के बोर्ड एग्जाम देते हैं. कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी एजुकेशन बोर्डस को ये आदेश दिया था कि वो 31 जुलाई तक 12वीं के नतीजे घोषित कर दे.
Congratulations to my young friends who have successfully passed their Class XII CBSE examinations. Best wishes for a bright, happy and healthy future.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2021
Congratulate my young friends who have cleared the CBSE class XII exams. Happy to learn that @cbseindia29 has achieved a record-high pass percentage.
Compliment teachers & parents for their hard work. My best wishes to all the students for their bright future.
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) July 30, 2021
CBSE की तरह ज्यादातर राज्यों के बोर्ड ने 12वीं और उससे पहले की क्लास में प्रदर्शन को आधार बनाकर नतीजे जारी करने का फैसला किया है. अब अगर बाकी के बोर्ड में भी औसतन 80 या 90 प्रतिशत बच्चे पास हो जाते हैं तो इस साल इस परीक्षा को पास करने वाले छात्रों की संख्या करीब 1 करोड़ 20 लाख से एक करोड़ 35 लाख के बीच होंगी. भारत में कॉलेज और यूनिवर्सिटी तो पर्याप्त संख्या में हैं. लेकिन इनमें से कईयों की हालत ठीक नहीं हैं, और सीटों की भी कमी है.
इस साल की क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग (QS World Ranking) के मुताबिक, दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में भारत के सिर्फ 3 शिक्षा संस्थान शामिल हैं. इनमें आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay) 172वें नंबर पर है. जबकि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु (Indian Institute Of Science Benglore) 185वें नंबर पर है. और आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) 193वें नंबर पर है. वहीं दुनिया की टॉप 1000 यूनिवर्सिटी में भारत की सिर्फ 22 यूनिवर्सिटी का नाम शामिल है. यानी स्टूडेंट ज्यादा संख्या में पास हो रहे हैं, जबकि गुणवत्ता वाली शिक्षा देने वाले संस्थानों की संख्या उसके मुकाबले कम है.
उदाहरण के लिए, शुक्रवार को ही मध्य प्रदेश बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के नतीजे (MP Board 12th Result) आए हैं. जिनमें साढ़े 6 लाख स्टूडेंट शामिल हुए थे और इनमें से 100% छात्र पास हो गए हैं. यानी किसी भी छात्र को फेल नहीं किया गया है. जबकि साल 2019 में मध्य प्रदेश की इसी बोर्ड परीक्षा में सिर्फ 73 प्रतिशत बच्चे पास हुए थे.
अब हो ये रहा है कि ज्यादातर बोर्ड और ज्यादातर स्कूलों से पास होने वाले बच्चों की संख्या हर साल बढ़ रही है. पिछले साल केंद्रीय विद्यालयों में 98.62% बच्चे CBSE की परीक्षा में पास हुए थे. जबकि इस बार 100% छात्र पास हुए हैं. सरकारी स्कूलों में पिछली बार 95% बच्चे पास हुए थे जबकि इस बार 99% बच्चे पास हुए हैं. इतना ही नहीं इस बार CBSE की 12वीं की परीक्षा में 95% से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों की संख्या 70 हजार है. ये पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुनी संख्या है. जबकि डेढ़ लाख छात्रों ने 90% से ज्यादा अंक हासिल किए हैं. पिछली बार भी लगभग डेढ़ लाख छात्रों के 90% से ज्यादा अंक आए थे.
Zee News ने इन परीक्षाओं में ऑल इंडिया टॉप (CBSE 12th All India Topper) करने वाले छात्र से बात की, जिसका नाम हितेश्वर शर्मा (Hiteshwar Sharma) है. वे हरियाणा के पंचकुला में रहते हैं. हितेश्वर के इस परीक्षा में 99.8 प्रतिशत अंक आए हैं. हितेश्वर ने इस साल अपनी पूरी पढ़ाई-लिखाई ऑनलाइन ही की थी. हित्शेवर IAS बनना चाहते हैं और शायद वो ये सपना पूरा भी कर लेंगे. लेकिन फिर भी हजारों छात्र ऐसे होंगे, जिन्हें इस साल भी अपने मनपंसद कॉलेज या मनपसंद कोर्स में एडमिशन नहीं मिल पाएगा. क्योंकि ज्यादा नंबरों की वजह से एडमिशन की रेस बहुत मुश्किल हो गई है.
उदाहरण के लिए, दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के पास इस समय सिर्फ 65 हजार सीटें उपलब्ध हैं, जहां अब हर साल एडमिशन के लिए औसत कट ऑफ 85 से 100 प्रतिशत के बीच रहती है. अब कल्पना कीजिए कि अगर 12वीं कक्षा में 95 प्रतिशत नंबर लाने वाले सभी 70 हजार छात्र भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना चाहें तो भी सबको दाखिला नहीं मिलेगा. 5 हजार छात्र ऐसे होंगे जिनके लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे.
हालांकि सभी छात्र 12वीं कक्षा पास करने के बाद अंडर ग्रेजुएट कोर्स नहीं करते. बहुत सारे छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग का भी विकल्प चुनते हैं. भारत में इंजीनियरिंग और मेडिकल की करीब 15 लाख सीटें उपल्बध हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इंजीनियरिंग के कॉलेजों में सीटों की संख्या लगातार कम हो रही है. शिक्षा व्यवस्था पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का पास होना उन छात्रों पर असर डालता है जो अच्छे नंबरों के लिए साल भर मेहनत करते हैं. इसलिए देर सवेर बोर्ड को मेरिट वाले पुराने सिस्टम पर ही वापस लौटना चाहिए.
जो छात्र पास हुए हैं हम उनका मनोबल नहीं गिराना चाहते, लेकिन हम देश के सिस्टम के सामने ये सवाल रखना चाहते हैं कि क्या इतनी बड़ी संख्या में पास हुए सभी बच्चों को कॉलेजों में दाखिला और बाद में नौकरी मिल पाएगी? विडंबना ये है कि जिन छात्रों को कॉलेजों में एडमिशन मिल भी जाता है उनमें से 16% को नौकरी नहीं मिल पाती. पोस्ट ग्रेजुएशन करके भी बेरोजगार रहने वाले युवाओं की संख्या 14% है.
इसलिए छात्रों को चाहिए कि वो अपने स्किल डेवलपमेंट (Skill Development) पर भी काम करें. क्योंकि आप पढ़ाई लिखाई चाहे जितनी भी कर लें अगर आपमें स्किल यानी कौशल नहीं है तो फिर आपके लिए रास्ता बहुत मुश्किल है. साल 2019 में आई इंडिया स्किल रिपोर्ट (India Skills Report) के मुताबिक ग्रेजुएशन करने वाले 53% युवा इस लायक ही नहीं हैं कि उन्हें रोजगार दिया जा सकें क्योंकि इनके पास डिग्री तो है लेकिन स्किल नहीं है.
लोग सोचते हैं कि शायद दुनिया का सबसे बड़ा संसाधन तेल और खनिज हैं. लेकिन ये दोनों एक ना एक दिन खत्म हो जाएंगे. सही मायने में दुनिया का सबसे बड़ा संसाधन युवाओं की संख्या है. लेकिन स्किल के अभाव में इस संसाधन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. स्किल या कौशल किसी कार्य को ठीक से करने की क्षमता को कहते हैं, और भारत के लिए ये क्षमता इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है. कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 कौशल विकास योजनाओं की शुरुआत की थी. तब उन्होंने कहा था कि युवाओं का कौशल ही भारत को आत्म निर्भर बना सकता है.
वर्ष 2030 तक भारत के 65 प्रतिशत यानी 100 करोड़ युवा नौकरी करने वाली उम्र में होंगे. लेकिन क्या भारत इतने लोगों को नौकरी दे पाएगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि युवा जनसंख्या का फायदा उठाने का ये भारत का आखिरी मौका होगा. इसलिए स्किल डेवलेपमेंट की शुरुआत स्कूलों से करनी होगी और बहुत कम उम्र में ही बच्चों का टेलेंट पहचानना होगा. लेकिन स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर बच्चों को सिर्फ आंकड़े और जानकारियां दी जाती है. उनकी स्किल को बेहतर करने के लिए कुछ खास नहीं किया जाता. जबकि सच ये है कि भारत में इस 90 प्रतिशत नौकरियां ऐसी हैं जिनके लिए किसी ना किसी प्रकार के विशेष स्किल की जरूरत पड़ती है. नतीजा ये होता है कि डिग्री और डिप्लोमा धारक 20 प्रतिशत लोगों को नौकरियां ही नहीं मिल पाती.
इसकी शुरुआत स्कूलों से ही करनी होगी. भारत में स्किल के नाम पर लोग ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आते. क्योंकि लोगों को लगता है कि ये तो श्रम से जुड़ा मामला है. इसलिए सब पढ़ लिखकर लाखों की नौकरी तो करना चाहते लेकिन विशेषज्ञता हासिल करने से बचते हैं. ये भी ध्यान रखना होगा कि कोरोना की महामारी ने पूरी दुनिया के सोचने समझने का तरीका बदल दिया है. विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forus) के मुताबिक, आने वाले समय में पूरी दुनिया में 100 करोड़ नौकरियां Technology पर ही आधारित होंगी. इसलिए नई-नई टेक्नोलॉजी की जानकारियां जुटाना और उनमें विशेषज्ञता हासिल करना भारत के युवाओं के लिए बहुत जरूरी है.
आने वाले समय में भारत में टेक्नोलॉजी आधारित जिन 5 क्षेत्रों में नौकरियों की सबसे ज्यादा संभावनाएं होंगी वो हैं- ब्लॉक चेन डेवलपर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट, जावा स्क्रिप्ट डेवलपर, रोबोटिक्स कंसल्टेंट्स और बैक-एंड डेवलपर. इसके अलावा फ्रीलांस कंटेंट क्रिएटर, फाइनेंस एक्सपर्ट्स, शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों और डेटा साइंटिस्ट के लिए भी भारत में भरपूर मौके होंगे. इसलिए आज हम 12वीं कक्षा पास कर चुके देश भर के छात्रों से यही कहना चाहते हैं कि डिग्री के साथ साथ अपनी स्किल को भी बेहतर बनाएं. आज हमारे पास छात्रों के लिए एक नया विचार भी है.
आप में से कुछ छात्र चाहें तो इस वर्ष एडमिशन के रेस में शामिल ना होकर इसे Gap Year बनाने पर विचार करें. विकसित देशों में अक्सर छात्र 14 वर्षों की लगातार स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज में एडमिशन से पहले एक साल का गेप ले लेते हैं. इस दौरान उन्हें खुद को फिर से ऊर्जावान बनाने और नए नए विकल्पों के बारे में जानने का मौका मिलता है. उदाहरण के लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की बेटी मालिया ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले एक साल का गेप लिया था. इस दौरान वो दुनिया के अलग अलग देशों में घूमीं और उन्होंने एक मीडिया कंपनी के साथ इंटर्नशिप की.
सिंगापुर में 18 वर्ष का हो जाने पर छात्रों को दो वर्षों के लिए अनिवार्य रूप से अपनी देश की सेना में काम करना होता है. इससे फायदा ये होता है कि छात्र मानसिक रूप से मजबूत हो जाते हैं और वो नई-नई लाइफ स्किल सीख लेते हैं. फिर जब वो कॉलेज में वापस जाते हैं तो उनका व्यक्तित्व निखर चुका होता है. भारत की नई शिक्षा नीति भी इसमें आपकी मदद कर सकती है. क्योंकि इस नई नीति के मुताबिक कोई भी छात्र चाहे तो वो कॉलेज की पढ़ाई किसी भी वर्ष में छोड़कर कोई नई Skill सीख सकता है, और फिर वापस कॉलेज आकर आगे की पढ़ाई कर सकता है. इसलिए आज रात सोने से पहले और एडमिशन के लिए भागदौड़ का मन बनाने से पहले अपनी Skills को बेहतर करने के बारे में ज़रूर सोचिएगा.
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