आरजेडी बिहार चुनाव में हार की मुख्य वजह कांग्रेस को मान रही है. बिहार विधान सभा चुनाव और 11 राज्यों के उपचुनावों में कांग्रेस की हार के बाद सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस पार्टी को चलाना अब गांधी परिवार के बस की बात नहीं है?
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नई दिल्ली: लोक सभा चुनाव हों या विधान सभा चुनाव कांग्रेस पार्टी हर तरफ हार का सामना कर रही है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सिर्फ 44 सीटें जीत सकी थी. उसके बाद से कांग्रेस पार्टी लगातार चुनाव दर चुनाव हारती रही और हर जगह इस हार की चर्चा होती रही, लेकिन क्या कभी कांग्रेस ने अपनी हार का विश्लेषण किया है ? ये सवाल हम नहीं पूछ रहे बल्कि कांग्रेस पार्टी के नेता और सहयोगी दल खुद उठा रहे हैं. आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी चुनाव के समय प्रियंका गांधी के साथ पिकनिक मना रहे थे.
कांग्रेस की हार के बाद सवाल
आरजेडी के तेवरों से साफ है कि वो बिहार चुनाव में हार की मुख्य वजह कांग्रेस को मान रही है. बिहार और 11 राज्यों के उपचुनावों में कांग्रेस की हार के बाद सवाल उठता है कि
- क्या कांग्रेस पार्टी को चलाना अब गांधी परिवार के बस की बात नहीं है?
-क्या कांग्रेस पार्टी एक Non Performing Asset बन चुकी है?
- ऐसे में क्या कांग्रेस पार्टी को अपना कामकाज Out source नहीं कर देना चाहिए ?
-वैसे ही जैसे बदहाल Jaguar Land Rover को टाटा ने खरीद लिया.
-देश में Harley Davidson की बिक्री कम हो गई तब Hero MotoCorp ने कहा, हम आपकी मदद के लिए तैयार हैं.
- क्या अब समय आ गया है कि कांग्रेस पार्टी को अपने खरीदार की तलाश शुरू कर देनी चाहिए?
ये प्रश्न हम इसलिए भी पूछ रहे हैं क्योंकि नए भारत की राजनीति अब बहुत डिमांडिंग हो गई है. जनता हर राजनीतिक दल के कामकाज को 365 दिन कसौटी पर कसती है. सरकारों के कामकाज के साथ विपक्षी पार्टियों के कामकाज पर भी जनता नजर रखती है. यदि कोई राजनीतिक दल विपक्ष में अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाता तब भी उसका विकल्प बनना बहुत मुश्किल होता है.
'देश की जनता अब कांग्रेस पार्टी को विकल्प नहीं मानती'
खुद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने माना है कि चुनाव हो या उपचुनाव, देश की जनता अब कांग्रेस पार्टी को विकल्प नहीं मानती है. एक अंग्रेजी अखबार दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि आत्मचिंतन का वक्त खत्म हो चुका है. कांग्रेस में इतना साहस और इच्छा होनी चाहिए कि वो सच्चाई को स्वीकार करे. कपिल सिब्बल की इन बातों पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
अशोक गहलोत ने कहा है कि कपिल सिब्बल को पार्टी के अंदरूनी मुद्दों को मीडिया में नहीं बोलना चाहिए. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि इससे पूरे देश में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को चोट पहुंची है. अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है.
क्या कांग्रेस आलाकमान हार की सच्चाई को स्वीकार करेगा?
पार्टी के बचाव में अशोक गहलोत कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई ये भी है कि कांग्रेस पार्टी का हाल के चुनावों में प्रदर्शन खराब रहा है.
ऐसे में सवाल है कि क्या कांग्रेस आलाकमान हार की सच्चाई को स्वीकार करेगा?
-राहुल गांधी और प्रियंका गांझी वाड्रा से हार की वजह कभी पूछेगा?
-पार्टी की कमान गांधी परिवार के अलावा किसी और को कब दी जाएगी?
कुछ नेताओं के कद को पार्टी में कम कर दिया गया
फिलहाल कांग्रेस पार्टी के रुख से तो ऐसा कुछ नहीं लगता क्योंकि इसी वर्ष अगस्त महीने में पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाए गए थे, लेकिन उसका नतीजा ये हुआ था कि इन नेताओं के कद को पार्टी में कम कर दिया गया था.