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नई दिल्ली: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अम्फान तूफान ने तबाही मचाई है. चक्रवाती तूफान जब भी आते हैं अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ जाते हैं. अम्फान तूफान ने भी पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी नुकसान किया है.
अम्फान तूफान का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल पर पड़ा है. जहां अम्फान तूफान की वजह से 180 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से हवाएं चलीं. कोलकाता में तूफान के दौरान 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं. उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, मिदनापुर और कोलकाता ने सबसे ज्यादा नुकसान झेला.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में तूफान की वजह से हुए हादसों में 72 लोगों की जान चली गई जिसमें से 15 लोगों की मौत अकेले कोलकाता में हुई. पश्चिम बंगाल में तूफानी हवाओं की वजह से साढ़े पांच हजार से ज्यादा मकान और इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं. कई जिलों के बड़े हिस्सों में बिजली गुल है क्योंकि वहां बिजली के खंभे उखड़ गए हैं.
पांच सौ से ज्यादा पेड़ सड़कों पर गिरे हुए हैं. सड़कों पर खड़े वाहन पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं. भारी बारिश और तेज हवाओं की वजह से कोलकाता एयरपोर्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा है. राज्य में एक हजार से ज्यादा मोबाइल टॉवर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं जिसकी वजह से कई जगहों पर मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं.
कहते हैं कि तूफान की ताकत का असली पता, तूफान के चले जाने के बाद लगता है. बुधवार को पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अम्फान तूफान ने जो तबाही मचाई, उसका अंदाजा भी तब लगा, जब तूफान निकल गया.
अम्फान तूफान आया और गुजर गया और पीछे छोड़ गया तबाही का भयानक मंजर. चारों तरफ पानी भर चुका था. गाड़ियां, नावों की तरह तैर रही थीं. बड़े-बड़े होर्डिंग, बिजली के खंभे औंधे मुंह गिरे हुए थे. सैकड़ों मकान जमींदोज हो चुके थे.
अम्फान तूफान ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों को कुछ घंटों में ही भारी तबाही की झलक दिखा दी थी. अम्फान तूफान की तबाही से कोलकाता एयरपोर्ट भी नहीं बच पाया. तेज हवाओं ने एयरपोर्ट को तबाह कर दिया. रनवे और हैंगर पानी में डूबे हैं, और पानी में खड़े हवाई जहाज ऐसे खड़े हैं मानो पानी के जहाज हों.
बुधवार शाम के वक्त जब अम्फान तूफान पूरे शबाब पर था, तब कोलकाता के ऐतिहासिक हावड़ा ब्रिज पर डरावना मंजर दिखा. हवाओं की रफ्तार इतनी तेज थी कि सबकुछ दिखना बंद हो गया. ब्रिज पर लगी बैरिकेडिंग पत्तों की तरह उड़ने लगीं. तूफान की रफ्तार के आगे जो आया, टिक नहीं पाया. हावड़ा में एक स्कूल अम्फान की चपेट में आ गया. लगातार बारिश की वजह से स्कूल की टीन की छत हटने लगी और फिर अचानक तूफानी हवा के साथ पूरी छत उखड़कर उड़ गई.
अम्फान की तेज हवाओं से पेड़ तो टूटकर सड़कों पर गिरे ही, साथ में बिजली के खंभे भी गिर गए. ये तस्वीरें कोलकाता के अनवर रोड की हैं. जहां तूफान की चपेट में आए बिजली के ट्रांसफॉर्मर में ब्लास्ट हो गया. बिजली के तारों से निकलती ये चिंगारियां, आतिशबाजी की तरह दिखाई दे रही हैं.
अम्फान तूफान की तेज हवाओं ने बड़े बड़े और मजबूत पेड़ों को जड़ से ही उखाड़ दिया. एक बस के ऊपर गिरे पेड़ ने बस को दो हिस्सों में काट दिया. नादिया जिले में तूफान के कहर से जिला अस्पताल के अंदर और बाहर बड़े-बड़े पेड़ उखड़कर गिर चुके हैं.
अम्फान तूफान कितना शक्तिशाली था, इसका एक अंदाजा इस तस्वीर से लगाइए. एक खड़ी हुई बस, तेज हवा के थपेड़ों से पीछे की तरफ खिसकने लग गई.
देखें DNA-
पश्चिम बंगाल ही अम्फान तूफान का सबसे बड़ा शिकार बना. जहां 180 मिलीमीटर तक रिकॉर्ड बारिश हुई. सड़कें जलमग्न हो गईं. बारिश और हाईटाइड्स की वजह से सड़कों पर पानी भर गया. घर जलमग्न हो गए. स्थानीय नदियों पर बने बांध क्षतिग्रस्त हो गए.
जर्जर इमारतें ढह गईं, कच्चे मकान गिर गए. अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि अकेले कोलकाता में पांच सौ से ज्यादा पेड़ उखड़ गए. पांच हजार से ज्यादा मकानों को नुकसान पहुंचा. और सैकड़ों लोगों की जान चली गई.
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें, सड़कों को साफ करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य में जुटी हैं. पेड़ों के उखड़ने से बाधित हुई सड़कों को साफ करने के लिए भारी मशीनों को काम में लगाया गया है.
अम्फान तो चला गया, लेकिन अपने पीछे तबाही का जो तूफान छोड़ गया है, उससे लोग अब भी जूझ रहे हैं. जिन्हें इस तूफान की तबाही से उबरने में लंबा वक्त लगेगा.
अम्फान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जो तबाही मचाई है, उसे देखने के लिए अब पीएम मोदी खुद, शुक्रवार को वहां जाएंगे, और तूफान प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी अम्फान तूफान की रिव्यू मीटिंग में भी हिस्सा लेंगे. जिसमें राहत बचाव के कार्यों और प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर चर्चा होगी.
आपको तूफानों के नामकरण को लेकर कई दिलचस्प बातें पता नहीं होंगी, आज हम आपको ये बताएंगे. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए तूफान को अम्फान का नाम थाइलैंड ने दिया है जिसका थाई भाषा में मतलब होता है आसमान. इससे पहले मई 2019 में ओडिशा में आए तूफान को फोनी कहा गया. फोनी से पहले भी तूफानों के टीना, कटरीना, रीटा, नरगिस और लैला जैसे नाम रखे गए हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम इतने सुंदर कैसे हो सकते हैं. इसका भी अपना एक इतिहास है.
19वीं शताब्दी के आखिरी वर्षों में ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति, Clement Wragge (रैग) ने समुद्री तूफानों को नाम देना शुरू किया था. बाद में इस व्यक्ति ने उन नेताओं के नाम पर तूफानों का नामकरण शुरू कर दिया जो उसे पसंद नहीं थे.
अमेरिका में वर्ष 1941 में George Stewart नामक व्यक्ति ने Storm नामक एक उपन्यास लिखा था, इस उपन्यास में एक पात्र था जो प्रशांत महासागर में आने वाले तूफानों के नाम अपनी महिला मित्रों के नाम पर रखता था. ये उपन्यास काफी मशहूर हुआ था और इससे प्रभावित होकर अमेरिकी सेना के अफसरों ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान आए तूफानों का नाम अपनी पत्नियों के नाम पर रखना शुरू कर दिया था.
1978 तक तूफानों के नाम सिर्फ महिलाओं के नाम पर ही रखे जाते थे. लेकिन इसका विरोध हुआ और इसके बाद महिलाओं के साथ पुरुषों के नाम पर भी तूफानों का नामकरण होने लगा.
लेकिन अब तूफान को नाम देने के लिए बहुत ही औपचारिक प्रक्रिया का पालन होता है. अब World Meteorological Organisation के तहत आने वाली 5 क्षेत्रीय संस्थाएं, अपने-अपने इलाकों में आने वाले तूफान का नाम तय करती हैं. ये नाम पहले से ही तय होते हैं ताकि इसे लेकर लोगों को वक्त पर जानकारी मिल जाए और वो बचाव की तैयारी कर सकें. हालांकि एक दिलचस्प बात ये है कि पहले तूफान के नाम इसके गुजर जाने के बाद रखे जाते थे. तब तबाही का आंकलन किया जाता था और उसी के हिसाब से तूफान का नाम रखा जाता था. लेकिन अब व्यवस्था बदल गई है, अब तूफानों के नाम पहले से ही तय कर लिए जाते हैं.
नई व्यवस्था के तहत हिंद महासागर में समुद्री तूफान का नाम रखने की शुरुआत 2004 से हुई. भारत समेत 13 देशों का एक पैनल हिंद महासागर से उठने वाले तूफानों के नाम की लिस्ट तय करता है. इन सभी 13 देशों ने पिछले महीने ही तूफानों के नामों की जो नई लिस्ट तैयार की है. उस लिस्ट में पहला नाम अम्फान था. इसलिए ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आए तूफान को ये नाम दिया गया.