DNA ANALYSIS: Corona Vaccination पर China का बड़ा झूठ, सामने आया ये वीडियो
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DNA ANALYSIS: Corona Vaccination पर China का बड़ा झूठ, सामने आया ये वीडियो

Coronavirus Vaccination: चीन दावा करता है कि वहां 54 करोड़ वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं और प्रतिदिन सिर्फ औसतन 500 नए मामले ही दर्ज हो रहे हैं. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो आपको यही लगेगा कि अपने लोगों को वैक्सीन लगाने के मामले में चीन ने भारत से बेहतर काम किया है.

DNA ANALYSIS: Corona Vaccination पर China का बड़ा झूठ, सामने आया ये वीडियो

नई दिल्ली: हमारे देश में इस समय वैक्सीन को लेकर खूब राजनीति हो रही है. विपक्ष का आरोप है कि केन्द्र सरकार वैक्सीन के प्रबंधन और लोगों तक वैक्सीन की उपलब्धता के विषय में असफल रही है.

आप अखबारों और चैनलों में इस पर राजनीतिक बहस भी देखते होंगे और इस पर नेताओं के बयान भी सुनते होंगे. हम भी इस बात को मानते हैं कि देश में वैक्सीन की कमी है, लेकिन क्या ये कमी इतनी ज्यादा है, जिस तरह से इसे पेश किया जा रहा है?

-पूरी दुनिया में अब तक वैक्सीन लगाने के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है. जबकि पहले नंबर पर चीन है, वहां दावा है कि 54 करोड़ वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं.

-दूसरे स्थान पर अमेरिका है, अमेरिका की कुल आबादी 33 करोड़ है और वहां 28 करोड़ 77 लाख वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं.

- वहीं भारत में वैक्सीन की 21 करोड़ 31 लाख डोज लग चुकी हैं.

बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान

बड़ी बात ये है कि इन तीनों देशों में अकेला भारत है, जहां अब भी प्रतिदिन कोरोना वायरस के 1 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज हो रहे हैं. यानी हमारा देश कोरोना की दूसरी लहर से भी संघर्ष कर रहा है और साथ ही बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जबकि चीन दावा करता है कि वहां 54 करोड़ वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं और प्रतिदिन सिर्फ औसतन 500 नए मामले ही दर्ज हो रहे हैं.

वैक्सीनेशन पर चीन का सच

आंकड़ों के हिसाब से देखें तो आपको यही लगेगा कि अपने लोगों को वैक्सीन लगाने के मामले में चीन ने भारत से बेहतर काम किया है, लेकिन हकीकत क्या है, वो आज हम आपको बताना चाहते हैं.

चीन के Guangzhou सिटी की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जहां वैक्सीन लगवाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ दिखी. लोग एक दूसरे के साथ धक्कामुक्की करते दिखे और वहां पुलिस के लिए भी लोगों को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया.

ये सारे वीडियो सोशल मीडिया पर इस समय वायरल हैं क्योंकि, चीन में मौजूदा परिस्थितियों के बारे में पता लगाना आसान नहीं है. चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जो खबरें वहां से आ भी रही हैं, उन्हें देख कर ऐसा लगता है कि चीन में सबकुछ ठीक है और चीन ने वैक्सीन के मामले में भारत से अच्छा काम किया है, लेकिन ये सच नहीं है.

यहां से आई एक तस्वीर में आपको दिखेगा कि वहां वैक्सीनेशन को लेकर कोई भगदड़ नहीं है. लोग आसानी से वैक्सीन लगवा पा रहे हैं और दूसरी तस्वीर में आपको भारी भीड़ दिखेगी. एक वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर तो वैक्सीन के लिए आप 3 किलोमीटर से लम्बी लाइन देख सकते हैं.

यानी एक तरफ चीन की वो तस्वीर है, जो वो दुनिया को दिखाना चाहता है और दूसरी तरफ वो तस्वीर है जो चीन के मौजूदा हालात को लेकर उसकी पोल खोलती है. सोचिए भारत में वैक्सीन के संकट को पूरी दुनिया में किस तरह से पेश किया गया. लेकिन क्या आपने कभी वैक्सीन के लिए भारत में लोगों के बीच इस तरह का युद्ध देखा, जहां हजारों लोगों की भीड़ किसी भी कीमत पर वैक्सीन लगवाना चाहती है.

-वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी आंकड़े कहते हैं कि चीन में 15 मई के आसपास केस बढ़ने शुरू हुए थे.

-15 मई को चीन में कोरोना के नए मामलों की संख्या 49 थी, जो 25 मई को 611 हो गई और 1 जून को ये फिर से घट कर आधी हो गई.

-1 जून को चीन में 378 नए मरीज इस वायरस से संक्रमित हुए.

संक्रमण नियंत्रण में तो क्यों बढ़ाई गई सख्ती?

अब चीन का दावा है कि वहां सबकुछ ठीक है और संक्रमण भी नियंत्रण में है, लेकिन सच क्या है, इसे कुछ बातों से समझिए.

चीन के वुहान शहर से Guangzhou सिटी की दूरी लगभग 1 हजार किलोमीटर है. यानी इन दोनों शहरों के बीच दिल्ली से पटना के बीच जितनी दूरी है और महत्वपूर्ण बात ये है कि Guangzhou सिटी में पिछले कुछ दिनों से सख़्ती बढ़ा दी गई है. वहां सी फूड मार्केट कर दिए गए हैं. वहां दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स में से एक बायुन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानों की उड़ानों को रोक दिया गया है. इसके अलावा सड़कों पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है और ऐसी भी खबरें हैं कि वहां बहुत से इलाकों में लॉकडाउन लगाया गया है.

लेकिन चीन फिर भी कह रहा है कि वहां सबकुछ ठीक है और 1 जून को वहां पर इस वायरस से 23 नए मरीज ही संक्रमित हुए. अब सोचने वाली बात ये है कि जब संक्रमण नियंत्रण में है तो फिर चीन इस तरह की पाबंदियां क्यों लगा रहा है और लोगों में वैक्सीन को लेकर अफरातफरी क्यों है? सच ये है कि चीन के दावों में झूठ की मात्रा काफी अधिक है और उसके द्वारा दी गई जानकारी पर यकीन नहीं किया जा सकता.

झूठे दावों से छवि को चमकाने की कोशिश

हालांकि ये बात सही है कि झूठे दावों से चीन ने अपनी छवि को चमका लिया है. WHO भी यही मानता है कि चीन में कोरोना वायरस से पिछले डेढ़ साल में लगभग 5 हजार मौतें ही हुई हैं और 1 लाख 11 हजार लोग संक्रमित हुए हैं, लेकिन हमारा मानना है कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर भी झूठ बोला और अब वो वैक्सीनेशन ड्राइवर को लेकर भी गलत आंकड़े पेश कर रहा है और वहां टीकाकरण केन्द्रों पर बुरा हाल है. एक लाइन में कहें तो इन तस्वीरों से ये स्पष्ट है कि वैक्सीनेशन के मामले में भारत ने चीन से बेहतर काम किया.

भारत में वैक्सीनेशन

-अप्रैल महीने के अंत तक भारत में कुल वैक्सीनेशन सेंटर्स की संख्या 73 हजार 600 थी.

-यही नहीं 31 मई को सिर्फ एक दिन में भारत में 27 लाख 80 हजार 58 लोगों को वैक्सीन लगाई गई.

-आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में 49 देश ऐसे हैं, जिनकी आबादी साढ़े 27 लाख या उससे कम है. इनमें कतर जैसे देश भी हैं.

कहने का मतलब ये है कि भारत इस समय इतने लोगों को प्रतिदिन वैक्सीन लगा रहा है, जितनी वैक्सीन से इन देशों की कुल आबादी को प्रतिदिन एक डोज लगाई जा सकती है. 

वैक्सीन की कमी की वजह

हालांकि भारत में वैक्सीन की भी कमी है और इसका प्रमुख कारण है हमारे देश की आबादी. भारत की आबादी 135 करोड़ है और Worldometer के मुताबिक, ये 139 करोड़ हो गई है और हमारे देश में लोगों को वैक्सीन लगाना आसान नहीं है. आपको याद होगा पिछले दिनों हमने आपको उत्तर प्रदेश के कासगंज की तस्वीरें दिखाई थीं, जहां लोग वैक्सीन से बचने के लिए भाग रहे थे.

सरल शब्दों में कहें तो भारत में वैक्सीन की कमी भी है और कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ रहा है. एक ऐसी ही खबर चेन्नई से 50 किलोमीटर दूर कोवलम से आई है. वहां 16 हजार लोग रहते हैं. कई लोगों में वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति है और उन्हें डर है कि वैक्सीन से उन्हें कुछ हो जाएगा. ऐसे लोगों को टीका लगाने के लिए एक अनोखी तरकीब अपनाई गई है.

एक NGO ने लोकल प्रशासन की मदद से वहां एक लकी ड्रॉ शुरू किया है, जिसके तहत वैक्सीन लगवाने वाले लोग बाइक, स्कूटी, सोने का सिक्का, रेफ्रिजरेट, जूसर मिक्सर, वॉशिंग मशीन और मोबाइल फोन जीत सकते हैं. इसके अलावा वैक्सीन लगवाने वाले लोगों का मोबाइल फोन का टॉकटाइम रिचार्ज भी किया जा रहा है और मुफ्त बिरयानी भी खिलाई जा रही है.

सोचिए वैक्सीन लगवाने के लिए प्रशासन और सरकार को कितना पसीना बहाना पड़ रहा है.

इन खबरों से आप समझ गए होंगे कि वैक्सीन संकट को लेकर हमारे देश के बारे में जो कुछ बातें कही जा रही हैं, वो सही नहीं है. वैक्सीन की कमी है और इसके लिए भारत वैक्सीन से पेटेंट हटाने के लिए वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन कोशिशें भी कर रहा है. हालांकि आज हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि भारत में बहुत से लोग अपने घर के पास वैक्सीन होते हुए भी नहीं लगवा रहे हैं, जिससे वैक्सीन की बर्बादी हो रही है.

-27 मई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन की बर्बादी के मामले में झारखंड सबसे ऊपर है, वहां 37.3 प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हो गई.

-छत्तीसगढ़ में ये आंकड़ा 30.2 प्रतिशत है और तमिलनाडु में ये 15.5 प्रतिशत है

-इसके अलावा ये खबर आई है कि अकेले राजस्थान में वैक्सीन की साढ़े 11 लाख डोज बर्बाद हो गईं. सोचिए साढ़े 11 लाख डोज बर्बाद हुईं.

-इस समय पूरे देश में वैक्सीन के बर्बाद होने की दर 6.3 प्रतिशत है. यानी इन राज्यों में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कहीं गुना ज्यादा वैक्सीन बर्बाद हो रही है.

वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी?

अब हम आपको ब्राजील से आई एक ख़बर के माध्यम से ये बताना चाहते हैं कि वैक्सीन लगवाना जरूरी क्यों है?

ब्राजील के सेरेना शहर में कुछ दिन पहले तक कोरोना संक्रमण से हर रोज कई मौतें हो रही थीं. इसके बाद वहां लोगों का वैक्सीनेशन शुरू हुआ. अभी तक 45 हजार की आबादी वाले इस शहर में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और इससे वहां कोरोना से होने वाली मौतों में 95 प्रतिशत की कमी आई है. इसके अलावा संक्रमण के नए मामलों में भी 80 प्रतिशत की कमी आई है.

सरल शब्दों में कहें तो वैक्सीनेशन ने ब्राजील के इस शहर में कोरोना वायरस को मात दे दी है और आपको यही बात समझनी है. भारत में हर विषय में राजनीति का प्रवेश हो ही जाता है और अक्सर इस राजनीति की वजह से लोगों का नुकसान होता है. आज कई बड़े शहरों में अगर लोग वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं या वैक्सीनेशन को लेकर हमारे देश की आलोचना कर रहे हैं और दूसरे देशों की तारीफ़ कर रहे हैं, तो इसका कारण ये राजनीति ही है. यानी आपको कोरोना से भी बचना है और राजनीति के वायरस से भी.

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