अगर नई दिल्ली के लोगों ने न्यूयॉर्क से सबक नहीं लिया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे.
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नई दिल्ली: आपको नई दिल्ली और निजामुद्दीन की स्थिति देखनी चाहिए. क्योंकि अगर नई दिल्ली के लोगों ने न्यूयॉर्क से सबक नहीं लिया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे. अमेरिका ने गलतियों से सबक नहीं सीखा और अब नतीजा पूरी दुनिया के सामने है. हालांकि ये भारत का संयम और संकल्प ही है, जो अब तक कोरोना वायरस के सामने दीवार बना हुआ है. वरना इसी देश में एक सोच ऐसी भी है, जिसने देश को खतरे में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
देश आज तबलीगी जमात के मौलानाओं की उस सोच को भुगत रहा है. जिस सोच में Lockdown और Social Distancing पर मौलाना इस तरह की बातें करते हैं कि ये अल्लाह पर यकीन ना रखने वालों की चालें और स्कीमें हैं. बीमारी से बचाने के बहाने मुसलमान को आपस में अलग करने की तरकीब निकाली गई है. मुसलमानों में आपस में ही शक पैदा करने और दूरी बढ़ाने के लिए एक प्रोग्राम तैयार हुआ है. जब अल्लाह ने बीमारी तय कर दी है तो किसी डॉक्टर या दवा से कोई नहीं बचा सकता है. अपनी अक्ल ठिकाने रखो, डॉक्टरों की बातों में आकर मिलना-जुलना और नमाज ना छोड़ो. इस बात पर यकीन मत करो कि मस्जिदों में इकट्ठा होंगे तो बीमारी फैल जाएगी.
मस्जिदों में आने से आदमी मरता भी है तो मरने की इससे बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती. ये बातें तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद की हैं. जिनका एक ऑडियो वायरल है.
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सच्चाई ये है कि इन्होंने पूरे देश को एक बड़े खतरे की तरफ धक्का दे दिया है. देश में वायरस संक्रमण के मामले अचानक बढ़ गए हैं. इसके आंकड़े हम आपको आगे दिखाएंगे. लेकिन उससे पहले मौलाना साद का ऑडियो आपको सुनाते हैं. क्योंकि इस तरह की लापरवाही तभी होती है जब लोगों के अंदर वो सोच भरी जाती है. जिस सोच में धर्म को सबसे बड़ा माना जाता है और ये कहा जाता है कि वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
अब आप खुद सोचिए जब पूरी दुनिया में कहा जा रहा है कि आपको मुंह पर पट्टी यानी Mask बांधकर रखना चाहिए. तब इन लोगों ने आंखों और दिमाग पर एक ऐसी पट्टी बांध ली है. जिसकी वजह से इन्हें कुछ दिखाई नहीं देता और मामले की गंभीरता समझ नहीं आती.
मौलाना साद कोरोना वायरस को कोई खतरा नहीं मानते. सिर्फ यही नहीं मौलाना साद ने तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बता दिया. इस तरह की सोच तब्लीगी जमात से जुड़े लाखों लोगों में भरी गई होगी. हम आपको मौलाना साद के बारे में भी बता देते हैं.
कौन है मौलाना साद?
मौलाना साद का पूरा नाम मुहम्मद साद कांधलवी है. मौलाना साद के परदादा इलियास कांधलवी ने ही 1927 में तबलीगी जमात की स्थापना की थी. 1995 में मौलाना साद ने तबलीगी जमात के प्रमुख के तौर पर कमान संभाली थी. तबलीगी जमात का सालाना जलसा बांग्लादेश में होता है जहां लाखों की भीड़ इकट्ठा होती है.
कोरोना वायरस को लेकर मौलाना साद ने जो बातें की हैं, करीब करीब वहीं बातें पाकिस्तान में भी होती हैं. यानी मौलाना साद जैसे लोगों की सोच पाकिस्तान की सोच से मिलती है. अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि पाकिस्तान के पास ईमान की ताकत है और वो कोरोना वायरस से लड़ लेगा.
तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से करीब 2400 लोगों को बाहर निकाल गया. जबकि तबलीगी जमात के लोग पहले ये कह रहे थे कि अंदर सिर्फ 1000 लोग ही हैं. जो लोग मरकज से निकाले गए उनमें करीब 600 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. क्योंकि इनमें कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण दिखे थे. बाकी लोगों को दिल्ली की अलग अलग जगहों पर Quarantine किया गया. लेकिन जिन जगहों पर इन्हें Quarantine किया गया, वहां पर ये लोग कैसी हरकतें कर रहे हैं. उसे उत्तर रेलवे के प्रवक्ता के बयान से समझ लीजिए. कल तबलीगी जमात के 167 लोगों को तुगलकाबाद में रेलवे के Quarantine Centre में ले जाया गया था.
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा है कि आज सुबह से कुछ लोग दुर्व्यहार कर रहे हैं. कर्मचारियों को अपशब्द कह रहे हैं. हर जगह थूक रहे हैं. यहां तक कि डॉक्टर्स पर भी थूक रहे हैं. खाने-पीने के सामान पर अनुचित मांगें कर रहे हैं. हॉस्टल के अंदर वो इधर उधर घूम रहे हैं.
एक तो इन लोगों को कोरोना के खतरे से बचाया जा रहा है. ऊपर से इनकी इस तरह की हरकतें, जिसमें वो दुर्व्यहार कर रहे हैं. अब सोचिए इस तरह की सोच वाले लोगों से कैसे निपटा जाए. हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये लोग कोरोना से लड़ाई में देश का साथ देंगे. आज जब देश में कोरोना संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले आए हैं. तब तबलीगी जमात के लोगों की इस तरह की सोच है. कि ये लोग खुद को छुपा रहे हैं.
पूरे देश में पुलिस को अभियान चलाना पड़ा है कि किसी तरह से इन लोगों की पहचान की जाए. इन्हें खोजकर निकाला जाए. निजामुद्दीन मरकज से लौटकर अपने अपने इलाकों में ये लोग मस्जिदों में जाकर छुप गए. इन्हें मस्जिदों से बाहर निकाला गया. प्रयागराज, हाथरस, अंबाला, आगरा, जम्मू जैसी अलग अलग जगहों से हमारे पास तस्वीरें आई हैं. जिनमें जमात के लोगों को मस्जिदों से बाहर निकाल कर उन्हें अस्पतालों और Quarantine Centre में ले जाया गया. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि कई जगहों पर ये लोग पुलिस की कार्रवाई में भी अड़ंगा लगा रहे हैं. कई जगहों पर पुलिस पर पथराव और फायरिंग करने की भी घटनाएं सामने आईं. बिहार के मधुबनी में ऐसा ही हुआ जब एक मस्जिद में जब पुलिस जमात के लोगों पर छापा मारने के लिए गई तो उन पर पथराव होने लगा.