स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनके मुताबिक, भारत में इस वक्त कोरोना वायरस 700 से ज्यादा लोगों में नए अवतार में पनप रहा है. इन मामलों में से 20 प्रतिशत ऐसे हैं जो बेहद खतरनाक हैं और डबल अटैक की क्षमता रखते हैं.
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नई दिल्ली: आज से ठीक एक वर्ष पहले भारत ने पहली बार लॉकडाउन शब्द का मतलब समझा था. एक वर्ष पहले 24 मार्च 2020 को देश में पहली बार लॉकडाउन लगाया गया था. साल 2020 की वो तस्वीरें हमें बताती हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए हम सबने कितनी मेहनत की है. ये तस्वीरें ये भी समझाती हैं कि अगर फिर से देश को लॉकडाउन वाले हालात में नहीं लौटना है, तो हमें वापस उसी अनुशासन को अपनाना होगा, जो हमने एक वर्ष पहले अपनाया था.
किसने सोचा था कि देश की राजधानी दिल्ली की तस्वीर ऐसी होगी, जब देश के सबसे ज्यादा वाहनों वाले शहर में सड़कों पर एक भी गाड़ी नहीं होगी. इस दौरान आर्थिक राजधानी मुंबई में शोर नहीं था, लॉकडाउन की अनुशासन वाली शांति थी. उन दिनों आप देश के जिस भी हिस्से में रहे होंगे, ऐसी तस्वीरें आपने भी अपने शहर या गांव में जरूर देखी होंगी.
स्वतंत्र भारत के इतिहास में ट्रेन का सफर रुक जाए, ये पहली बार हुआ था. भारत में पहली बार लॉकडाउन 70 दिनों के लिए लगाया गया था. उस वक्त कोई नहीं जानता था कि इन हालात में अभी कितने महीने बिताने पड़ सकते हैं, लेकिन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश ने अनुशासन का परिचय दिया और हर पाबंदी का पालन किया. इस अनुशासन के साथ ही प्रकृति ने रीसेट बटन दबा दिया और हमने वो समय भी देखा जिसके बारे में 2020 में सोचना भी मुश्किल था.
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर नीलगाय, देश के कई शहरों में सड़कों पर मोर, तेंदुए और जंगली जानवर नज़र आने लगे. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों का आसमान नीला हो गया. लोगों ने कई बार आसमान में इंद्रधनुष बनते देखा. ये वो तस्वीरें थीं जो महानगरों में रहने वालों के लिए दुर्लभ थीं. दिल्ली की यमुना नदी जो काफी प्रदूषित है, उसका पानी भी नीला नजर आने लगा था. सिर्फ कुछ महीनों की पाबंदियों ने हमें ये समझा दिया कि नीला आसमान, शुद्ध हवा और साफ पानी ये सब उन शहरों में भी मुमकिन है जो वर्षों से प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप कर रहे हैं.
दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से नीचे आ गया था, जिसका मतलब होता है कि आप शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं. ये कोरोना संक्रमण से भारत की जंग की वो तस्वीरें थीं जिसने महामारी के तनाव के बीच राहत देने का काम किया. लेकिन एक वर्ष बीतते-बीतते हम अनुशासन भूल गए हैं. अब तस्वीर बदल चुकी है और कोरोना वायरस ने भी वापसी कर ली है. दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर लोग होली के मौके पर घर जाना चाहते हैं. बाजारों में शॉपिंग के लिए लोगों की भीड़ है तो मंदिरों में आस्था की भीड़ उमड़ी हुई है. कहीं मास्क पूरी तरह गायब है तो कहीं औपचारिकता के लिए लगाया जा रहा है.
पूरे देश से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिसे देखकर कोई नहीं कहेगा कि भारत अभी भी कोरोना वायरस के मामलों में विश्व में तीसरे नंबर पर है. जबकि सच ये है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन जरूर आ गई है लेकिन वायरस अभी भी मौजूद है.
-भारत में 15 मार्च 2020 को 100 लोग कोरोना पॉजिटिव थे, 24 मार्च 2020 को 525 पॉजिटिव केस थे, जिस दिन लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया गया और 29 मार्च को ये केस एक हजार पहुंच गए थे.
-सितंबर 2020 में देश ने कोरोना के सबसे ज्यादा मामले देखे और फरवरी 2021 में सबसे कम, लेकिन भारत अब कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है.
-भारत में अभी कोरोना के कुल एक्टिव केस 3 लाख 68 हजार से ज्यादा हैं. पिछले 24 घंटों में 47 हजार से ज्यादा नए केस दर्ज हुए हैं.
-भारत मे बीते 24 घंटों में ये वायरस 275 लोगों की जान ले चुका है. भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण से जूझने में आत्मनिर्भरता की और कामयाबी की कई मिसाल कायम की.
-कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए हर स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स को PPE किट की जरूरत थी. पिछले वर्ष मार्च तक भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनाई जाती थी, अब हम मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. आज भारत में 5 लाख पीपीई किट रोज बनाई जा रही हैं.
-भारत में 2019 में कुल 40 हजार वेंटिलेटर बेड्स थे जो अब एक लाख हो चुके हैं. पिछले वर्ष 60 हजार वेंटिलेटर खरीदे गए.
-भारत में कोरोना वैक्सीन की 5 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है और भारत 71 देशों को वैक्सीन की सप्लाई भी कर रहा है.
भारत में मजदूरों का पलायन लॉकडाउन के दौरान एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरा. अमेरिका के Pew Research Centre की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से जूझते हुए 3 करोड़ से ज्यादा लोग मध्य वर्ग की कैटेगरी से बाहर आ गए, लेकिन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए चुनौती थी, खुद को बचाए रखने की. इसमें सरकार के साथ साथ आम जनता की भागीदारी काम आई. जब जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने के लिए हर किसी ने अपनी ओर से कोशिश की.
हम आपको ये आंकड़े आज इसलिए दिखा रहे हैं क्योंकि, एक बार फिर साथ मिलकर कोरोना के खतरे का सामना करने का वक्त आ चुका है. भारत में कोरोना के मामले पिछले एक महीने में बहुत तेजी से बढ़े हैं. आज आप खुद से पूछिए कि क्या आप एक बार फिर लॉकडाउन के लिए तैयार हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण राज्यों और शहरों की सरहदें नहीं जानता. जिस वक्त हम आपको ये खबर दिखा रहे हैं उस वक्त तक देश के 8 राज्यों में लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू और धारा 144 लगाने जैसे कदम उठाए जा चुके हैं.
कोरोना संक्रमण के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हम लोग खुद हैं. बिना वजह भीड़-भाड़ लगाने और मास्क न पहनने की आदतों ने कोरोना महामारी को अनुकूल माहौल दे दिया है. दूसरी बड़ी वजह है वायरस का म्यूटेशन यानी वायरस का नया अवतार.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में मौजूद कोरोना के नए खतरनाक वेरिएंट के बारे में सावधान किया है. आपको ये जानना चाहिए कि वायरस कैसे और क्यों अपनी शक्ल बदलता है.
वायरस जब ट्रांसमिट होता है यानी जब एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे के शरीर मे जाता है, तब ये रेप्लिकेट होता है यानी नए वायरस को जन्म देता है, और अपनी शक्ल बदलता है. विज्ञान की भाषा में इसे म्यूटेशन कहते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनके मुताबिक, भारत में इस वक्त कोरोना वायरस 700 से ज्यादा लोगों में नए अवतार में पनप रहा है. इन मामलों में से 20 प्रतिशत ऐसे हैं जो बेहद खतरनाक हैं और डबल अटैक की क्षमता रखते हैं. वायरस के इस खतरनाक वेरिएंट पर अच्छी इम्युनिटी भी काम नहीं कर पा रही है और नए वायरस के संक्रमित करने की रफ्तार भी बेहद तेज है.
क्या भारत में कोरोना की दूसरी लहर की वजह कोरोना का नया अवतार है. कोरोना वायरस भारत में 4 अलग-अलग अवतार ले चुका है और हर नया अवतार यानी म्यूटेशन पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. भारत में कोरोनावायरस के 10 हज़ार से ज्यादा मरीजों की जांच करने पर 771 ऐसे लोग पाए गए जो नए स्टेन यानी कोरोना के बदले हुए खतरनाक अवतार की चपेट में आ चुके हैं. कोरोना की इस नई शक्ल की चुनौती ये है कि इस नए अवतार की संक्रमण को फैलाने की दर भी ज्यादा है और लोगों की बेहतर इम्युनिटी भी नये वेरिएंट पर बेअसर साबित हो रही है.
कोरोना वायरस के 10 हज़ार 787 सैम्पलों की जीनोम टेस्टिंग करने पर 771 सैम्पलों में अलग-अलग वेरिएंट पकड़ में आए हैं. इन 771 वेरिएंट में 736 में कोरोना वायरस का ब्रिटेन वाला वेरिएंट मिला है, तो 34 में साउथ अफ्रीका वाला वेरिएंट और 1 में ब्राज़ील वाला कोरोना का वेरिएंट पाया गया है. जिन 771 लोगों में कोरोना के मूल वेरिएंट से अलग वेरिएंट मिला था वो सभी लोग या तो खुद अंतरराष्ट्रीय यात्रा करके आए थे या ऐसे लोगों के संपर्क में आए थे जो अंतरराष्ट्रीय यात्रा करके भारत आये थे उनसे मिले थे.
दिसंबर 2020 के महीने में ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन मिलने के बाद स्वास्थ मंत्रालय ने 10 लैब्स का एक नेटवर्क बनाया था. ये लैब दिसंबर से लगातार भारत में कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट को पकड़ने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग कर रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना की शक्ल बदलना चिंताजनक तो है लेकिन वायरस जब ट्रांसमिट यानी जब एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे के शरीर मे जाता है यानी फैलता है तब रेप्लिकेट होता है यानी नए वायरस को जन्म देता है और म्यूटेट करता है इसी लिए वायरस की शक्ल बदलने से रोकने के लिए सबसे जरूरी चीज है वायरस को फैलने से रोकना. अगर लोग ठीक तरह से बिना कोताही बरते सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाये, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर कम जाएं तो न ही वायरस फैल पायेगा और जब फैल नहीं पायेगा तो अपनी शक्ल नहीं बदल पायेगा. ये सबसे आसान तरीका है वायरस को फैलने से रोकने का.
वायरस के बदलते हुए अवतार से इस वक्त पूरा विश्व जूझ रहा है. अमेरिका, ब्राजील और फ्रांस में भी एक बार फिर कोरोना संक्रमण हालात खराब कर रहा है. फ्रांस के शहर ब्रिटैनी में कोरोना का एक ऐसा स्ट्रेन सामने आया है जो नाक से सैंपल लेने पर जांच में पकड़ में ही नहीं आ रहा है. ब्रिटैनी में एक दिन में कोरोना के कुल 76 केस आए थे, जिसमें 8 में यह स्ट्रेन पाया गया.
लक्षण दिखने और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद फ्रांस के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन मरीजों के नमूनों की जब जेनेटिक सीक्वेंसिंग की तो पता चला कि इन लोगों को कोरोना है और यह कोरोना का नया स्ट्रेन है.
विश्व में अब तक कोरोना के 12 करोड़ 49 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं. वहीं अब तक 27 लाख से ज्यादा लोगों की जान यह वायरस ले चुका है. भारत में बीते 24 घंटों में 47 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले आए हैं जबकि फरवरी में ये आंकड़ा 10 हज़ार से नीचे चला गया था. ऐसे में कोरोना के इस नए रूप के आने के बाद लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर का कड़ाई से पालन करना एक बार फिर जरूरी हो गया है.
कोरोना के नए अवतार खतरनाक तो हैं लेकिन इससे बचने के दो तरीके हैं. पहला जो सभी पर लागू होता है कि मास्क लगाएं और एक दूसरे से दो गज की दूरी बना कर रखें. दूसरी अहम जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है, जिसके मुताबिक भारत में मौजूद दोनों वैक्सीन कोरोना के नए वेरिएंट पर भी असर कर रही है.
भारत में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 88 प्रतिशत लोगों की उम्र 45 वर्ष से ज्यादा थी. इसलिए अगर आप इस कैटेगरी में आते हैं तो वैक्सीन जरूर लगवाएं.