भारत संकट की इस घड़ी में पूरी दुनिया को साथ लेकर चल रहा है. लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जो भारत को चोट पहुंचाना चाहते हैं. ऐसा ही एक देश है चीन.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के मंच से पूरी दुनिया को संबोधित किया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण देते हुए उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के बाद की दुनिया में भारत की कितनी बड़ी भूमिका है. प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद को संबोधित किया, और उन्होंने दुनिया को ये भी बताया कि भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई को कैसे जन आंदोलन में बदल दिया है.
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में शुरुआत से अपनी भूमिका निभाई है और आज जब दुनिया के सामने कोरोना वायरस का इतना बड़ा संकट है, तब भी भारत अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भारत ने करीब 150 देशों को मेडिकल सहायता पहुंचाई है और भारत, सबका साथ सबका विश्वास के मंत्र पर चलता है.
आपको याद होगा कि पिछले महीने ही भारत को दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया है. भारत के पक्ष में 192 में से 184 वोट पड़े थे. यानी पूरी दुनिया भारत का समर्थन कर रही है.
दुनिया को साथ लेकर चल रहा भारत
भारत संकट की इस घड़ी में पूरी दुनिया को साथ लेकर चल रहा है. लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जो भारत को चोट पहुंचाना चाहते हैं. ऐसा ही एक देश है चीन. लेकिन शुक्रवार को भारत ने चीन को एक लेटेस्ट चेतावनी दे दी है. प्रधानमंत्री के लद्दाख दौरे के 15 दिन के अंदर ही शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी लद्दाख पहुंच गए और वहां से चीन को वही कड़ा संदेश दिया है, जो संदेश दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देकर आए थे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में सीमा के पास के इलाकों का दौरा किया. उनके साथ सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी थे. रक्षा मंत्री वहां पर भारतीय सेना के जवानों से मिले, उनका जोश बढ़ाया और चीन को ये संदेश भी दे दिया कि दुनिया की कोई ताकत, भारत की एक इंच जमीन भी छीन नहीं सकती.
रक्षा मंत्री लद्दाख में जिन जगहों पर गए, उसका भी एक बड़ा संदेश है. उन्होंने लेह के स्टकना का दौरा किया, जहां भारतीय सेना और वायुसेना अभ्यास करती है. रक्षा मंत्री लद्दाख में तैनात जवानों से मिलने, उस लुकुंग पोस्ट पर भी गए, जो पेंगोंग झील के पश्चिमी छोर पर है. यहां से पेंगोंग झील के फिंगर 4 की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है.
चीन को चेतावनी
पेंगोंग झील के फिंगर 4 का मामला अब भी फंसा हुआ है. क्योंकि चीन इस फिंगर एरिया से पूरी तरह हटने के लिए तैयार नहीं है. भारत और चीन के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की चार बार बातचीत हो चुकी है, जिसमें पेंगोंग झील पर अभी स्थिति साफ नहीं हुई है. इसलिए रक्षा मंत्री का यहां से सबसे पास की सैन्य चौकी पर जाना, इस बात के संकेत हैं कि भारत किसी भी हालत में नहीं झुकेगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह के स्टकना में भारतीय सेना और वायु सेना के जवानों का कौशल भी देखा. उनकी मौजूदगी में ही यहां पर भारतीय सेना के T-90 टैंक और इन्फेंट्री के लड़ाकू वाहनों ने अभ्यास किया. रक्षा मंत्री ने यहां पर खुद मशीन गन हाथ में लेकर उसका निरीक्षण भी किया. लेकिन यहां की सबसे खास तस्वीर थी- भारतीय सेना के पैरा ट्रूपर्स की जांबाजी.
लद्दाख सीमा पर क्या स्थिति
लद्दाख सीमा पर अभी की स्थिति ये है कि गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर चीन की सेना लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से करीब डेढ़ किलोमीटर पीछे हटी है. इसी जगह पर दोनों सेनाओं के बीच हिंसक टकराव हुआ था. यहां पर अब दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से करीब 3 किलोमीटर दूर हैं. इसी तरह से गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स के इलाकों से भी चीन पीछे हटा है. पेंगोंग झील में टकराव वाली जगह पर भी दोनों देशों के सैनिक, एक दूसरे से अब 4 से 5 किलोमीटर दूर हैं. लेकिन पेंगोंग झील का मामला अब भी लटका हुआ है।
यहां पर भारत, फिंगर 8 तक अपना इलाका मानता है, लेकिन चीन ने फिंगर 4 तक घुसपैठ कर ली थी. अब वो यहां से फिंगर 8 के पीछे, यानी अप्रैल-मई की स्थिति में कैसे जाएगा, बातचीत इसी पर चल रही है. लेकिन लद्दाख से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का साफ संदेश था कि भारत की एक इंच जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता और जिसने भारत के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने की कोशिश की, उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा.