DNA ANALYSIS: चीन से 1962 का एक और हिसाब बराबर, भारतीय सेना को ​इस तरह मिली बड़ी कामयाबी
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DNA ANALYSIS: चीन से 1962 का एक और हिसाब बराबर, भारतीय सेना को ​इस तरह मिली बड़ी कामयाबी

लद्दाख (Ladakh) में भारतीय सेना ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है. भारतीय सेना ने पैंगोंग झील (Pangong Lake) के उत्तरी किनारे की कई महत्वपूर्ण चोटियों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है. 

DNA ANALYSIS: चीन से 1962 का एक और हिसाब बराबर, भारतीय सेना को ​इस तरह मिली बड़ी कामयाबी

नई दिल्ली: लद्दाख (Ladakh) में भारतीय सेना ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है. भारतीय सेना ने पैंगोंग झील (Pangong Lake) के उत्तरी किनारे की कई महत्वपूर्ण चोटियों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है. ये चोटियां फिंगर 4 इलाके के आसपास हैं. ये वही इलाका है, जहां पर सबसे पहले तनाव की शुरुआत हुई थी. सूत्रों के अनुसार इन पहाड़ी चोटियों पर भारतीय सैनिकों की जीत बहुत बड़ी सफलता है. अब भारतीय जवान पैंगोंग झील के पास फिंगर 4 लेकर फिंगर 8 तक चीन सेना की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं. अब तक भारतीय सैनिक यहां पर नीचे के इलाकों में होते थे और चीन के सैनिक ऊंचाई से उन पर नजर रखा करते थे. लेकिन अब यहां पर तस्वीर बदल चुकी है.

भारतीय सैनिकों की मौजूदगी से चीन के सैनिकों पर दबाव 
पैंगोंग झील के करीब फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के इलाके को लेकर भारत और चीन की सेना के बीच विवाद है. अब तक फिंगर 4 से फिंगर 8 के बीच दोनों ही देशों की सेनाएं पैट्रोलिंग करती रही हैं. लेकिन इस साल सर्दियों के बाद जब भारतीय सैनिक पैट्रोलिंग के लिए गए तो चीन के सैनिकों ने उन्हें फिंगर 4 के पास ही रोक दिया. तब से भारत की सेना लगातार मांग करती रही है कि चीन के सैनिक ये इलाका खाली करके वापस फिंगर 8 तक जाएं. लेकिन चीन अब तक अड़ा हुआ था. भारत मानता है कि Line of Actual Control यानी LAC फिंगर-8 तक है, जबकि चीन अब इसे फिंगर 4 के पास बता रहा है. अब इस इलाके की ऊंची पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी से चीन के सैनिकों पर दबाव बढ़ गया है.

भारत के लिए लद्दाख में 10 दिन के अंदर ये दूसरी बहुत बड़ी सफलता है. 29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत ने कई पहाड़ियों को अपने अधिकार में ले लिया था. ये सारी पहाड़ियां वो हैं जो भारत के नक्शे में तो थीं, लेकिन वर्ष 1962 के युद्ध के बाद से आजतक भारतीय सैनिक कभी उस इलाके में नहीं गए थे. पिछले 10 दिन में चीन इस इलाके पर दोबारा कब्जा करने की कई कोशिश कर चुका है. लेकिन हर बार भारतीय जवानों ने चीन की कोशिशों को असफल कर दिया है.

पैंगोंग झील के रास्ते भारत की सीमा में घुसने की कोशिश
दो दिन पहले यानी 8 सितंबर को चीन के सैनिकों ने पैंगोंग झील के रास्ते भारत की सीमा में घुसने की कोशिश की थी. चीन के सैनिक दो मोटरबोट्स में आए थे. उन्होंने फिंगर 4 से आगे बढ़ने की कोशिश की. लेकिन वहां मौजूद भारतीय सैनिकों ने उनको पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. इसी के बाद फिंगर 4 के इलाके में ऊंची पहाड़ियों को भारतीय सेना ने अपने अधिकार में ले लिया. यानी अब इस इलाके में चीन के लिए मोटरबोट से घुसपैठ आसान नहीं होगी.

इससे पहले 7 सितंबर को भी चीन की सेना ने घुसपैठ की कोशिश की थी. चीन के सैनिक रेजांग ला के पास मुकपरी की पहाड़ियों पर कब्जा करना चाहते थे. लेकिन भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद चीन के सैनिक पीछे हट गए.

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घुसपैठ के लिए बंदूकों के साथ ग्वानडाओ भी लेकर आए
7 सितंबर को घुसपैठ के लिए चीन के सैनिक बंदूकों के साथ ग्वानडाओ भी लेकर आए थे. ऐसा लग रहा है कि वो भारत की सेना का सामना करने से डर रहे हैं. ग्वानडाओ का इस्तेमाल चाइनीज मार्शल आर्ट्स में किया जाता है. इस हथियार में करीब 5 फीट लंबे डंडे के एक छोर पर डेढ़ फीट की धारदार तलवार लगी होती है और इसका वजन 10 किलोग्राम से भी कम होता है. इस हथियार को आप तलवार और भाले का मिला-जुला रूप कह सकते हैं और इसमें दोनों ही हथियारों के घातक गुण मौजूद हैं.

चीन की सेना की हर गतिविधि अब भारतीय सेना की निगरानी में
चीन पिछले 10 दिनों में पैंगोंग झील के दोनों तरफ अपना दबदबा गंवा चुका है. पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर एलएसी के पास मुकपरी और रेकिन ला दोनों भारत की सबसे महत्वपूर्ण मिलिट्री पोस्ट्स हैं. इन पर 29 और 30 अगस्त की रात से भारत के जवान तैनात हैं. इन चोटियों से मॉल्डो में चीन के सैन्य ठिकाने पर नजर रखी जा सकती है जो LAC के पास चीन का बड़ा सैन्य अड्डा है. यानी चीन की सेना की हर गतिविधि अब भारतीय सेना की निगरानी में है.

अब चीन को मॉल्डो में अपने सैन्य अड्डे पर खतरा नजर आ रहा है. कुछ सैन्य जानकारों के अनुसार चुशूल इलाके में भारतीय सैनिक अब वहां तक पहुंच चुके हैं, जहां से भारत और चीन के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा मात्र 20-25 किलोमीटर दूर है. यह अक्साई चिन के ठीक नीचे पूर्वी लद्दाख का इलाका है. वर्ष 1962 के युद्ध तक यही अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों देशों के बीच हुआ करती थी. लेकिन उस लड़ाई के बाद से चीन के सैनिक कई किलोमीटर आगे घुस आए थे और लगभग 60 साल के बाद भारत ने अपनी खोई हुई कुछ जमीन हासिल कर ली है.

इसी बीच, भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत फिर से शुरू हो सकती है. पिछले 3 महीनों में अबतक दोनों देशों के बीच 5 बार कोर कमांडर स्तर की बैठक हो चुकी है. कल भी दोनों देशों के ब्रिगेड कमांडर और कमांडिंग अफसरों ने 3 घंटे तक बातचीत की. लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आया है. चिंता की बात ये है कि इस समय LAC की कई पोस्ट्स पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच सिर्फ 300 मीटर की दूरी है.

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1962 तक भारत की सीमा क्या थी और अब क्या है?
हम भारत का जो नक्शा आम तौर पर देखते हैं आजादी के बाद से वही हमारा वास्तविक नक्शा है. लेकिन वर्ष 1962 की लड़ाई में चीन ने लद्दाख के पूरे अक्साई चिन इलाके और उससे लगे पूर्वी लद्दाख के बड़े इलाके की जमीन पर कब्जा कर लिया था. यह लगभग 40 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका है. जिसे आज चीन अपना इलाका कहता है और इस इलाके में उसकी सेना का ही कब्जा है. चीन के इस अतिक्रमण के बाद भारत और चीन के बीच एक अस्थायी रेखा खींची गई थी, जिसे आज हम Line of Actual Control या LAC कहते हैं.

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