डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से लेकर अब तक दस हजार से अधिक बार झूठ बोल चुके हैं. इसका यदि औसत निकाला जाए तो रोजाना तकरीबन 17 बार झूठ बोलने का रिकॉर्ड बनता है.
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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अमेरिका यात्रा के दौरान कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की थी. भारत ने साफ शब्दों में कहा कि इस तरह की कोई भी पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से नहीं की. इससे स्पष्ट है कि इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर साफ तौर पर झूठ बोला है.
डोनाल्ड ट्रंप इस तरह के बड़बोले अनर्गल बयानों और झूठे दावों के लिए जाने जाते हैं और अमेरिका के भीतर और दुनियाभर में इस कारण उनकी किरकिरी भी होती है. इसी साल अप्रैल में ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने ट्रंप के झूठे दावों पर एक आर्टिकल प्रकाशित किया था. इस आर्टिकल में बताया गया कि डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से लेकर अब तक दस हजार से अधिक बार झूठ बोल चुके हैं. इसका यदि औसत निकाला जाए तो रोजाना तकरीबन 17 बार झूठ बोलने का रिकॉर्ड बनता है.
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भारत के संबंध में...
भारत के संबंध में ट्रंप ने इस तरह का कोई पहली बार झूठ नहीं बोला है. इससे पहले जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर उन्होंने यह झूठा दावा किया था कि अमेरिका नहीं बल्कि भारत और चीन दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषक हैं. इसके विपरीत सच्चाई यह है कि जलवायु परिवर्तन के लिहाज से दोनों देश भले ही बड़े प्रदूषक हों लेकिन इस मामले में अमेरिका इनसे आगे है. विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग के मौजूदा स्तर में भारत और चीन की हिस्सेदारी क्रमश: 10 और छह प्रतिशत है लेकिन इस मामले में अमेरिका का योगदान 23 प्रतिशत है.
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विदेश मंत्री की सफाई
उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद भारत में पैदा हुए बवाल के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में मंगलवार को बयान दिया कि पीएम मोदी ने कभी इस तरह की कोई बात राष्ट्रपति ट्रंप से नहीं कही. हालांकि विदेश मंत्री के बयान के बाद भी यह मामला ठंडा होता नहीं दिख रहा है. सूत्रों के मुताबिक विपक्ष की मांग है कि इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए. उनकी जगह किसी अन्य मंत्री का बयान स्वीकार्य नहीं होगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इस मसले पर कहा कि आप सबने TV चैनलों पर देखा होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचीत के दौरान कहा कि 2 हफ्ते पहले जब पीएम मोदी से मुलाकात हुई तो उन्होंने मध्यस्थता (mediate) करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि आज तक हमारी विदेश नीति रही है कि ये दोनों देशों के बीच का मामला है, इसमें विश्व की कोई ताकत बीच में नहीं आ सकती. हम द्विपक्षीय इस समस्या का समाधान निकालेंगे.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अब सवाल उठता है कि हमारे देश की पॉलिसी में क्या इतना बड़ा बदलाव आया है? आखिर दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति ने ऐसा कहा है. मैं नहीं समझता कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने बिना सोचे-समझे बोला होगा. इसके साथ ही आजाद ने ये भी कहा कि मैं नहीं कहता कि हमारे प्रधानमंत्री ने झूठ बोला है. लेकिन प्रधानमंत्री खुद आकर ये बात कहें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने झूठ बोला है. हम अपने देश के प्रधानमंत्री की बात मानेंगे. लेकिन अगर कोई अफसर ये बात बोलेगा तो हम नहीं मानेंगे. तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा कि पीएम आकर सदन में बताएं कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं या नहीं.
ट्रंप ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बातचीत के दौरान प्रेस को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'दो सप्ताह पहले मेरी पीएम नरेंद्र मोदी से भेंट हुई थी और उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या आप मथ्यस्थ बनना चाहेंगे? मैंने पूछा कहां? उन्होंने कहा, कश्मीर में.'
उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की भूमिका निभाने का आग्रह किया है. इसपर ट्रंप ने कहा, 'अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मुझे मध्यस्थ बन कर खुशी होगी.'