प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देश के सबसे बड़े हवाला ऑपरेटर (hawala businessman) नरेश जैन (Naresh Jain) की जांच करते हुए 565 करोड़ रुपये के अवैध धन के लेनदेन के सबूतों की पहचान की है.
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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देश के सबसे बड़े हवाला ऑपरेटर (hawala businessman) नरेश जैन (Naresh Jain) की जांच करते हुए 565 करोड़ रुपये के अवैध धन के लेनदेन के सबूतों की पहचान की है. दिल्ली की एक अदालत में दायर चार्जशीट में ED ने दावा किया कि नरेश जैन एक विशाल ट्रांस-नेशनल मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन में शामिल था.
शेल कंपनियां बनाकर सैकड़ों करोड़ रुपयों का घोटाला किया
ED के मुताबिक जैन ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अपने कर्मचारियों को 450 भारतीय शेल कंपनियों और 104 विदेशी संस्थाओं को शामिल किया. वे सब अंतरराष्ट्रीय हवाला कारोबार को अंजाम देते थे. ग्राफिक बिल्डकॉन और एरो बिल्डटेक जैसी कंपनियों की स्थापना उनके करीबी सहयोगियों और डमी शेयरधारकों के दस्तावेजों की पहचान प्रमाण के साथ की गई थी. इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हुए नरेश जैन ने कई संपत्तियां खरीदीं. जांच के मुताबिक इस हवाला कारोबार के जरिए 5 अरब 65 करोड़ 11 लाख 22 हजार 269 रुपये जनरेट किए गए.
घोटाले से कमाए करोड़ों रुपयों को रियल एस्टेट में लगाया
ED ने कोर्ट को बताया कि 565 करोड़ रुपये नरेश जैन द्वारा नियंत्रित कंपनियों में लाइसेंस निधि के रूप में रखे गए थे. इन पैसों को बाद में विभिन्न शेल कंपनियों में घुमाया गया और बाद में उसे रियल एस्टेट में निवेश कर दिया गया. जांच के दौरान नरेश जैन के भाई बिमल कुमार जैन, उनके बेटे पुनीत जैन और सहयोगी हरीश अग्रवाल और कुलदीप सिंह को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया. प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कुछ दिनों तक जांच में शामिल होने के बाद, सभी चार संदिग्ध अब फरार हैं. ED ने कहा कि जब संदिग्धों के ब्यान दर्ज किए जा रहे थे तो उन्होंने अपने फर्जी पते दिए थे. इसके चलते वह उन्हें खोज नहीं पाई है. अदालत ने अब बिमल, पुनीत, हरीश और कुलदीप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है.
मादक पदार्थों में भी करोड़ों रुपये लगाने का आरोप
बता दें कि 62 वर्षीय नरेश जैन पर भारत और विदेशों में सैकड़ों शेल कंपनियों और लगभग हजार बैंक खातों को नियंत्रित करने का आरोप है. जैन पर यूरोप और दुबई में मादक पदार्थों के डीलर के साथ मिलकर ड्रग मनी का निवेश करने का भी आरोप है. 554 शेल या संदिग्ध फर्मों का एक चक्रव्यूह, कम से कम 940 संदिग्ध बैंक खाते और 1.07 लाख करोड़ रुपये से अधिक के फंड ट्रांसफर इस जांच में एजेंसी की जांच के दायरे में हैं. ये सबसे बड़े हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग में से एक है. उसे पहली बार 2007 में दुबई में गिरफ्तार किया गया था. दो साल बाद वह पैरोल पर छूटा और भारत भाग आया. उसी साल उसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया. बाद में ईडी ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
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नरेश जैन एक साल तक दुबई की जेल में रहा
नरेश जैन एक साल से अधिक समय तक जेल में रहा. एक अमेरिकी अदालत ने 2009 में जैन और उनके सहयोगियों की 4.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया था. दो साल पहले प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में उनके आवास पर तलाशी ली और उन दस्तावेजों को पाया, जिनमें 1.07 लाख करोड़ रुपये का बैंक ट्रांसफर था. इंटरपोल ने इटली और दुबई अधिकारियों के अनुरोध पर उसके खिलाफ दो रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किए हैं.
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