मुंबई एयरपोर्ट घोटाला: GVK ग्रुप और MIAL पर ED की छापेमारी, तलाशे जा रहे सबूत
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मुंबई एयरपोर्ट घोटाला: GVK ग्रुप और MIAL पर ED की छापेमारी, तलाशे जा रहे सबूत

ईडी ने जीवीके ग्रुप के डायरेक्टर जीवी संजय रेड्डी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.

प्रतीकात्मक फोटो

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) हैदराबाद और मुंबई में जीवीके ग्रुप (GVK Group) और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) पर मुंबई एयरपोर्ट घोटाले के मामले में छापेमारी कर रही है. ईडी ने 7 जुलाई को CBI की एफआईआर पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.

ईडी ने जीवीके ग्रुप के डायरेक्टर जीवी संजय रेड्डी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. इससे पहले 27 जून को सीबीआई ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ 800 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था और छापेमारी की थी. 

प्रवर्तन निदेशालय अब मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने के बाद इस बात की जांच कर रहा है कि 800 करोड़ का ये घोटाला कैसे किया गया और पैसे कहां पर डायवर्ट किए गए. अब तक की सीबीआई जांच से इस बात का पता लग चुका है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और जीवी संजय रेड्डी की मिलीभगत से ये घोटाला किया गया. जांच एजेंसियों का मानना है कि घोटाला 800 करोड़ से ज्यादा का भी हो सकता है लेकिन इसका खुलासा जांच के बाद ही होगा.

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इससे पहले सीबीआई ने मामला दर्ज करके छापेमारी की थी. जिसमें पता चला था कि 2006 में एयरपोर्ट के निजीकरण के तहत एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और जीवीके ग्रुप के बीच मुंबई एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण अपग्रेडेशन और मेंटेंनस के लिए समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी जीवीके के पास और 26 प्रतिशत हिस्सेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास थी, बाकी दूसरी कंपनियों के पास थी. नियम के मुताबिक, कमाई का हिस्सा पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास जाना था और बाद में जीवीके ग्रुप के पास. 

लेकिन इस पूरे मामले में जीवीके ग्रुप और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने मिलकर एयरपोर्ट पर किए गए काम को कागजों में बढ़ा कर दिखाया यानी खर्चा ज्यादा दिखाया. जबकि हकीकत में काम काफी कम किया गया था. इसके अलावा बिना किसी टेंडर के एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 200 एकड़ जमीन रख-रखाव के लिए दे दी और उस पर जो काम होना था उसमें भी फर्जीवाड़ा किया गया. हालांकि MIAL ने सीबीआई के दर्ज मामले के बाद बयान जारी करके हैरानी जताई थी. MIAL ने कहा था कि वो जांच एजेंसी को पूरा सहयोग करेगी.

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