Shivsena: शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर EC ने दिया फैसला, उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका
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Shivsena: शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर EC ने दिया फैसला, उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका

Shivsena: महाराष्ट्र के उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने शिवसेना को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. आयोग ने उद्धव और शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल से रोक दिया है. दोनों गुट को चुनाव आयोग की तरफ से शिवसेना से जुड़े नाम और चुनाव चिन्ह चुनने का अधिकार दिया है.

Shivsena: शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर EC ने दिया फैसला, उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका

Shivsena Crisis: महाराष्ट्र के उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने शिवसेना को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. आयोग ने उद्धव और शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल से रोक दिया है. दोनों गुट को चुनाव आयोग की तरफ से शिवसेना से जुड़े नाम और चुनाव चिन्ह चुनने का अधिकार दिया है. आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह धनुष और बाण को फ्रीज कर दिया है. चुनाव आयोग ने उद्धव और शिंदे गुट से 10 अक्टूबर को 1 बजे तक अपनी तरफ से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह से जुड़े तीन-तीन विकल्प देने को कहा है.

असली शिवसेना कौन?

शिवसेना के असली दावेदार की लड़ाई अभी जारी है. बता दें कि सीएम एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष और बाण पर दावा करते हुए इसपर चुनाव आयोग से जल्द फैसला करने की मांग की थी. चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार दोनों गुट ने अपने दावे के सभी दस्तावेज जमा कराए थे.

उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी

दरअसल एकनाथ शिंदे गुट का मानना है कि मुंबई में अंधेरी विधानसभा के उपचुनाव होने हैं, ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट गैरकानूनी तरीके से चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार उतार सकता है. यही वजह है कि अपनी इस मांग को लेकर एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. हालांकि इस उपचुनाव में एकनाथ शिंदे की सहयोगी भाजपा अपना उम्मीदवार उतार रही है.

अंधेरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव

नवंबर में मुंबई की अंधेरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं, ऐसे में एकनाथ शिंदे गुट जल्द फैसला की उम्मीद में था. लेकिन चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के साथ-साथ एकनाथ शिंदे गुट के अरमानों पर भी पानी फेर दिया है. आयोग के आज के फैसले के बाद दोनों ही गुटों को अलग-अलग नाम और चुनाव चिन्ह के साथ उपचुनाव में उतरना होगा. सूत्रों की मानें तो ये फैसला उपचुनाव के चलते लिया गया है और बाद में चुनाव आयोग यह निर्णय करेगा कि पार्टी और चुनाव चिन्ह का स्वामित्व किसके पास होगा.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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