जर्मनी में 20 महीने से भी अधीक समय से फंसी है बच्ची, परेशान मां ने किया सुषमा स्वराज को याद, कहा- वह खुद मां थीं इसलिए...
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जर्मनी में 20 महीने से भी अधीक समय से फंसी है बच्ची, परेशान मां ने किया सुषमा स्वराज को याद, कहा- वह खुद मां थीं इसलिए...

Foreign Ministry: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हम जर्मन अधिकारियों से बच्ची को जल्द से जल्द भारत भेजने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह करते हैं, जो एक भारतीय नागरिक के रूप में उसका अधिकार भी है.’ 

प्रतीकात्मक फोटो

Indian Community in Germany: विदेश मंत्रालय ने जर्मनी में फंसी एक भारतीय बच्ची की वापसी का शुक्रवार को आश्वासन दिया. भारत ने शुक्रवार को जर्मनी से बच्ची को जल्द से जल्द वापस भेजने का अनुरोध किया. यह बच्ची 20 महीने से अधिक समय से बर्लिन में बाल देखभाल गृह में रह रही है. भारत ने इस बात पर जोर दिया कि बच्ची का उसके भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में रहना महत्वपूर्ण है.

पीटीआई भाषा के मुताबिक जर्मन अधिकारियों ने 23 सितंबर, 2021 को सात महीने की बच्ची को यह आरोप लगाते हुए अपनी देखरेख में ले लिया था कि माता-पिता ने उसे परेशान किया.

‘भारत सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि बच्ची का लगातार जर्मनी के बाल देखभाल गृह में रहना उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई अधिकारों का ‘उल्लंघन’ है जो भारत सरकार और उसके माता-पिता के लिए गहरी चिंता का विषय है.

गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर बच्ची को वापस घर लाने के मामले में मदद मांगी थी.

बच्ची एक भारतीय नागरिक है
एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा, ‘हम यह दोहराना चाहते हैं कि बच्ची एक भारतीय नागरिक है और उसकी राष्ट्रीयता और सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक है, जहां उसका पालन-पोषण किया जाना है.’

बागची ने कहा, ‘हम जर्मन अधिकारियों से बच्ची को जल्द से जल्द भारत भेजने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह करते हैं, जो एक भारतीय नागरिक के रूप में उसका अधिकार भी है.’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय और बर्लिन में भारतीय दूतावास बच्ची की स्वदेश वापसी के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

इस तरह के कई और मामले?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में यह अकेला ऐसा मामला नहीं है, तुर्की, पोलैंड, रोमानिया, अन्य देशों में भारतीय नागरिक ऐसे मामलों से जूझ रहे हैं जिन्होंने अपने बच्चों को इसी तरह खो दिया है. भारत सरकार ने अब तक क्या किया है और किसी देश को सांस्कृतिक अंतर पर कहां रेखा खींचनी चाहिए,  यह सवाल उठ रहा है.

बच्ची की मां ने किया सुषमा स्वराज को याद
बच्ची की व्याकुल और भावुक मां ने अपने बच्चे को वापस पाने के संघर्ष के बीच दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को याद किया. उन्होंने कहा, ‘सुषमा स्वराज, एक मां थीं. इसलिए वह एक मां का दर्द समझती थीं. वह कहती थीं, अगर बच्चा भारतीय नागरिक है, तो हमें पता है कि अपने बच्चे की देखभाल कैसे करनी है, बच्चे को वापस भारत भेज दो. यह उनका स्टैंड था. अगर भारत सरकार हस्तक्षेप करती है, अगर प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में हस्तक्षेप करते हैं, तो मेरी बेटी को न्याय मिलेगा. वह एक भारतीय बच्ची है. वह एक गुजराती बच्ची है.’

कई माता-पिता ने इन आरोपों को झेला है
बच्ची की मां ने कहा, ‘कई भारतीय माता-पिता ने इन आरोपों को झेला है और बच्चों को उनसे ले लिया गया है लेकिन हर बार जब भी देश के प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करते हैं और अपने समकक्ष से बात करते हैं, तो इससे मदद मिलती है.'

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2021 में बच्ची को उसके बाहरी बारहमासी क्षेत्र या बाहरी जननांग क्षेत्र में चोट के साथ अस्पताल ले जाया गया. अपने खिलौने से खेलते समय उसे चोट लग गई थी. लेकिन पहला संदेह यौन उत्पीड़न का जताया. हालांकि जांच करने पर,  यौन उत्पीड़न के आरोप को खारिज कर दिया गया, लेकिन माता-पिता के खिलाफ लापरवाही के आरोप लगाए गए. पूरी जांच के बाद बिना आरोप के मामला बंद कर दिया गया. हालांकि  इसके बाद भी माता-पिता को बच्ची नहीं मिली है.

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