Gyanvapi Row: ज्ञानवापी मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अदालत का फौरन सुनवाई से इनकार
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Gyanvapi Row: ज्ञानवापी मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अदालत का फौरन सुनवाई से इनकार

Gyanvapi Masjid Case: लंबे समय से देश की सुर्खियों में रहा ज्ञानवापी मामला अब बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) की नगरी वाराणसी (Varanasi) की अदालत से निकलकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच चुका है. आज इस मामले में क्या हुआ आइए बताते हैं.

Gyanvapi Row: ज्ञानवापी मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अदालत का फौरन सुनवाई से इनकार

Gyanvapi case in Supreme Court: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) सर्वे का मामला आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उठाया गया. इस मामले को लेकर एडवोकेट हुजेफा अहमदी की ओर दायर की गई याचिका में ज्ञानवापी के सर्वे (Gyanvapi survey) पर रोक लगाने की मांग की गई है. बता दें कि गुरुवार को वाराणसी (Varansasi) की अदालत की सीनियर डिविजन के जज ने ज्ञानवापी का सर्वे कराने के बाद रिपोर्ट जारी करने की मियाद तय करते हुए इस मामले में मदद के लिए तैनात किए गए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को बदलने की मांग खारिज कर दी थी.

बिना पेपर देखे लिस्टिंग नहीं: SC

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा, 'बिना पेपर देखे हम मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं कर सकते हैं. पहले मुझे पेपर देखने दीजिए बाद में हम सुनवाई के विषय पर विचार करेंगे.' धार्मिक नजरिए से इतर इस मामले को लेकर जमकर सियासत भी हो रही है. एआईएमआईएम सांसद असदुद्दी ओवैसी ने कहा है कि एक मस्जिद वो खो चुके हैं ऐसे में दूसरी को नहीं खो सकते हैं. 

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जज को परिवार की सुरक्षा की चिंता

ज्ञानवापी मामले में सर्वे की इजाजत देने वाले वाराणसी कोर्ट के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में लिखा है, 'डर का माहौल बनाया गया है. ऐसा डर कि मेरा परिवार उनकी और मेरी सुरक्षा के बारे में चिंतित था. जब भी मैं अपने घर से बाहर निकलता था, मेरी पत्नी को मेरी सुरक्षा की चिंता होती थी.'

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वाराणसी कोर्ट का आदेश

गुरुवार को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी के तहखाने में लगे तालों को तोड़कर सर्वे का काम पूरा किया जाए. जिलाधिकारी भी इस मामले की निगरानी करेंगे. वहीं कोर्ट कमिश्नर ए के मिश्रा भी अपने पद पर बनें रहेंगे और उनके साथ दो और सहायक कमिश्नर बनाए गए हैं. ये दोनों सहायक कमिश्नर सर्वे के काम में मदद करेंगे. आपको बता दें कि एडवोकेट कमीशन (Advocate Commision) की रिपोर्ट 17 मई तक कोर्ट में जमा करानी है ऐसे में जिला प्रशासन को इस आदेश की पालना सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है.

 

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