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National Family Health Survey: भारत के 28 राज्यों, 8 केंद्र शासित प्रदेशों, 707 जिलों के तकरीबन साढ़े 6 लाख (6.37 lakh) घरों के सर्वे के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पांचवी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से ये पता चला है कि भारत में 15 वर्ष से ऊपर की आबादी में पोषण, साफ सफाई, शराब और तंबाकू के सेवन, ब्लड प्रेशर, हाई बीपी जैसी लाइफ स्टाइल बीमारियों की स्थिति क्या है. चौथा सर्वे 2015-16 में आया था और पांचवा सर्वे 2019 से 2021 के बीच किया गया है. इन दोनों के बीच भारत की सेहत में क्या फर्क आया, इसकी जानकारी भी रिपोर्ट में दी गई है.
भारत में जनसंख्या दर काबू में आई है. भारत में अब एक महिला पर औसत 2 बच्चे हैं. जबकि पिछले सर्वे में हर महिला पर औसत 2.2 बच्चे थे. भारत में Contraceptive का इस्तेमाल भी बढ़ा है. 2015 में जहां 54% लोग कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करते थे वहीं अब 67% लोग गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
जहां, पहले 60 प्रतिशत महिलाएं गर्भवती होने के पहले तीन महीने में क्लीनिक जाती थीं वहीं अब 70 प्रतिशत महिलाएं क्लीनिक जाती थी. भारत में अब 89 प्रतिशत डिलीवरी अस्पतालों में होती हैं. 2015 के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा है. भारत में 1 वर्ष से 2 वर्ष के बीच के 77 प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण पूरा मिलता है.
भारत में बच्चों की ग्रोथ में भी सुधार आया है. 2015-16 के सर्वे में जहां भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 38 प्रतिशत बच्चे अपने सामान्य कद से छोटे पैदा होते थे, वहीं अब 36 प्रतिशत बच्चे Stunted यानी छोटे पैदा होते हैं.
भारत में जहां 2015-16 के सर्वे में 21 प्रतिशत महिलाएं मोटी थीं, वहीं पांचवे सर्वे में 24 प्रतिशत महिलाएं मोटी हैं. पुरुषों में ये आंकड़ा 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है. दिल्ली और पंजाब से लेकर केरल और सिक्किम तक 12 राज्यों की एक तिहाई महिलाएं मोटापे की शिकार हो चुकी हैं.
महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार
भारत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार आया है. शहरों में 81 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 77 प्रतिशत महिलाएं घर के अहम फैसलों में अपनी राय रखती हैं. 79 प्रतिशत महिलाओं का सेविंग्स बैंक एकाउंट है जबकि 4 वर्ष पहले 53% महिलाओं का अपना बैंक एकाउंट था. भारत में अब 78% लोग हाथ धोने की आदत डाल चुके हैं. 4 वर्ष पहले ये संख्या 60% थी.
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