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Hijab Controversy: कर्नाटक में हिजाब को लेकर शुरू हुए विवाद (Karnataka Hijab Row) पर अदालती सुनवाई लगातार जारी है. मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता मुस्लिम छात्राओं की ओर से पैरवी करते हुए तुर्की से लेकर अफ्रीका तक उदाहरण देकर हिजाब को मंजूरी देने की मांग की.
हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी के नेतृत्व में 3 जजों की बैंच ने मंगलवार को मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता मुस्लिम छात्राओं की ओर से एडवोकेट देवदत्त कामत ने इस मामले में अपनी दलीलें पेश की. वकील ने तर्क दिया कि यह मामला वर्दी के बारे में नहीं बल्कि मौजूदा वर्दी को छूट का है.
एडवोकेट कामत ने कहा, तुर्की में नकारात्मक धर्मनिरपेक्षता है, जबकि हमारी धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करती है कि सभी के धार्मिक अधिकार सुरक्षित रहें. कामत ने कहा कि हमारा संविधान सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है.
दक्षिण अफ्रीका के एक फैसले का उदाहरण देते हुए एडवोकेट देवदत कामत ने कहा कि वहां एक फैसले में कहा गया, 'अगर अन्य शिक्षार्थी हैं जो अब तक अपने धर्मों या संस्कृतियों को व्यक्त करने से डरते थे और जिन्हें अब ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, तो यह जश्न मनाने की बात है, डरने की नहीं.'
सुनवाई के दौरान जजों (Karnataka High Court) ने एडवोकेट कामत से हिजाब, इस्लाम, स्कूल यूनिफार्म और धर्म निरपेक्षता पर कई सवाल पूछे. इस दौरान एक मुस्लिम छात्रा रेशम की ओर से पेश हुए वकील रविवर्मा कुमार ने भी अपनी दलीलें पेश की. हालांकि कुछ देर उनकी बात सुनने के बाद कोर्ट ने सुनवाई बुधवार दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी.
बता दें कि कर्नाटक के उडुपि में कुछ मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनकर क्लास अटैंड करने की मांग की थी. जब कॉलेज ने ऐसा करने से इनकार किया तो उन्होंने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनके विरोध में हिंदू छात्र-छात्रा भी सड़कों पर उतर आए और केसरिया शॉल व दुपट्टा पहनकर सड़कों पर आ गए.
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प्रदर्शन कर रही कुछ छात्राओं को हिजाब (Hijab Row) को अपना मौलिक अधिकार बताते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर अब सुनवाई चल रही है. इसी दौरान कर्नाटक से शुरू हुआ यह विवाद देश के दूसरे हिस्सों में भी फैल गया है. विभिन्न शहरों में हिजाब और बुर्का पहनकर सैकड़ों मुस्लिम महिलाएं लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं. मुंबई में पोस्टर लग गए हैं, जिनमें लिखा है कि पहले हिजाब, फिर किताब.
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