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श्रीनगर: कश्मीर घाटी में सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों के लिए विश्व स्तर की नई वैज्ञानिक तकनीक और तरीके अपना रही है. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में बागवानी यहां के मुख्य उद्योगों में से एक है और यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 8 फीसदी का योगदान देता है.
कश्मीरी सेब बागवानी उद्योग में सबसे बड़े उद्योग में से एक है और बागवानी विभाग किसानों को नई वैज्ञानिक तकनीक के साथ-साथ हाई डेन्सिटी वाले सेब बागान तैयार करने में पूरी मदद कर रहा है.
चीफ हॉर्टिकल्चर ऑफिसर जावेद अहमद भाटी कहते हैं कि हमारी इकोनॉमी ऐपल बेस्ड इकोनॉमी है और किसानों की आमदनी दोगनी करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं. इसके जरिए सेब से जुड़े जो हमारे किसान हैं उन्हें हाई डेन्सिटी खेत में मदद करने की वजह आमदनी से जुड़ी है.
सेब किसानों की आमदनी बढ़ने के पीछे हाई डेन्सिटी खेत एक अहम कदम हैं. इसकी मदद से हम किसान की आमदनी बढ़ा सकते हैं. आम और सेब के बाग में 10 से 15 पेड़ लगते हैं मगर हाई डेन्सिटी में 150 से 160 पेड़ एक कनाल में लगते हैं. इससे न सिर्फ पेड़ों की तादाद बढ़ती है बल्कि क्वालिटी भी बेहतर होती है.
जावेद अहमद के मुताबिक पारम्परिक सेब की खेती से केवल 40-45 प्रतिशत ही ए ग्रेड सेब हासिल होता है जबकि हाई डेन्सिटी में 90 प्रतिशत से ज्यादा ए ग्रेड माल मिलता है. कम जमीन में हम ज्यादा पेड़ लगाकर ज्यादा माल, वो भी क्वालिटी के साथ हासिल कर सकते हैं और जब क्वालिटी अच्छी हो तो आमदनी भी बढ़ती है.
उन्होंने बताया कि ऐसे बाग लगाने के लिए शुरुआत में निवेश ज्यादा है लेकिन इसमें सरकार उस किसान को 50 प्रतिशत मिनिस्ट्री लाभ देती है. सब्सिडी के तौर पर एक किसान को हम पूरा सहयोग देते हैं, जब तक एक अच्छी क्वालिटी का फल नहीं बनता. हम इनको गाइड करते हैं कि कहां माल बेचना चाहिए, इस साल ई मार्केटिंग भी शुरू की गई है जिस पर यह अपनी फसल बेचते हैं.
ऐसा ही एक जिला है बडगाम, जहां सैकड़ों एकड़ जमीन का इस्तेमाल ईंट भट्टा बनाने वाले करते थे, लेकिन अब इसे सेब के बागों में तब्दील कर दिया गया है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति तो सुधरी ही है साथ में पर्यावरण को भी लाभ हुआ है.
सेब किसान गुलाम अहमद कहते हैं कि इस सबका श्रेय उद्यान विभाग को जाता है क्योंकि निदेशक और मुख्य अधिकारी ने हमारी मदद की. हमारे इलाके में सेब के बाग नहीं थे और फिर वे यह हमारे पास आए और उन्होंने हमें इसके बारे में बताया. अब हमें प्रति कनाल 50 हजार से ज्यादा कमा रहे हैं, पहले ईंट भट्टे से हमें प्रति कनाल 5000 रुपये ही मिल पाते थे.
किसान ने बताया कि उद्यान विभाग ने हमें 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ मशीनरी और बुनियादी ढांचा दिया जिसकी वजह से रिटायरमेंट के बाद अब खेती के काम में लग गया हूं.
जमीन को सेब के बागों में तब्दील कर किसान अब प्रति कनाल करीब एक लाख रुपये तक कमा रहे हैं. यह क्षेत्र के अन्य लोगों को भी सेब की खेती के लिए प्रेरित कर रहा है.
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किसान फारूक अहमद कहते हैं कि यह इलाका पहले ईंट भट्टों के मालिक इस्तेमाल करते थे और हमें किराए के लिए मात्र 6000 रुपये प्रति कनाल मिलता था. इसे हमारी बिल्कुल मदद नहीं हो रही थी. बागवानी अधिकारी ने आकर हमें प्रक्रिया के बारे में बताया और इससे हमें बहुत लाभ हुआ है. विभाग हर चीज में मदद करता है और अब हम प्रति कनाल एक लाख से अधिक कमा रहे हैं.
सेब जो कश्मीर की आर्थिक स्थिति की रीड माना जाता है, इस परिवर्तन से उसे और मजबूती मिली है. इससे इशारा मिलता है कि बागवानी विभाग की प्लानिंग के मुताबिक सब हुआ तो आने वाले दिनों में कश्मीर की आर्थिक स्थिति ही बदल जाएगी.