सताएगी 'प्यास', उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर घटे
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सताएगी 'प्यास', उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर घटे

गर्मी शुरू होने से पहले देशवासियों को परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है.

इस साल देश भर में जल संकट के आसार. प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: गर्मी शुरू होने से पहले देशवासियों को परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है. देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 25 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान 73.029 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया. यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 45 प्रतिशत है. यह प्रतिशत 18 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह के अंत में 47 था. 25 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 91 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षो के औसत जल संग्रहण का 91 प्रतिशत है.

  1. देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 73.029 बीसीएम जल का संग्रहण आंका गया
  2. यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 45 प्रतिशत है
  3. इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है

पनबिजली संयंत्र भी हो सकते हैं प्रभावित
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है. इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं.

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उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं. इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.91 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 44 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 39 प्रतिशत थी.

इन जलाशयों में पिछले साल कम जमा हुए हैं पानी
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं. इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 12.56 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 67 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 73 प्रतिशत थी.

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पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं. इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.70 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 47 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 55 प्रतिशत थी.

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं. इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 18.34 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 43 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 65 प्रतिशत थी.

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दक्षिण भारत में भी हालात हैं चिंताजनक
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं. इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. 25 जनवरी को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार, इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 19.53 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 38 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 29 प्रतिशत थी.

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं. पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कमतर है उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं.

इनपुट: IANS

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