DNA with Sudhir Chaudhary: भारत में 60 साल में 5% बढ़ी मुस्लिम आबादी लेकिन पाकिस्तान-बांग्लादेश में गायब हो गए लाखों हिंदू?
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DNA with Sudhir Chaudhary: भारत में 60 साल में 5% बढ़ी मुस्लिम आबादी लेकिन पाकिस्तान-बांग्लादेश में गायब हो गए लाखों हिंदू?

DNA with Sudhir Chaudhary: साल 1951 में भारत में मुसलमानों की आबादी 9.8 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में बढ़ कर 14.23 प्रतिशत हो गई. यानी पिछले 60 वर्षों में भारत में मुसलमानों की आबादी पांच प्रतिशत बढ़ी. आज तो ये और भी बढ़ गई होगी. लेकिन दूसरी तरफ भारत में हिन्दू जनसंख्या लगातार कम हुई है. वर्ष 1951 में भारत में हिन्दुओं की आबादी लगभग 84 प्रतिशत थी. जो 2011 में घटकर 79.8 प्रतिशत रह गई. 

पाकिस्तान और बांग्लादेश में घटती चली गई हिंदू आबादी

DNA with Sudhir Chaudhary: गजवा-ए-हिन्द का कॉन्सेप्ट बहुत पुराना है और ऐसा कहा जाता है कि जब 8वीं शताब्दी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर हमला किया था, तभी गजवा-ए-हिन्द सफल हो गया था. लेकिन बहुत सारे इस्लामिक विद्वान ये मानते हैं कि उस समय भारत में इस्लामिक शासन जरूर आया लेकिन यहां की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू थी. इसलिए गजवा-ए-हिन्द को सफल नहीं माना जा सकता. ये तभी कामयाब माना जाएगा, जब हिन्दुस्तान में एक भी हिन्दू नहीं बचेगा और हमारा देश एक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा. अगर आज आप ध्यान से देखेंगे तो इसकी शुरुआत हो चुकी है.

2011 में 14.23% हुई मुस्लिम आबादी

साल 1951 में भारत में मुसलमानों की आबादी 9.8 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में बढ़ कर 14.23 प्रतिशत हो गई. यानी पिछले 60 वर्षों में भारत में मुसलमानों की आबादी पांच प्रतिशत बढ़ी. आज तो ये और भी बढ़ गई होगी. लेकिन दूसरी तरफ भारत में हिन्दू जनसंख्या लगातार कम हुई है. वर्ष 1951 में भारत में हिन्दुओं की आबादी लगभग 84 प्रतिशत थी. जो 2011 में घटकर 79.8 प्रतिशत रह गई. अमेरिका के थिंक टैंक Pew Research Center के मुताबिक, 2011 से 2021 के बीच भारत में हिन्दुओं की आबादी लगातार कम ही हुई है. जबकि मुसलमानों की आबादी में लगातार वृद्धि देखी गई है. ये हम आपको भारत की स्थिति के बारे में बता रहे हैं.

पाक में तेजी से घटी हिंदुओं की आबादी

अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश की बात करें तो इन देशों में भी हिन्दुओं की आबादी तेजी से कम हुई है. 1951 में पाकिस्तान में 13 प्रतिशत हिन्दू थे. लेकिन 2017 में वहां सिर्फ 2 प्रतिशत हिन्दू ही बचे थे. आज पाकिस्तान की कुल आबादी लगभग 23 करोड़ है. अगर 1951 की तरह पाकिस्तान में आज भी 13 प्रतिशत हिदू आबादी होती तो इस हिसाब से पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या आज 2 करोड़ 70 लाख होनी चाहिए थी. लेकिन 2017 की जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान में 33 लाख ही हिन्दू बचे हैं. फिर ये लाखों करोड़ हिन्दू कहां गए?

बांग्लादेश में बस साढ़े 8 प्रतिशत हिंदू

इसी तरह बांग्लादेश में 1974 में साढ़े 13 प्रतिशत हिन्दू आबादी थी. लेकिन 2011 में वहां भी हिंदू जनसंख्या घट कर सिर्फ साढ़े 8 प्रतिशत रह गई. आज बांग्लादेश की कुल आबादी साढ़े 15 करोड़ है. 1974 की स्थिति के हिसाब से आज बांग्लादेश में 2 करोड़ हिन्दू होने चाहिए. लेकिन अभी बांग्लादेश में सिर्फ एक करोड़ 27 लाख हिन्दू बचे हैं? तो वहां के लाखों हिन्दू कहां गए, उन्होंने पलायन कर लिया, उनकी हत्या कर दी गई या उन्होंने अपना धर्म बदल लिया. दुख की बात ये है कि भारत के हिन्दुओं ने कभी इस मुद्दे को नहीं उठाया. हमारे देश के 100 करोड़ हिंदुओं ने कभी ये सवाल नहीं पूछा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में लाखों हिन्दुओं का क्या हुआ?

दुनिया में कोई हिंदू राष्ट्र नहीं

आज की तारीख में दुनिया में कोई भी देश हिंदू राष्ट्र नहीं है, जबकि पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या 120 करोड़ से ज्यादा है. हिन्दू दुनिया के 110 से ज्यादा देशों में रहते हैं लेकिन इसे मानने वालों की सबसे बड़ी आबादी भारत और नेपाल में रहती है.  नेपाल कभी दुनिया का एक मात्र हिंदू राष्ट्र हुआ करता था. लेकिन 2008 में नेपाल के संविधान में बदलाव करके उसे धर्म निरपेक्ष देश का दर्जा दे दिया गया.

1977 में संविधान में जुड़ा था सेक्युलर शब्द

 साल 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी भारत के संविधान में 42वां संशोधन करके इसकी प्रस्तावना में सेक्युलर शब्द जोड़ दिया था. यानी पिछले कुछ दशकों में भारत और नेपाल जैसे देशों के बहुसंख्यक हिंदुओं पर तो धर्म निरपेक्षता की जिम्मेदारी डाल दी गई जबकि मुस्लिम बहुल देश सेक्युलर से इस्लामिक रिपब्लिक या इस्लाम को राष्ट्र धर्म मानने वाले देश बनते चले गए. वर्ष 1956 में पाकिस्तान, वर्ष 1979 में ईरान, वर्ष 1980 में बांग्लादेश, और वर्ष 2005 में इराक, जैसे देश या तो पूरी तरह से इस्लामिक देश बन गए या फिर इस्लाम को अपना राष्ट्र धर्म मान लिया.

दुनिया में 190 करोड़ मुसलमान

पूरी दुनिया में करीब 190 करोड़ लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं. इनमें से करीब 160 करोड़ लोग इस्लामिक देशों में रहते हैं.  इनमें से भी ज्यादातर देशों में धर्म का पालन करना चॉइस नहीं बल्कि मजबूरी होती है. क्योंकि लगभग सभी मुस्लिम देशों में धर्म के अपमान को अपराध माना जाता है और कुछ देशों में तो इसके लिए मौत की सजा का भी प्रावधान है. अब आप सोचिए, ये मुस्लिम देश आज भारत को लेक्चर दे रहे हैं और बता रहे हैं लोकतंत्र क्या होता है और धर्मनिरपेक्षता का पालन कैसे किया जाता है.

अलकायदा जैसे संगठनों को पनाह देते हैं मुस्लिम देश

जबकि हकीकत ये है कि, यही मुस्लिम देश अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों को अपने यहां शरण देते हैं. आज आप देखेंगे तो यमन, सऊदी अरब, इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में अल कायदा के कई टेरर कैंप चल रहे हैं लेकिन हमारा सवाल है कि क्या ये मुस्लिम देश भारत को धमकी देने के लिए अल कायदा के आतंकवादियों को तलब करके उनसे सवाल जवाब करेंगे. क्योंकि अल कायदा के आतंकवादियों ने तो इन्हीं देशों में शरण ली हुई है. आज उसे फंडिंग भी इन देशों की मदद से ही मिलती है.

अलकायदा को फंड देते हैं सऊदी के रईस लोग

वर्ष 2008 में अमेरिका ने अपनी एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट में बताया था कि कैसे सऊदी अरब के प्रभावशाली और अमीर लोग अल कायदा को फंडिंग करते हैं. तब इसमें ओसामा बिन लादेन के जीजा मोहम्मद जमाल खलीफा का भी नाम सामने आया था, जो सऊदी अरब का बहुत बड़ा उद्योगपति है. इसके अलावा सऊदी अरब के एक और बड़े उद्योगपति यासीन अल-कादी ने भी अल कायदा को फंडिंग की थी. सऊदी अरब के अलावा मोरक्को, इजिप्ट और लेबनान जैसे देशों से भी अल कायदा को मदद मिलती रही है. बड़ी बात ये है कि अल कायदा को जो फंडिंग मिलती है, वो फंडिंग चैरिटी के जरिए आती है. ये चैरिटी इस्लाम धर्म के नाम पर होती है. यानी ये जो धर्म है, वो मुसलमानों को एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ कर रखता है.

इतनी है अलकायदा की सालाना कमाई

अल कायदा एक आतंकवादी संगठन है, लेकिन इसकी सलाना कमाई किसी एक बड़ी कंपनी के बराबर है. आज अल-कायदा को सलाना लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है. ये कमाई होती है, ड्रग्स की स्मग्लिंग से, किडनैपिंग से और हथियारों की स्मग्लिंग से. इसके अलावा सिगरेट के अवैध व्यापार से भी अल-कायदा को करोड़ों रुपये की कमाई होती है.

 हालांकि अल-कायदा के पास दुनिया में ज्यादा आतंकवादी नहीं हैं. इस समय अरब में उसके पास 600 आतंकवादी हैं. जबकि इतने ही आतंकवादी उसके अफगानिस्तान में मौजूद हैं. यानी कुल 1200 आतंकवादी अल कायदा के पास हैं. लेकिन ये 1200 आतंकवादी आज बम बांध कर खुद को इस्लाम धर्म के लिए कहीं भी उड़ा सकते हैं.

क्यों हुई थी अलकायदा की स्थापना

अल-कायदा की स्थापना अफगानिस्तान में सोवियत संघ को हराने के लिए हुई थी. लेकिन बाद में अल-कायदा ने अमेरिका को मिडिल ईस्ट से खदेड़ने के लिए काम करना शुरू कर दिया. और 9/11 जैसे बड़े हमले किए. अब ये संगठन गजवा-ए-हिन्द करके भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. एक और बात अल-कायदा आज डर का बिज़नेस करता है और डर के बिजनेस में बहुत पैसा होता है.

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